गुजरात चुनाव में ओवैसी और आप की एंट्री से कांग्रेस में मची खलबली, सता रहा अल्पसंख्यक वोट बैंक बिखरने का डर
गुजरात विधानसभा चुनाव गुजरात चुनाव में ओवैसी और आप की एंट्री से कांग्रेस में मची खलबली, सता रहा अल्पसंख्यक वोट बैंक बिखरने का डर
डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस को अपने पारंपरिक वोट बैंक के बिखरने का डर सता रहा है। राज्य में हुए पिछले विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला होता था। यहां के अल्पसंख्यक वोट बैंक हमेशा से कांग्रेस को वोट देते आए हैं, खासकर मुस्लिम वोटर। इसका प्रमुख कारण इस वर्ग के पास विकल्प की कमी होना रहा है। लेकिन, इस बार के चुनावों में तस्वीर बदली हुई नजर आ रही है।
आप और ओवैसी की एंट्री से बढ़ी कांग्रेस की मुश्किलें
इस बार के गुजरात विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी पूरी तैयारी के साथ चुनाव में उतर रही है। वहीं असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी ने भी प्रदेश की कई विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा है। सबसे पहले बात करें ओवैसी की तो उन्होंने 14 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारें हैं। कहने को तो 14 उम्मीदवार की संख्या बेहद कम है। लेकिन, यह 14 उम्मीदवार उन्होंने उन सीटों पर खड़े किए हैं जहां कांग्रेस पार्टी का कई सालों से दबदबा रहा है। इसके अलावा ओवैसी इन सीटों पर आक्रमक तरीके से प्रचार कर रहे हैं। वह अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों पर सत्ताधारी बीजेपी को जमकर घेर रहे हैं। इन सीटों पर ओवैसी बीजेपी को मुसलमान विरोधी बताकर वोटरों को अपने पक्ष में करने की कवायद में मजबूती के साथ जुटे हुए हैं।
हाल ही में ओवैसी ने गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान पर पलटवार किया, जिसमें उन्होंने 2002 में हुए गुजरात दंगों का जिक्र किया था। अमित शाह ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि "2002 में जब मोदी गुजरात के सीएम थे तब इन्होंने हिंसा करने की हिम्मत की थी। उस समय इनको ऐसा पाठ पढ़ाया कि आज 22 साल हो गए लेकिन इनकी फिर कभी ऐसा कुछ करने की हिम्मत नहीं पड़ी। दंगा करने वालों को गुजरात से बाहर जाना पड़ा। बीजेपी ने गुजरात में शांति स्थापित करने का काम किया।"
अमित शाह के बयान पर ओवैसी का पलटवार
अमित शाह के इस बयान के बाद सब को उम्मीद थी कि प्रदेश के सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस की पहली प्रतिक्रिया आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस के पहले इस मौके को पहली बार चुनाव में हिस्सा ले रही एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने लपक लिया। उन्होंने अमित शाह के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, "मैं अमित शाह से कहना चाहता हूं कि आपने 2002 में जो सबक सिखाया था वो यह था कि आप बिल्किस बानों का बलात्कार करने वालों को छोड़ देंगे। पूरे देश में आप लोगों ने हमें बेइज्जत करने का काम किया।"
चुनाव में ओवैसी पहुंचाएंगे भाजपा को फायदा?
कांग्रेस समेत कई पार्टियां ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बताते हैं। पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में भी ओवैसी की पार्टी ने आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन को तगड़ा नुकसान पहुंचाया था। इसके अलावा हाल ही में बिहार की गोपालगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी ओवैसी पर बीजेपी की बी टीम होने के आरोप लगे थे। ऐसे में इस बार ओवैसी ने उन सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे हैं जहां पिछले चुनाव में बीजेपी कांग्रेस के बीच या तो कांटे की टक्कर हुई थी या फिर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। उदाहरण के तौर पर बात करें गोधरा विधानसभा सीट पर हुए 2017 के चुनाव की तो इस सीट पर कांग्रेस-बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर हुई थी जिसमें बीजेपी ने महज 293 वोटों से जीत हासिल की थी। इस सीट पर भी ओवैसी ने अपना कैंडिडेट उतारा है। ऐसे में यहां अल्पसंख्यक वोटरों का बिखरा निश्चित माना जा रहा है। जिसका पूरा लाभ बीजेपी को मिलता हुआ दिख रहा है। इसके अलावा 2021 में राज्य में हुए निकाय चुनावों में भी आप और ओवैसी की पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था और कई स्थानों पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था।
इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को नहीं उतारा है। वहीं कांग्रेस ने 6 और आप ने 2 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। जबकि ओवैसी की पार्टी की ओर से सभी उम्मीदवार मुस्लिम ही हैं। ऐसे में कांग्रेस को इस चुनाव में अपने पारंपरिक वोट बैंक के बिखरने का डर सता रहा है।