मप्र में नगर निगम के महापौरों की उम्मीदवारी में भाजपा ने परिवारवाद को कहा न!
मध्य प्रदेश मप्र में नगर निगम के महापौरों की उम्मीदवारी में भाजपा ने परिवारवाद को कहा न!
डिजिटल डेस्क, भोपाल । मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की इकाई ने राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा तय किए गए निदेशरें पर अमल शुरू कर दिया है। पार्टी ने वंशवाद और परिवारवाद से दूरी बनाने का जो संदेश दिया था उसे नगर निगम के महापौरों की उम्मीदवारी तय किए जाने में पूरी तरह अंजाम दिया गया है।
पिछले दिनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का मध्य प्रदेश प्रवास हुआ था और उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि नगरीय निकाय चुनाव में भी पार्टी के तय निदेशरें यानी परिवारवाद और वंशवाद से दूर रहते हुए उम्मीदवारी तय की जाएगी।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि नड्डा ने जो कहा था उस पर पार्टी इकाई ने अमल किया है।राज्य की 16 नगर निगमों के लिए जो महापौर पद के उम्मीदवार तय किए गए हैं, वे न केवल नए चेहरे हैं बल्कि राजनीति में सक्रिय किसी नेता के नाते रिश्तेदार भी नहीं है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी ने तय किया था कि किसी भी विधायक को महापौर का उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा, साथ ही किसी राजनेता के नाते रिश्तेदार को मैदान में नहीं उतारा जाएगा, इतना ही नहीं 70 वर्ष से अधिक की आयु के व्यक्ति को भी पार्टी उम्मीदवार नहीं बनाएगी। यह ऐसे दिशा निर्देश थे जिनका पालन करते हुए उम्मीदवारी तय करना पार्टी के लिए आसान नहीं था। इसके बावजूद पार्टी ने जोखिम उठाते हुए नए चेहरों पर दांव लगाया है।
इस बीच कांग्रेस ने चार स्थानों पर महापौर के उम्मीदवार के तौर पर विधायकों को उतारा है। कांग्रेस ने जीत की संभावना को तरजीह दी है और उसी आधार पर उम्मीदवारी तय हुई है।
भाजपा ने 16 नगर निगमों के लिए जो उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं वे सभी नए चेहरे हैं। इसके साथ ही इनमें आधी आबादी को बड़ी हिस्सेदारी दी गई है। 16 में से आठ महिला उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।
भाजपा में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर को लेकर काफी कशमकश चली। इन स्थानों से कई राजनेताओं के नाते रिश्तेदार दावेदार थे तो वहीं कई उम्मीदवार उम्र की तय सीमा को भी पार कर चुके हैं। इसको लेकर कई बड़े नेताओं में टकराव भी हुआ, खींचतान भी चली, मगर बाद में पार्टी के तय निर्देशों के अनुसार ही उम्मीदवारी तय हुई।
भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि पार्टी ने जो गाइडलाइन तय की है उसके मुताबिक उम्मीदवार तय किए गए हैं. पार्टी की सबसे बड़ी ताकत कार्यकर्ता है और कार्यकतार्ओं को ही पार्टी ने महापौर पद का उम्मीदवार बनाया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने नगरीय निकाय में नए चेहरों और परिवारवाद के अलावा तय निदेशरें का पालन करते हुए उम्मीदवारी तय की है। यह निर्णय जोखिम भरा भी है, क्योंकि कई स्थानों पर पार्टी ने अनजान चेहरों को मैदान में उतारा है। एक तरफ जोखिम है तो दूसरी तरफ कार्यकर्ता में नई आशा भी जगाता है, कि कभी हमारा भी नंबर लग सकता है। कुल मिलाकर भाजपा ने उम्मीदवारी में तय गाइड लाइन का पालन कर नया संदेश तो दिया है।
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