भारत जोड़ो यात्रा खत्म लेकिन खत्म नहीं हुई राहुल गांधी के सामने खड़ी ये बड़ी चुनौती, अभी 'ठहरे' तो और बढ़ सकती है मुश्किल!
यात्रा के बाद चुनौती भारत जोड़ो यात्रा खत्म लेकिन खत्म नहीं हुई राहुल गांधी के सामने खड़ी ये बड़ी चुनौती, अभी 'ठहरे' तो और बढ़ सकती है मुश्किल!
- यात्रा के बाद चुनौती
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कन्याकुमारी से शुरू हुई कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' सोमवार को श्रीनगर में पहुंच कर पूरी हुई। 14 राज्यों को कवर करने वाली इस यात्रा को पूरा होने में कुल 134 दिनों का लंबा वक्त लगा। यात्रा में राहुल गांधी ने हर दिन औसतन 26 किलोमीटर चलते हुए कुल 3,570 किलोमीटर का सफर तय किया। इस दौरान उनकी टी-शर्ट को लेकर भी खूब सियासत हुई, तो कई विपक्षी नेताओं ने राहुल गांधी को ठंड नहीं लगने पर भी सवाल खड़े किए। यात्रा के दौरान उनके कई भाषण भी खूब सुर्खियों में रहे। ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों की राय है कि यात्रा ने राहुल की पुरानी छवि को दूर किया है और उनके भाषणों से लगता है कि वे पहले से काफी मैच्योर और गंभीर नजर आ रहे हैं। यात्रा के दौरान कांग्रेस सांसद लगातार यह दावा कर रहे थे कि यह यात्रा आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों के लिए नहीं है बल्कि यह यात्रा भारत को एकजुट करने के लिए की जा रही है। लेकिन यात्रा से उत्साहित राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं के लिए आने वाला समय काफी चुनौतियों से भरा रहने वाला है। वास्तव में नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव ही बता पाएंगे, कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा आखिर कितना सफल रही।
विधानसभा चुनावों का सिरदर्द
इस साल मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत कुल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अगले महीने ही पूर्वोत्तर के तीन राज्य त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में चुनाव होने वाले हैं। इसके बाद कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में चुनाव होंगे, जोकि कांग्रेस के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ में पार्टी के सामने सत्ता बचाने की कोशिश होगी। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ नहीं रहेगा। सिंधिया के जाने के बाद प्रदेश में कमलनाथ ने अकेले मोर्चा संभाल रखा है। जहां बीजेपी के पास शिवराज सिंह चौहान, सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर जैसे बड़े चहरे शामिल हैं, तो कांग्रेस के पास कमलनाथ, दिग्विजय सिंह जैसे इक्के दुक्के चेहरे शामिल हैं। पार्टी राज्य में सालों का सूखा समाप्त करके सत्ता हासिल करने की कोशिश करेगी। उधर, कर्नाटक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर बड़ी जिम्मेदारी होगी। साथ ही इन सभी राज्यों में राहुल गांधी की असल परीक्षा होने वाली है। ऐसे में यदि कांग्रेस को कई राज्यों में जीत मिलती है तो उसका क्रेडिट राहुल की भारत जोड़ो यात्रा को जाएगा, और यदि चुनाव के नतीजे इसके उलट आते है तो भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल उठने लगेंगे। चूंकि अगले साल आम चुनाव होने वाले है। ऐसे में इन राज्यों के विधानसभा चुनाव की किसी सेमीफाइनल से कम नहीं है। इन राज्यों के जीत से दलों को 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने में मजबूती मिलेगी।
लोकसभा चुनाव की चुनौती
2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में बुरी तरह शिकस्त खाने के बाद कांग्रेस के लिए अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव काफी मायने रखते हैं। इस बार राहुल के सामने न केवल सांसदों की संख्या बढ़ाने की जिम्मेदारी होगी, बल्कि लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करके सत्ता को हासिल करने के लिए भी पुरजोर मेहनत करनी होगी। राजनीतिक गुरूओं का मानना है कि इस समय बीजेपी काफी मजबूत स्थिति में है। इंडिया टुडे और सी वोटर के चुनावी सर्वे भी इसी ओर इशारा करते हैं, यदि आज चुनाव होते हैं तो बीजेपी एक बार फिर से पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना लेगी। ऐसे में राहुल की कोशिश होगी भारत जोड़ो यात्रा के बाद अन्य अभियानों के जरिए देश के लोगों के बीच अपनी सक्रियता बनाए रखना होगा। महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दों को उठाने के अलावा पार्टी को जमीनी स्तर पर भी काम करना होगा।
अंदरूनी कलह से उबरकर कर काम करने की जरूरत
राहुल गांधी के लिए अच्छी बात यह है कि उनकी पार्टी ग्रैंड ओल्ड पार्टी है। यही वजह है कि पार्टी के कार्यकर्ता गांव-गांव तक मौजूद हैं, ऐसे में उन्हें फिर से सक्रिय करके पार्टी की ओर दोबारा मोड़ना होगा। इसके अलावा राहुल गांधी के सामने पार्टी के अंदरूनी कलह को मिटाना भी एक बड़ी समस्या है। राजस्थान में अशोक गहलोत, सचिन पायलट की जुबानी जंग अब किसी से छुपी नहीं है। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी लगातार आमने सामने की स्थिति में है। हालांकि कांग्रेस में ऐसे कई नेता हैं जो सालों से आमने-सामने की स्थिति में हैं। जिससे जनता को गलत मैसेज जाता है। इसका असर न केवल चुनावों पर पड़ता है बल्कि जनता दूसरे विकल्पों की तलाश करने लगती है। इसलिए पार्टी के सामने अंदरूनी कलह को समाप्त करने के लिए नए हल निकालना होगा। साथ ही कांग्रेस को आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वापसी करनी है तो राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा के बाद लगातार सक्रिय रहना होगा और देश की जनता के समास्याओं को उठाते रहना होगा।