मध्यकाल में नरक का प्रतीक माना जाता था मगहर, डबल इंजन की सरकार में स्वर्ग सा प्रतीत हो रहा : मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश मध्यकाल में नरक का प्रतीक माना जाता था मगहर, डबल इंजन की सरकार में स्वर्ग सा प्रतीत हो रहा : मुख्यमंत्री

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-03 09:00 GMT
मध्यकाल में नरक का प्रतीक माना जाता था मगहर, डबल इंजन की सरकार में स्वर्ग सा प्रतीत हो रहा : मुख्यमंत्री

डिजिटल डेस्क, संतकबीर नगर। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मध्य काल के महान संत कबीर के आगमन के पूर्व मगहर के बारे में माना जाता था कि यह ऊसर भूमि है। मगहर में मृत्यु का मतलब सीधे नरक की बात होती थी, लेकिन संत कबीर ने उस धारणा को बदला। मगहर में उनकी महापरिनिर्वाण स्थली है। डबल इंजन सरकार ने संत कबीर अकादमी बनाकर उनके मूल्यों, आदशरें व समाज में समता-समरसता के मूल्यों की स्थापना व शोध को बढ़ावा देने को प्रोत्साहित किया है। जो मगहर मध्यकाल में नरक का प्रतीक माना जाता था। डबल इंजन की सरकार में वह स्वर्ग सा प्रतीत हो रहा है। छह वर्ष में प्रदेश में हुए परिवर्तन इन बातों की तरफ ध्यान आकर्षित करते हैं।

सीएम ने बुधवार को संतकबीर नगर के जूनियर हाईस्कूल स्थित सभास्थल पर भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में अपनी बातें कहीं। पहले चरण में 28 स्थानों पर संवाद के बाद बुधवार से मुख्यमंत्री ने दूसरे चरण की रैलियों का आगाज किया।

सीएम ने कहा कि संतकबीर नगर से बहने वाली आमी छह साल पहले तक प्रदूषित थी। पालतू पशु उसके जल को ग्रहण कर ले तो मर जाता था। आज मगहर में आमी स्वच्छ, निर्मल, अविरल है। केंद्र व राज्य सरकार की एक जैसी गति के कारण यह संभव हुआ। हमने विकास को खांचों में बांटकर नहीं देखा। गरीबों की जाति-पंथ व मजहब न देखा। आपके जनपद व पूर्वांचल में भी इंफ्रास्ट्रक्च र डवलपमेंट के काम हुए। आपके बगल में मुंडेरवा चीनी मिल बंद हो गई थी। पिछली सरकारों ने किसानों पर गोली चलवाई। हमारी सरकार ने न सिर्फ चीनी मिल स्वीकृत की, बल्कि वहां की मिल पेराई भी कर रही है। यहां के किसानों के लिए यह सम्मान का माध्यम बना।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोगों को लगेगा कि नगर निकाय चुनाव में सीएम स्वयं प्रचार करने आ रहे हैं। हां, मैं आ रहा हूं क्योंकि दिल्ली व लखनऊ से जो पैसे भेज जाएंगे। उसका सही इस्तेमाल जनता के हित में हो। 2017 के पहले भी पैसा था, लेकिन गरीबों को मकान नहीं मिलता था। पैसे का बंदरबांट हो जाता था। 70 वर्षों तक पैसा कहां गया, सिर्फ कुछ लोगों के जेब में गया। अन्यथा हर गरीब के पास शौचालय, आवास होता। नगरीय क्षेत्रों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था हुई होती।

 

(आईएएनएस)

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