झारखंड के राज्यपाल ने मंडी शुल्क से जुड़ा विधेयक लौटाया, अनाज की आवक दूसरे दिन भी ठप रही
झारखंड झारखंड के राज्यपाल ने मंडी शुल्क से जुड़ा विधेयक लौटाया, अनाज की आवक दूसरे दिन भी ठप रही
- विसंगतियों पर आपत्ति
डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने राज्य में कृषि उपज पर मंडी शुल्क लागू करने के फैसले से जुड़ा विधेयक राज्य सरकार को लौटा दिया है। उन्होंने विधेयक के हिंदी और अंग्रेजी प्रारूप में अंतर और विसंगतियों पर आपत्ति जताई है। राज्यपाल ने सरकार से कहा है कि विसंगतियों को सुधारकर विधेयक पुन: मुद्रण के पश्चात विधानसभा द्वारा फिर से पारित करा कर उनकी सहमति प्राप्त के लिए भेजा जाए।
इधर मंडी शुल्क लागू करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलित राज्य भर के व्यवसायियों ने मंगलवार को दूसरे दिन भी खाद्यान्न की आवक ठप रखी। फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने दावा किया है कि राज्य के किसी भी जिले में बाहर से हर तरह के खाद्यान्न और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स की आवक नहीं हुई।
राज्यपाल की ओर से विधेयक को लौटाये जाने के बाद झारखंड के व्यवसायी आंदोलन वापस ले सकते हैं। हालांकि व्यवसायियों का एक वर्ग इस फैसले को सरकार द्वारा वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रखने की हिमायत कर रहा है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि व्यापारियों का आंदोलन लंबा चला तो अगले कुछ दिनों में चावल, दलहन, तिलहन की जबर्दस्त किल्लत पैदा ही सकती है।
व्यवसायियों का कहना है कि ये व्यवस्था महंगाई और आम लोगों की परेशानी बढ़ाने वाली है। कृषि शुल्क लगाने वाला कानून वापस लेने की मांग को लेकर व्यवसायियों ने सरकार को 15 मई तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार की ओर से अब तक मामले में कोई पहल नहीं हुई है। इसके बाद बीते शुक्रवार को इस मुद्दे पर व्यापारिक संगठनों की बैठक हुई थी, जिसमें 16 मई से दूसरे राज्यों से खाद्यान्न की आवक ठप करने का निर्णय लिया गया।
फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि सरकार को हठधर्मिता छोड़कर तत्काल यह फैसला वापस लेना चाहिए। रांची के सांसद संजय सेठ ने व्यवसायियों के मुद्दे को वाजिब ठहराया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि झारखंड में एक बार फिर से मंडी शुल्क लागू करने के बाद खाद्यान्न का अभूतपूर्व संकट उत्पन्न हो सकता है। राज्य में हाहाकार की स्थिति मच सकती है। राज्य सरकार को अपनी हठधर्मिता छोड़कर, इस व्यवस्था को खत्म करके पहले की व्यवस्था फिर से लागू करनी चाहिए।
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