दिल्ली हाईकोर्ट ने आप की मान्यता रद्द करने की याचिका पर केंद्र, शहर की सरकार से जवाब मांगा
नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने आप की मान्यता रद्द करने की याचिका पर केंद्र, शहर की सरकार से जवाब मांगा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा कथित रूप से नियम का उल्लंघन कर गणेश चतुर्थी त्योहार के प्रचार के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग किए जाने के आरोप और पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा है। अधिवक्ता-याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा के अनुसार, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य मंत्रियों को संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के जानबूझकर उल्लंघन के कारण उनके पदों से हटा दिया जाना चाहिए।
याचिका में दावा किया गया है कि शहर की सरकार ने 10 सितंबर, 2021 को एक गणेश चतुर्थी कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसे टीवी चैनलों पर प्रसारित किया गया था और राज्य को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान की घोषणा के तहत धार्मिक समारोहों को बढ़ावा देने से प्रतिबंधित किया गया है। इसमें कहा गया है कि चूंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, इसलिए किसी भी सरकार को जनता के पैसे का उपयोग करते हुए धार्मिक गतिविधियों में शामिल होते नहीं देखा जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा : इस अदालत के 20 सितंबर, 2021 के आदेश से पता चलता है कि प्रतिवादी के वकील को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया गया था। प्रतिवादी संख्या 1 और 2 (केंद्र और दिल्ली सरकार) ने उन्होंने अपने जवाब दाखिल नहीं किए। उन्हें आवश्यक कार्रवाई करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया है।
हालांकि, चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट के 20 सितंबर, 2021 के आदेश के अनुसार अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। इससे पहले, दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि यह एक जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में दायर पूरी तरह से प्रेरित और शरारती याचिका थी, जिसे खारिज करने की जरूरत है।
मेहरा ने कहा था कि मुख्यमंत्री ने मीडिया से उन लोगों के लिए उत्सव को कवर करने का अनुरोध किया था, जो अपने घरों से इसमें भाग ले सकते थे, क्योंकि शहर की सरकार ने पंडाल लगाने से मना कर दिया था, ताकि भीड़ को कम किया जा सके। याचिका के अनुसार, भारतीय दंड संहिता की धारा 408 (विश्वास का आपराधिक उल्लंघन) और 420 (धोखाधड़ी) राज्य द्वारा धार्मिक कार्यो या ट्रस्टों के प्रचार या वित्त पोषण के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग करके लागू की जाती हैं।
(आईएएनएस)
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