नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद एक बार नहीं कई बार हुई NDA में टूट, जानिए नीतीश कुमार से पहले कितनी पार्टियों ने अब तक तोड़ा नाता
बार बार बिखरा NDA नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद एक बार नहीं कई बार हुई NDA में टूट, जानिए नीतीश कुमार से पहले कितनी पार्टियों ने अब तक तोड़ा नाता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन से अपना नाता तोड़ लिया है। अब वह दोबारा लालू यादव की आरजेडी पार्टी के सहयोग से सरकार बनाएंगे। नीतीश कुमार के घर में पार्टी के सभी विधायक और सांसदों की मौजूदगी में यह फैसला लिया गया। बता दें कि कांग्रेस ने भी जेडीयू और आरजेडी के नेतृत्व में नई सरकार को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार पहले भी बीजेपी से अपना नाता तोड़ चुके हैं। नीतीश और बीजेपी के बीच सबसे पहले 1998 में गठबंधन हुआ था। सबसे पहले उन्होंने 2013 में नरेंद्र मोदी को लोकसभा प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने पर नाराजगी जताते हुए एनडीए से अपना 17 साल पुराना नाता तोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में महागठबंधन की सरकार बनाई। लेकिन 2017 में इस गठबंधन में भी दरार पड़ने लगी। नीतीश ने आरजेडी और कांग्रेस से अपना समर्थन लेकर फिर से अपने पुराने सहयोगी बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने। साल 2020 में राज्य के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। जेडीयू को कम सीटें मिलने के बावजूद भी बीजेपी ने नीतीश को मुख्यमंत्री पद पर बैठाया। पांच साल बाद फिर से नीतीश ने अपना पाला बदला है।
जेडीयू के अलावा और भी कई दल हैं जिन्होंने 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लेकर अब तक एनडीए से नाता तोड़ चुके हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में -
शिरोमणि अकाली दल
बीजेपी और अकाली दल के बीच 24 साल पुराना गठबंधन केन्द्र द्वारा लागू किये गए कृषि विधेयक की वजह से टूटा। दरअसल, इन विधेयकों के विरोध में पार्टी की तरफ से केन्द्रीय मंत्रीमंडल में शामिल हरसिमरत कौर ने अपना इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में कृषि कानूनों का विरोध करते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए से अलग होने का फैसला लिया गया।
शिवसेना
शिवसेना ने 2019 में एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया था। इसकी पीछे की वजह 2019 में हुए विधानसभा चुनाव थे। दरअसल, विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बाद दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी शिवसेना सरकार में मुख्यमंत्री पद पर अपनी पार्टी के नेता को बैठाना चाहती थी। लेकिन उसकी सहयोगी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते यह पद अपने नेता को देना चाहती थी। दोनों में इसको लेकर मतभेद हुआ और शिवसेना ने एनडीए से अलग होने का फैसला ले लिया। इसके बाद एनसीपी औॅर कांग्रेस के साथ मिलकर शिवसेना ने राज्य में सरकार बनाई।
टीडीपी
टीडीपी यानी तेलगूदेशम पार्टी ने भी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया था। पार्टी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने केन्द्र सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा ने दिए जाने पर यह फैसला लिया था। इसके साथ ही पार्टी ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का भी समर्थन किया था।
लोजपा
दिवंगत रामविलास पासवान द्वारा बनाई गई लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा ने भी 2020 के बिहार चुनाव से पहले एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था। अपने पिता के बाद पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की वजह से एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था और अकेले ही चुनाव में उतरे थे। दरअसल चिराग एनडीए की ओर से नीतीश कुमार को सीएम के चेहरे के रुप में प्रदर्शित करने के विरोध में थे।
इनके अलावा और भी कई छोटे-बड़े दल हैं जो नरेंद्र मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद एनडीए से गठबंधन तोड़ चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब एनडीए ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मोदी को बनाया था तब 29 पार्टियां एनडीए में शामिल थीं। उस चुनाव में अकेले बीजेपी ने 282 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था। इसके साथ उसके एनडीए के अन्य साथी 54 सीटें जीतकर आईं थीं। चुनाव होने के बाद भी कई और दल गठबंधन का हिस्सा बने। लेकिन 2019 का चुनाव आते-आते 16 पार्टियों ने एनडीए छोड़ दिया। इनमें हजकां, एडीएमके, डीएमडीके, पीएमके, जन सेना पार्टी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी बोलशेविक, जनाधिपत्या राष्ट्रीय सभा, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, पीडीपी, असम गण परिषद, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, एनपीएफ, स्वाभिमानी पक्ष और केजीएफ जैसी क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं। यह पार्टियां बीजेपी के द्वारा क्षेत्रीय दलों को खत्म करने, तमिलों के खिलाफ काम करने, किसानों के मुद्दे, सीटों के बंटवारा सही तरीके से न करने समेत अन्य कई मुद्दों को लेकर एनडीए से अलग हो गए।
इसके अलावा इसी वर्ष हुए यूपी चुनाव से पहले बीजेपी के पिछली सरकार में सहयोगी रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी एनडीए गठबंधन से नाता तोड़ लिया। पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर ने बीजेपी पर दलित, पिछड़ो और अल्पसंख्यकों को धोखा देने का आरोप लगाया।