आने वाले चुनावों की तस्वीर खींचेंगे उपचुनाव के नतीजे,पार्टियों में बढ़ेगी अंतर्कलह या दिखेगा चुनावी मैनेजमेंट!
उपचुनाव के नतीजे आने वाले चुनावों की तस्वीर खींचेंगे उपचुनाव के नतीजे,पार्टियों में बढ़ेगी अंतर्कलह या दिखेगा चुनावी मैनेजमेंट!
- अपनी अपनी इमेज और पॉवर का सवाल
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में चार सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम नेताओं की अपनी अपनी राजनैतिक छवि के सवाल का हल होगा। अब देखना होगा किस राजनेता की पॉलिटिकल इमेज चमकती है और किसकी धुंधली पड़ती है। राजनीतिक गलियारों में चल रही खबरों के मुताबिक उपचुनाव के नतीजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की पॉवर पर असर डालेगी। जिसके पक्ष में परिणाम दिखेगा उसकी आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति में बल्ले बल्ले होने वाली है।
शिवराज पर सवाल नहीं, पार्टी में कहां है अंतर्कलह?
भले ही उपचुनाव एक लोकसभा सीट औऱ तीन विधानसभा सीट पर हुआ है लेकिन इसके चुनावी परिणाम दूरगामी निकलने के उम्मीद है। अभी दो दो सीटें कांग्रेस और बीजेपी के कब्जे में थीं। यदि किसी भी पक्ष से सीट घटती है तो ये बात तय है पार्टी हाईकमान उनकी पूछताछ और रणनीति को अनुसुना कर देगा। वहीं विरोधियों की आवाज तेज होने लगेगी। विरोधियों के तीखे हमले की बरसात से बचने के लिए पार्टी हाईकमान उनके पद पर बने रहने या हटाने पर विचार करेगा। यदि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बात करें तो चारों सीटों पर उनका चुनावी परिणाम उनका साथ देता है तो माना जा रहा है कि सीएम शिवराज अपने पक्ष में भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इसके जरिए वे अपने प्रतिद्वंदियों को लताड़ लगाते रहेंगे। यदि चुनावी नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं दिखते तब बीजेपी राज्य मुखिया के साथ साथ प्रदेश के जिम्मेदार नेताओं की क्लास लेने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इससे पहले भी उपचुनाव में बीजेपी दमोह विधानसभा सीट हार चुकी है। ये उपचुनाव परिणाम केवल शिवराज की नाक का सवाल नहीं बल्कि बीजेपी में मची अंतर्कलह को व्यक्त करेगी। क्योंकि दमोह सीट पर बीजेपी पार्टी में जो बयानबाजी सामने आई वो एक बार फिर सामने आ सकती है।
कमलनाथ का कद बढ़ेगा या कम होगा
वहीं कांग्रेस में सभी पदों को घेर के बैठे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ यदि अपनी दो सीट बचाने के साथ साथ कोई नयी उपलब्धि हासिल करते है, तो वह उनके लिए प्लस पॉइंट होगा। जिसे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के चुनावी मैनेंजमेंट और 2023 के चेहरे के तौर पर देखा जाएगा। यदि कांग्रेस दो सीट बचाने में कामयाब नहीं हो सकी तब इस हार का ठीकरा कांग्रेस में एक नयी अंतर्कलह और कमलनाथ विरोधी स्वर के रूप में उभरने की उम्मीद है। कमलनाथ के विरोधी उनके कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष, विपक्ष के नेता में से कोई एक पद छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आगे भी अभी तक उनके नेतृत्व में कांग्रेस जो चुनाव लड़ते आई है। आगे उस पर विराम लगने की उम्मीद है।