बिहार सरकार के एक फैसले से किस्मत बदली सजायाफ्ता आनंद मोहन की, सहरसा जेल से साढ़े चार बजे हुए रिहा, विपक्ष सीएम नीतीश पर हमलावर

आनंद की रिहाई पर बवाल बिहार सरकार के एक फैसले से किस्मत बदली सजायाफ्ता आनंद मोहन की, सहरसा जेल से साढ़े चार बजे हुए रिहा, विपक्ष सीएम नीतीश पर हमलावर

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-27 04:30 GMT
बिहार सरकार के एक फैसले से किस्मत बदली सजायाफ्ता आनंद मोहन की, सहरसा जेल से साढ़े चार बजे हुए रिहा, विपक्ष सीएम नीतीश पर हमलावर

डिजिटल डेस्क,पटना। बाहुबली आनंद मोहन सहरसा जेल से रिहा हो गए हैं। उनकी रिहाई की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद आज सुबह 4.30 बजे जेल से रिहा कर दिया गया। आपको बता दें कि, गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी की हत्या के मामले में वो 15 सालों से अधिक जेल में रहे हैं। वहीं आनंद मोहन की रिहाई पर जबरदस्त तरीके से राजनीति भी हो रही है। बिहार में विपक्ष में बैठी बीजेपी नीतीश सरकार पर हमलावर है। जबकि सत्ता में मौजूद आरजेडी सारी नियम प्रक्रिया के तहत आनंद की रिहाई बता रही है।

दरअसल, सीएम नीतीश कुमार पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने कारा नियमों में बदलाव इसलिए किया ताकि वो आनंद मोहन को रिहा करा सके। विपक्ष का कहना है कि नीतीश कुमार ने एक सजायाफ्ता को जेल से बाहर करके आगामी चुनाव में राजपूतों के वोट पाने के लिए ऐसा किया है। बता दें कि, नीतीश कुमार के इस फैसले को लेकर पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल हो चुकी है और बिहार सरकार की अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांक्षी ने किया आनंद का समर्थन

आनंद मोहन की रिहाई पर अलग-अलग राजनीतिक दलों का बयान सामने आ रहा है। नीतीश सरकार के साथ सत्ता में मौजूद हिंदुस्तान आवाम मोर्चा यानी एचएएम के मुखिया जीतन राम मांक्षी ने भी अपना समर्थन आनंद मोहन को दिया है। उन्होंने कहा, "यह रिहाई कानूनी कार्रवाई के तहत हो रही है। हम आनंद मोहन को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, वह कोई क्रिमिनल नहीं थे, जिनकी हत्या हुई वो दलित थे। हत्या उचित नहीं थी, लेकिन जो सजा तय की गई थी उसे आनंद मोहन ने पूरा किया। अब सजा के बाद भी जेल में रखना कहां का नियम है।" 

क्या है मामला?

दरअसल, साल 1994 में गोपालंगज जिले के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या कर दी गई थी। जिसमें आनंद मोहन का नाम सामने आया था। इस पूरे मामले में कोर्ट ने आनंद मोहन को दोषी पाया था और मौत की सजा भी सुनाई थी। लेकिन बाद में ये सजा आजीवन कारावास में बदल गई थी। इस मामले में आनंद को न तो पटना हाईकोर्ट से न ही सुप्रीम कोर्ट से किसी तरह की राहत मिली थी। हालांकि, 15 सालों से अधिक सजा काटने के बाद नीतीश सरकार के एक फैसले की वजह से आनंद मोहन की रिहाई हो गई है।

नीतीश सरकार का यह फैसला बना आनंद के लिए जीवनदान

आनंद मोहन समेत 27 बंदियों को बिहार सरकार कारा अधिनियम में बदलाव करके जेल से रिहा करने का फैसला किया है। बिहार सरकार ने कारा हस्तक 2012 के नियम 481 आई में संशोधन किया है। 15 साल की सजा काट चुके आनंद मोहन की तय नियमों की वजह से रिहाई संभव नहीं थी। लेकिन इन नियमों में नीतीश सरकार ने बदलाव करते हुए अब ड्यूटी करते समय सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी से हटा दिया है। जिसकी वजह से आनंद की रिहाई संभव हो पाई है। वहीं बीते 10 अप्रैल को ही बदलाव की अधिसूचना सरकार ने जारी की थी तभी से सुगबुगाहट थी की शायद बाहुबली आनंद की रिहाई हो सकती है और आज पूरी घटना सबके सामने है।

सरकार के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे- जी कृष्णैया की बेटी

दिवगंत जी कृष्णैया के परिवार वालों ने आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल खड़े किए हैं और नीतीश सरकार से अपने फैसले पर फिर से विचार करने को कहा है। जी कृष्णैया की बेटी पद्मा ने आनंद मोहन की रिहाई पर कहा,"नीतीश कुमार ने जो आनंद मोहन की रिहाई का फैसला लिया है वह बहुत ही गलत है। हम चाहते हैं कि सरकार इसपर पुनर्विचार करे। हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।" 

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