बरसाने से कम नहीं है गोरखपुर की होली

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 बरसाने से कम नहीं है गोरखपुर की होली

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-17 07:31 GMT
बरसाने से कम नहीं है गोरखपुर की होली
हाईलाइट
  • रास्ते से गुजरता है रथ

डिजिटल डेस्क, गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में होली का उल्लास बरसाने जैसा होता है। होली के दिन का यहां अद्भुत माहौल होता है। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री अपने शहर गोरखपुर में होली काफी विशेष होती है। इस होली का नाम है भगवान नरसिंह की रंगभरी शोभायात्रा। होली के दिन रथ पर सवार होकर इसकी अगुआई गोरक्षपीठाधीश्वर करते हैं।

वैश्विक महामारी कोरोना के दो साल को अपवाद मान लें तो मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी इस परंपरा को निभाते रहे हैं। रथ को लोग खींचते हैं और रथ के आगे-पीछे हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। जिस रास्ते से ये रथ गुजरता है, वहां छत से महिलाएं और बच्चे गोरक्षपीठाधीश्वर और यात्रा में शामिल लोगों पर रंग-गुलाल फेंकते हैं। बदले में इधर से भी उनपर भी रंग-गुलाल फेंका जाता है।

अनूठी होली की यह परंपरा करीब सात दशक पहले नानाजी देशमुख ने डाली थी। बाद में नरसिंह शोभायात्रा की अगुवाई गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर करने लगे। लोगों के मुताबिक कारोबार के लिहाज से गोरखपुर का दिल माने जाने वाले साहबगंज से इसकी शुरूआत 1944 में हुई थी। शुरू में गोरखपुर की परंपरा के अनुसार इसमें कीचड़ का ही प्रयोग होता है. हुड़दंग अलग से। अपने गोरखपुर प्रवास के दौरान नानाजी देशमुख ने इसे नया स्वरूप दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रिय भागीदारी से इसका स्वरूप बदला, साथ ही लोगों की भागीदारी भी बढ़ी।

होली के दिन भगवान नरसिंह की शोभायात्रा घंटाघर चैराहे से शुरू होती है। जाफराबाजार, घासीकटरा, आर्यनगर, बक्शीपुर, रेती चैक और उर्दू होते हुए घंटाघर पर ही जाकर समाप्त होती है। होली के दिन की इस शोभायात्रा से एक दिन पहले घंटाघर से ही होलिका दहन शोभायात्रा निकाली जाती है। इसमें भी गोरक्षपीठाधीश्वर परंपरागत रूप से शामिल होते हैं। इस साल योगी की अगुआई में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में रिकॉर्ड जीत के बाद होने वाले होली के इस आयोजन का रंग स्वाभाविक रूप से और चटक होगा। पार्टी के अलावा लोंगों में भी इसको लेकर अभूतपूर्व उत्साह है। उसी अनुरूप तैयारियां भी हैं।

 

 (आईएएनएस)

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