सीएम नीतीश कुमार की विपक्षी एकता मुहिम पर 'लेफ्ट' का अड़ंगा! ममता बनर्जी के दो टूक से नीतीश के सपनो पर फिरा पानी 

लेफ्ट बना मुसीबत सीएम नीतीश कुमार की विपक्षी एकता मुहिम पर 'लेफ्ट' का अड़ंगा! ममता बनर्जी के दो टूक से नीतीश के सपनो पर फिरा पानी 

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-28 06:05 GMT
सीएम नीतीश कुमार की विपक्षी एकता मुहिम पर 'लेफ्ट' का अड़ंगा! ममता बनर्जी के दो टूक से नीतीश के सपनो पर फिरा पानी 

डिजिटल डेस्क, पटना।  साल 2024 के आम चुनाव को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हुए हैं। सभी राजनीतिक पार्टियों से एक छतरी के नीचे आने का आग्रह कर रहे हैं ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत की रथ यात्रा को रोका जा सके। हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने के लिए वो कोलकाता पहुंचे थे और साल 2024 के चुनाव के लिए गठबंधन करने के लिए न्योता भी दिया। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि नीतीश की एकजुटता वाली कवायद अधूरी रह जाएगी क्योंकि ममता बनर्जी ने कुछ ऐसी बात कर दी है कि विपक्ष दली के एक साथ आने वाली बात खटाई में पड़ सकती है।

सूत्रों की मानें तो, ममता बनर्जी ने सीएम नीतीश का एकजुटता वाला ऑफर ठुकरा दिया है ये कह कर की वो विपक्ष के गठबंधन में तब शामिल होगी जब लेफ्ट नहीं रहेगा। इसके अलावा ममता ने खास तौर पर कांग्रेस पार्टी के लिए निर्णय लिया है। उनका कहना है कि कांग्रेस अगर लेफ्ट के साथ रहती है तो टीएमसी गठबंधन के बारे में सोच भी नहीं सकती।

नीतीश को ममता ने दिया जोरदार झटका

ममता के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है क्योंकि वो आए दिन विपक्ष को मजबूत करने की बात कहते रहते हैं। इसके अलावा ममता ने कहा है कि, आगामी चुनाव में कांग्रेस और टीएमसी साथ तभी दिख सकती हैं जब वो लेफ्ट का साथ छोड़ती है नहीं तो गठबंधन संभव नहीं है। ममता ने नीतीश कुमार के पाले में गेंद डालते हुए ये भी कहा है कि कांग्रेस को टीएमसी और लेफ्ट में से किसी एक को चुनना होगा। ममता के इस बयान पर नीतीश ने भी अपना रूख साफ किया है। कुमार ने ममता के सामने एक सुझाव रखा है। उनका कहना है कि, लेफ्ट से सीधे गठबंधन के बजाय कांग्रेस के खाते से ही उसे सीट मुहैया कराया जाएगा जिस पर वो चुनाव लड़े। हालांकि, ममता ने इस पर भी इनकार कर दिया है और साफ-साफ नीतीश से कहा है कि वो लेफ्ट को देखना नहीं चाहती हैं क्योंकि आने वाले चुनाव में टीएमसी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

लेफ्ट से क्यों दूर होना चाहती हैं ममता?

दरअसल, ममता बनर्जी को लेफ्ट से दूरी बनाने का कारण हाल ही में पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव में उसका खराब प्रदर्शन रहा। जहां पार्टी ने काफी निराशाजनक प्रदर्शन किया था। कांग्रेस-लेफ्ट मिलकर भी पूर्वोत्तर के राज्य में अपना जलवा नहीं बिखेर पाई थीं। इसी को देखते हुए ममता लेफ्ट से दुर रहने की बात कह रही हैं। ममता को दूर होने का करण ये भी है कि, दिन ब दिन लेफ्ट का प्रभाव भारतीय राजनीति में कम होता जा रहा है। साल दर साल चुनावों में पार्टी निराशाजनक ही प्रदर्शन कर रही है जिसका रिपोर्ट कार्ड देख ममता आगामी लोकसभा चुनाव में साथ आने को तैयार नहीं हैं।

साल 2019 का क्या रहा गणित?

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, अगर कुछ परिस्थिति बदलती है और कांग्रेस व टीएमसी आने वाले दिनों में गठबंधन करके पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ती हैं तो उन्हें फायदा जरूर मिल सकता है। वहीं साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करे तो 42 सीटों में से टीएमसी ने 22 सीटें जीती थी। जबकि बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 18 सीटों पर अपना झंडा लहराया था। वहीं कांग्रेस को 2 सीटों से ही संतुष्ट होना पड़ा और लेफ्ट का खाता तक नहीं खुल पाया था। इसी गणित को देख ममता लेफ्ट के साथ जाना पसंद नहीं कर रही हैं।

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