फूलपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़कर मोदी के विजय रथ को रोकेंगे नीतीश कुमार! ये जातीय समीकरण जिताएंगे चुनाव
नीतीश कुमार की यूपी में एंट्री! फूलपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़कर मोदी के विजय रथ को रोकेंगे नीतीश कुमार! ये जातीय समीकरण जिताएंगे चुनाव
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव- 2024 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए अभी से सियासी पिच मजबूत करने में जुट चुके हैं। हाल ही में विपक्षी नेताओं से भी इसी कड़ी में मुलाकात भी किए हैं और विपक्षी एकजुटता की वकालत भी कर चुके हैं। नीतीश कुमार का मानना है कि विपक्षी एकजुटता के बिना पीएम मोदी को आगामी लोकसभा चुनाव में टक्कर दे पाना काफी मुश्किल है। हालांकि नीतीश भले ही विपक्षी एकजुटता का दावा कर रहे हो लेकिन कांग्रेस को लेकर बात बन नहीं पा रही है।
कांग्रेस इन दिनों राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो पदयात्रा शुरू कर चुकी है। ऐसे में ये स्पष्ट है कि कांग्रेस नीतीश कुमार को आगे लाना नहीं चाहती है। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अगर क्षेत्रीय पार्टियों ने आपस में गठबंधन किया तो आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस के अलावा तीसरा मोर्चा बनना तय है। इसी को मद्देनजर रखते हुए नीतीश कुमार अब यूपी की तरफ अपना रूख कर लिए हैं। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार यूपी के वीवीआईपी फूलपुर सीट से आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए उतर सकते हैं। नीतीश कुमार के इस सीट से उतरने की एक वजह जातीय समीकरण भी बताया जा रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार यहां से फिट बैठ रहे हैं। इन दिनों देशभर में फूलपुर सीट चर्चा का विषय बन हुई है।
जानें फूलपुर सीट का जातीय समीकरण
राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही गुजरता है। अगर कोई भी राजनीतिक दल यूपी में लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करता है तो दिल्ली में लगभग उसकी सरकार बननी तय मानी जाती है। 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी की 80 सीटों में से 71 सीट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 80 में से 62 सीटें मिली थी। 2014 की अपेक्षा 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। खबरों के मुताबिक, अब नीतीश कुमार भी यूपी की सियासत में एंट्री करने का मन बना चुके हैं और मोदी की विजय रथ रोकने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं। इसी बीच फूलपुर सीट से नीतीश के चुनाव लड़ने की खबर ने सियासत में हलचल मचा दी है।
जानकारों की माने तो यूपी की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी सपा नीतीश को खुलकर समर्थन कर सकती है। फूलपुर से नीतीश के उतरने की वजह जातिगत समीकरण भी माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस सीट पर यादव व पटेल समुदाय की भारी तादाद है। गौरतलब है कि दोनों ही जातियां लगभग ढाई-ढाई लाख है। वहीं अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या करीब पौने दो लाख है। ऐसे में नीतीश कुमार यहां से बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। नीतीश ओबीसी समुदाय से आते हैं, जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है। वैसे लोकसभा चुनाव अभी दूर है लेकिन नीतीश कुमार के फूलपुर सीट से चुनाव लड़ने की अटकलों ने राजनीतिक गरमी बढ़ा दी है। आइए इस टेबल से समझते हैं इस सीट का जातीय समीकरण।
जाति | जनसंख्या (अनुमानित) |
यादव | 2.5 लाख |
पटेल | 2.5 लाख |
ब्राह्मण | 1 लाख |
कायस्थ | 75 हजार |
मुस्लिम | 1.75 लाख |
मौर्या | 75 हजार |
अनुसूचित जाति | 2 लाख |
अन्य पिछड़ा वर्ग | 75 हजार |
इस वजह से फूलपुर सीट की होती है चर्चा
यूपी में फूलपुर सीट वीआईपी सीटों में शुमार रही है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी इसी सीट से तीन बार जीत दर्ज कर दिल्ली पहुंचे थे। उन्हें यहां की जनता ने 1952, 1957 और 1962 में लोकसभा चुनाव जिताकर संसद भेजी थी। विजय लक्ष्मी पंडित, पूर्व पीएम वीपी सिंह, कमला बहुगुणा, जनेश्वर मिश्रा जैसे दिग्गज नेता भी इसी सीट पर अपनी किस्मत आजमा चुके हैं और जीत का माला भी पहने हैं लेकिन इसी सीट पर समाजवादी चिंतक राम मनोहर लोहिया और बसपा संस्थापक काशी राम व अपना दल संस्थापक सोने लाल पटेल जैसे नेताओं को करारी हार भी मिल चुकी है। यूपी में जब भी लोकसभा चुनाव होता है, इस सीट की चर्चा पूरे देश में होती है। अब देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार अगर इस सीट से उतरते हैं तो परिणाम क्या होगा? हालांकि एक पेंच यहां जरूर फंस सकता है जो बाहरी व स्थानीय को लेकर हर जगह राजनीतिक मुद्दा बना रहता है।