चिकित्सा अपशिष्ट स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक: सज्जन सिंह वर्मा
चिकित्सा अपशिष्ट स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक: सज्जन सिंह वर्मा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश में स्थापित शासकीय/अशासकीय अस्पताल, नर्सिंग होम्स, क्लीनिक्स, डिस्पेंसरीस, पशु चिकित्सालय, पैथोलोजिकल लैब, ब्लड बैंक, आयुर्वेदिक अस्पताल, वेक्सीनेशन कैंप इत्यादि ऐसे सभी संस्थान हैं, जिनसे जीव चिकित्सा अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इस अपशिष्ट से सतर्क रहने तथा इसे तत्काल ही नष्ट करने की व्यवस्था सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। उक्त निर्देश पर्यावरण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने गुरुवार को विभाग के अफसरों को दिए।
पर्यावरण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने अपने निर्देश में कहा है कि अस्पतालों आदि से निकलने वाले अपशिष्ट स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है तथा इन पर काबू पाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वह इस सबंध में प्रदेश के सभी संभागों में अलग-अलग बैठकें कर समीक्षा भी करेंगे।
इसकी शुरुआत पर्यावरण मंत्री ने गुरुवार को इंदौर संभाग से की।
बैठक के दौरान मंत्री द्वारा जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के प्रावधानों को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए। मंत्री द्वारा ये भी निर्देश दिए गए कि अस्पताल संचालकों में जागृति लाने हेतु कार्यशालाएं आयोजित की जायें व प्रचार-प्रसार के माध्यम से सभी अस्पतालों को नियमों के प्रावधानों से अवगत कराया जाए। मंत्री द्वारा चिंता व्यक्त की गई कि अस्पताल का कचरा खुले स्थानों में फेंका जाता है, जिससे गंभीर बीमारियां तथा संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। हाल ही में चीन में कोरोना वायरस जैसी अन्य कोई भी गंभीर बीमारी इससे फैल सकती है।
उन्होंने बैठक में कहा कि सभी अस्पताल संचालक नियमों का पालन गंभीरता से करें, ताकि अपने अस्पताल, शहर व पर्यावरण को साफ-सुथरा एवं सुरक्षित रखा जा सके। मंत्री द्वारा यह भी निर्देश दिए गए कि बोर्ड के अधिकारी समय-समय पर चिकित्सीय संस्थानों का निरीक्षण करें व अस्पताल संचालकों को नियमों के पालन हेतु प्रथमत: समझाईश दें तथा यदि इसके बावजूद भी अस्पतालों/नर्सिंग होम द्वारा अपशिष्टों के पृथक्करण, उपचार एवं निपटान की उपयुक्त व्यवस्था नहीं की जाती है तो ऐसे संस्थानों के विरुद्ध पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 15 के अंतर्गत न्यायालयीन कार्यवाही की जावे अथवा अस्पतालों को बंद कराने जैसी कड़ी कार्यवाही भी की जाए।