रामचरितमानस पर और गर्मा सकती है सियासत, स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थकों ने जलाई रामचरितमानस की प्रतियां
रामचरितमानस पर राजनीति रामचरितमानस पर और गर्मा सकती है सियासत, स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थकों ने जलाई रामचरितमानस की प्रतियां
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। रामचरितमानस पर बवाल बढ़ता ही जा रहा है। बीते रविवार को समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी की थी। तभी से स्वामी का साधु संत समाज और भाजपा खुलकर विरोध कर रही हैं। कुछ लोग उनके समर्थन में आ खड़े हुए हैं।
वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सपा कार्यकर्ताओं और अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया है। ओबीसी महासभा ने रविवार को पीजीआई के वृंदावन योजना में रामचरितमानस का खुलकर विरोध किया, और नारेबाजी भी की। इस दौरान उनके कुछ समर्थकों ने रामचरितमानस की प्रतियों को भी जलाया। ओबीसी महासभा के विरोध के बाद एक बार फिर इस मुद्दे को लेकर हंगामा खड़े होने के आसार दिख रहे हैं।
कई धाराओं में केस हुआ दर्ज
दरअसल, बीते रविवार को एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरितमानस पर एक विवादित बयान दिया था। जिसके बाद से ही सपा नेता को विरोध का सामाना करना पड़ रहा हैं। उन्होंने कहा था कि, तुलसीदास की रामचरितमानस कुछ विशेष वर्गों के खिलाफ है। ब्राह्मण पढ़ा लिखा न हो लेकिन उसकी पूजा करों, अगर कोई छोटे वर्ग का है वो कितना भी पढ़ा लिखा क्यों न हो उसकी इज्जत ना करों। मैं ऐसी पुस्तक को नहीं मानता।
उन्होंने आगे कहा था कि, रामचरितमानस के कुछ अंश को हटा देना चाहिए बल्कि सरकार से मैं मांग करता हूं कि इस पूरे पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। सपा नेता के इस बयान के बाद बीजेपी काफी आक्रामक दिखाई दी थी। हालांकि, अभी भी प्रसाद के इस बयान पर बवाल मचा हुआ है। बता दें कि, स्वामी प्रसाद मौर्या पर धार्मिक भावना को आहत करने के खिलाफ कई धाराएं में केस दर्ज हो चुका हैं। इनमें 295 ए ,153 ए, 505(2) और 504 जैसी प्रमुख धाराएं हैं।
बिहार से ऊठा था बवाल
गौरतलब है कि, सबसे पहले रामचरितमानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चन्द्रशेखर ने विवादित बयान दिया था। शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस को समाज में द्वेष फैलाने वाला बताया था। जिसके बाद से बिहार बीजेपी काफी आक्रामक दिखाई दी थी और सीएम नीतीश कुमार से कार्रवाई करने की मांग कर डाली थी। हालांकि, चन्द्रशेखर की पार्टी राजद ने उनका बचाव किया था। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने नेता का बचाव करते हुए कहा था कि, संविधान ने सबको आजादी दी है ताकि लोग अपनी बात कह सकें। लेकिन आरजेडी के साथ बिहार में सरकार चला रही जदयू ने इसकी आलोचना की थी और शिक्षा मंत्री को सही बोलने तक की नसीहत दे डाली थी। हालांकि, अब देखना होगा कि रामचरितमानस पर यह विवाद और कहां तक जाता है।