योगी के गढ़ में चुनावी टक्कर, कर्मभूमि में चुनावी रणकौशल की परीक्षा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 योगी के गढ़ में चुनावी टक्कर, कर्मभूमि में चुनावी रणकौशल की परीक्षा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-01 11:52 GMT
योगी के गढ़ में चुनावी टक्कर, कर्मभूमि में चुनावी रणकौशल की परीक्षा
हाईलाइट
  • पहली बार विस में आमने सामने योगी और आजाद

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी की सियासत में गोरखपुर शहर की विधानसभा सीट को काफी अहम माना जा रहा है।  गोरखपुर जिले में आने वाली 9 सीटों में से एक है। इस सीट पर वोटिंग 3 मार्च को होगी। सीट से पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने सपा से सुभावती शुक्ला, बसपा से ख्वाजा शमशुद्दीन, आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद भी पहली बार चुनाव लड़ रहे है और उन्होंने पहली ही दफा में योगी के सामने अपना चुनावी बिगुल फूंका है। वहीं कांग्रेस से चेतना पांडेय चुनावी मैदान में हैं। 

जीत का सियासी अतीत

अभी तक की चुनावी जीत के इतिहास से पता चलता है कि सीट पर बीजेपी का गढ़ रहा है। लेकिन इस बार  गोरखपुर शहर का चुनाव दंगल की सियासी जंग बेहद रोचक मोड़ में नजर आ रही है। क्योंकि गोरखपुर इलाका सूबे के सीएम योगी की कर्मभूमि रही है, और ये इलेक्शन बीजेपी के महारथी योगी आदित्यनाथ के रणकौशल की परीक्षा है।

चार दशक में केवल चार बार ही इस सीट कोई गैर भाजपाई जीता है। इसके अलावा  यहाँ की जनता ने चुनावी नतीजों में ज्यादातर कमल के फूल वाले प्रत्याशी को  ही आशीर्वाद दिया है।   1977 में जनता पार्टी के अवधेश कुमार श्रीवास्तव, 1980 में इंदिरा कांग्रेस और 1985 में कांग्रेस के टिकट पर सुनील शास्त्री ने जीत हासिल की थी। साल 1989 में भगवा रंग का परचम लहराया है। पिछले 33 सालों में हुए कुल 8 विधानसभा चुनावों में 7 बार BJP ने और 1 बार हिन्दू महासभा ने जीत दर्ज की थी। 1989, 1991, 1993 और 1996 में लगातार चार बार इस सीट से बीजेपी के शिवप्रताप शुक्ला विधायक चुने गए वहीं वर्ष 2002 में अखिल भारतीय  हिंदू महासभा के टिकट पर डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल योगी आदित्यनाथ के आशीर्वाद से  जीत का मजा चका। बाद में योगी आदित्यनाथ और अग्रवाल बीजेपी में ही शामिल हो गए थे। तब से गढ़ पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा है। 
गोरखपुर को भाजपा के अभेद्य किले में गिना जाता है।  

2017 का चुनावी गणित

2017  विधानसभा चुनाव के परिणामों में सीट पर कमल खिला। बीजेपी के टिकट पर उतरे राधा मोहन दास अग्रवाल ने कांग्रेस के राणा राहुल सिंह को  चुनावी लड़ाई में बड़े अंतर से मात दी । आपको बता दें  इस सीट पर अभी तक सपा य बसपा का खाता नहीं खुला है। 

जातीय आंकड़ा
गोरखपुर शहर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट में 4 लाख 53 हजार से अधिक मतदाता हैं। इनमें सबसे अधिक 95 हजार मतदाता कायस्थ वर्ग के हैं। ब्राह्मण और मुस्लिमों की आबादी करीब  55 हजार, 55  हजार मानी जाती है, जबकि 25 हजार क्षत्रिय, 45 हजार वैश्य, 25 हजार निषाद, 25 हजार यादव, 20 हजार दलित और 30 हजार सैनी (माली) जाति के वोटर्स  हैं। इस क्षेत्र में पंजाबी, सिंधी, बंगाली, सैनी वोटर कुल 30 हजार हैं। साल 2017 में गोरखपुर शहर में कुल 55.85 प्रतिशत वोट पड़े थे।

अहम चुनावी मुद्दे
विकास
जातिवाद
गोरक्षपीठ का प्रभाव

अहम उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि रहा गोरखपुर ने योगी को 1998 से 2017 तक सांसद के रूप में चुना बाद में 2017 में यूपी में जैसे ही बीजेपी की सरकार सत्ता में आई तो  योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की गद्दी दे दी गई।  पांच साल  से मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि सीट से मजबूत दावेदार योगी को  ही माना जा रहा हैं। शहर विधानसभा क्षेत्र में ही गोरखनाथ मठ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही गोरक्षपीठाधीश्वर हैं।  क्षेत्र में जनता के बीच योगी विकास के मसीहा के रूप में प्रसिद्ध है।

सियासी रण में सभी उम्मीदवार मज़बूती के साथ वोटरों को लुभाने में लगे हैं। विकास की गंगा बहाने के दावे हर दल की तरफ से किये जा रहे हैं। बीजेपी विकास के नाम पर वोट मांग रही है वहीं सपा बसपा बीजेपी के दावों को झूठलाकर विकास के नए वादे कर वोटर्स से वोट मांग रहे है। हालांकि चुनाव प्रचार अब थम गया है।  अब जनता का प्यार और आशीर्वाद किसे मिलेगा ये 10 मार्च को आने वाले नतीजे ही तय करेगे। 


 

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