उदयपुर चिंतन शिविर के बाद राष्ट्रपति चुनाव के बारे में निर्णय करेगी कांग्रेस
चिंतन शिविर पर होगा मंथन उदयपुर चिंतन शिविर के बाद राष्ट्रपति चुनाव के बारे में निर्णय करेगी कांग्रेस
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। कांग्रेस अगले सप्ताह उदयपुर में आयोजित होने वाली चिंतन शिविर के बाद ही राष्ट्रपति चुनाव के बारे में निर्णय लेगी।कांग्रेस के पास इस चुनाव को लेकर उत्साहित होने की कोई वजह नहीं है। चुनावों में खराब प्रदर्शन के कारण कांग्रेस के पास अपने बूते भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को टक्कर देने की ताकत नहीं बची है।
अभी सबकी नजरें विपक्षी दलों की ओर से सर्वसम्मति से एक दावेदार पेश किये जाने की कोशिशों पर टिकी हैं। अभी विपक्षी दलों की रणनीति भी साफ नहीं है और यह खुलासा अभी होना बाकी है कि विपक्षी दल अपने उम्मीदवार के रूप में किसे और कब पेश करेंगे।
सत्तारुढ़ गठबंधन के पास करीब 1,17,000 वोट हैं और वह बहुमत से थोड़ी दूर है। ऐसी हालत में गठबंधन में नहीं शामिल होने वाले क्षेत्रीय दल महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी पार्टी चिंतन शिविर पर ध्यान दे रही है। अभी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कोई गंभीर चर्चा नहीं हो रही है। हालांकि शिविर में इस पर चर्चा हो सकती है।
कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि हो सकता है कि पार्टी संयुक्त विपक्षी दल के साथ जाये। यह एक तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के गठबंधन की ताकत का परीक्षण भी माना जा सकता है।कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि हो सकता है कि जून में इस पर चर्चा हो और सोनिया गांधी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में शामिल सभी दलों से बात करें लेकिन यह जरूर तय है कि गठबंधन अपना प्रत्याशी खड़ा करेगा।
कांग्रेस के एक अन्य सूत्र ने बताया कि पार्टी विपक्षी दलों के प्रत्याशी को समर्थन दे सकती है लेकिन भाजपा के प्रत्याशी को नहीं। हालांकि, साल 2002 में कांग्रेस ने भाजपा के प्रत्याशी डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का समर्थन किया था लेकिन वह दौर अटल बिहारी वाजपेयी का था। वाजपेयी विपक्ष को साथ लेकर चलना जानते थे।
कलाम ने 2002 के राष्ट्रपति चुनाव में वामपंथी दलों की प्रत्याशी लक्ष्मी सहगल को मात दी थी। उन्हें कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का भी समर्थन प्राप्त था।कई विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी पार्टियां एकमत होकर संयुक्त प्रत्याशी पेश नहीं कर पायेंगी क्योंकि कई क्षेत्रीय दल भाजपा के साथ जाना पसंद करेंगे जैसे बीजू जनता दल और वाईएसआरसीपी।
लोकसभा में बीजद के 12 सदस्य हैं और राज्यसभा में नौ और इनके वोट क्रमश: 8,496 तथा 6,372 हैं। इसी तरह वाईएसआरसीपी के 22 सांसद हैं, जिनके लोकसभा में 15,576 और राज्यसभा में 4,248 वोट हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के लिये अपने प्रत्याशी को जीताने के लिये इतना समर्थन काफी है।
क्षेत्रीय दलों में वोट का सर्वाधिक हित द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के पास है।राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज में लोकसभा और राज्यसभा के 776 सांसद तथा राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 4,120 विधायक हैं। इनके कुल 1,098,903 वोट हैं और बहुमत के लिये 549,452 वोट होने चाहिये।उत्तर प्रदेश के पास सर्वाधिक करीब 83,824 वोट हैं जबकि महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
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