ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अनुब्रत मंडल की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने टाली
मवेशी घोटाला ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अनुब्रत मंडल की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने टाली
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कद्दावर नेता अनुब्रत मंडल की उस याचिका को एक जून तक के लिए स्थगित कर दिया, जिसमें निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी के मामले में उन्हें डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार किया गया था। मंडल ने राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश रघुबीर सिंह के 24 जनवरी के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था, 24 जनवरी को उन्हें राहत देने का कोई कारण नहीं बताते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था। मामले में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए मंडल के वरिष्ठ वकील ने बुधवार को न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ के समक्ष अर्जी दाखिल की।
उन्होंने दलील दी: माई लॉर्ड! दलीलें पूरी हो चुकी हैं, और हमें प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मिल गया है। यह धारा 167 की अर्जी है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी कहता है कि 15 दिनों के भीतर इसका निस्तारण किया जाना चाहिए। केस में चार महीने की तारीख दी जाती है माई लॉर्ड! ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने प्रस्तुत किया: माई लॉर्डस कोई भी सुविधाजनक तारीख दी जा सकती है। प्रस्तुतियां पर ध्यान देते हुए, न्यायमूर्ति शर्मा ने मामले को 1 जून को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।
ईडी के विशेष लोक अभियोजक नीतेश राणा ने पहले कहा था कि मंडल की जमानत अर्जी निराधार है। ईडी ने मंडल को सीमा सुरक्षा बल के तत्कालीन कमांडेंट सतीश कुमार के खिलाफ कोलकाता में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर गिरफ्तार किया था। 21 दिसंबर, 2022 को मंडल ने ईडी के मामले में राउज एवेन्यू अदालतों द्वारा पेशी वारंट जारी करने को चुनौती देते हुए एचसी का रुख किया था। 19 दिसंबर को राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी को उन्हें दिल्ली लाने की अनुमति दी थी। सीबीआई द्वारा 7 अक्टूबर को आसनसोल कोर्ट में दायर चौथे चार्जशीट में मंडल का नाम शामिल किया गया था, मंडल के पूर्व बॉडीगार्ड सहगल हुसैन को 10 जून को गिरफ्तार किया गया था। 8 अगस्त को दायर सीबीआई की तीसरी चार्जशीट के अनुसार, वह सरगनाओं में से एक था। हुसैन फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।
सीबीआई को संदेह है कि मवेशी तस्करी से होने वाले मुनाफे का इस्तेमाल 2014 में या उसके बाद निष्पादित 168 भूमि और संपत्ति के कामों में से 24 को खरीदने के लिए किया गया था। सीबीआई के अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने इन संपत्ति के कामों में मंडल के संदिग्ध लिंक का पता लगाया है। शेष 144 पंजीकरण पत्रों पर उनके रिश्तेदारों, सहयोगियों और उनके रिश्तेदारों के नाम हैं। मंडल की बेटी सुकन्या, जिनके लाभार्थियों में शामिल होने का संदेह है, उनको नवंबर 2022 में ईडी ने अपने दिल्ली कार्यालय में बुलाया था। सीबीआई की जांच में पता चला कि वह दो कंपनियों, नीर डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड और एएनएम एग्रोकेम फूड्स प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक हैं।
(आईएएनएस)
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