संजय राउत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन कार्रवाई पर सावधानी बरतें
शरद पवार की सलाह संजय राउत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन कार्रवाई पर सावधानी बरतें
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा शिवसेना-यूबीटी सांसद संजय राउत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की प्रक्रिया शुरू किए जाने के एक दिन बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया, इस मुद्दे पर सावधानी बरतें। संजय राउत को उनकी कथित चोर मंडली टिप्पणी के कारण विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है। 82 वर्षीय पवार ने अपनी विद्वतापूर्ण सलाह देते हुए कहा कि राउत देश की सर्वोच्च विधानसभा यानी भारतीय संसद के वरिष्ठ और सम्मानित सदस्य हैं। इसलिए, उनके खिलाफ किसी भी प्रस्तावित कार्रवाई से पहले सांसदों की तुलना में इस तरह की कार्रवाई करने की वैधता और दिशानिर्देशों की सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए। राउत का बयान अनिवार्य रूप से एक विशेष समूह के बारे में व्यक्त की गई प्रतिक्रिया है और इसका अर्थ बिना किसी व्याख्या के स्पष्ट है।
राउत की चोर मंडली वाली टिप्पणी पर बुधवार को सदन में भारी हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष राहुल नरवेकर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ सदस्यों द्वारा शिवसेना-यूबीटी सांसद के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रक्रिया शुरू करने के नोटिस को स्वीकार कर लिया। कोल्हापुर में मीडिया से बात करते हुए राउत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना का जिक्र करते हुए कहा था कि यह नकली शिवसेना है, चोरों का गिरोह है, यह विधायक दल नहीं, बल्कि चोर मंडली है। उनका यह बयान अब सदन के विशेषाधिकार हनन का मामला बन रहा है। पवार ने कहा, इसके अलावा, विशेषाधिकार समिति के स्वतंत्र और तटस्थ होने की उम्मीद है। लेकिन, राउत के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाले विधायकों को भी समिति में शामिल किया गया है। इसका मतलब है कि शिकायतकर्ता को ही न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है, फिर न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
राकांपा प्रमुख, जो राज्यसभा के सदस्य भी हैं, ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में विधायिका लोगों का सर्वोच्च प्रतिनिधि निकाय है और इसकी गरिमा को बनाए रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पता लगाने के लिए कि राउत के बयान विधायिका के बारे में हैं या किसी विशेष समूह के बारे में, इस पर सामूहिक रूप से विचार करने के लिए समिति में वरिष्ठ और निष्पक्ष सदस्यों को शामिल किया जाना चाहिए। पवार ने एक ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए याद किया कि कैसे पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार की (तत्कालीन) विपक्ष द्वारा अली बाबा-चालीस चोर शासन के रूप में आलोचना की गई थी। उन्होंने कहा कि कानून बनाने वाली संस्था (विधायिका) की ऐसी आलोचना न्यायसंगत नहीं है, फिर भी उनकी राय है कि मामले को शांति से संभाला जाना चाहिए।
(आईएएनएस)
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