अशोक गहलोत व सचिन पायलट विवाद का माइलेज उठा सकते हैं केजरीवल? गुजरात के बाद अब राजस्थान के लिए ये है आप का प्लान

आपसी फूट का फायदा उठाएगी आप! अशोक गहलोत व सचिन पायलट विवाद का माइलेज उठा सकते हैं केजरीवल? गुजरात के बाद अब राजस्थान के लिए ये है आप का प्लान

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-22 09:52 GMT
अशोक गहलोत व सचिन पायलट विवाद का माइलेज उठा सकते हैं केजरीवल? गुजरात के बाद अब राजस्थान के लिए ये है आप का प्लान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान में अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच विवाद अब राष्ट्रीय राजनीति का मुद्दा बन चुका है। सभी राजनीतिक दलों की नजर गहलोत व पायलट के बीच लंबे समय से सत्ता के लिए चल रहे संघर्ष पर है। सूत्रों की माने तो राजस्थान चुनाव से पहले सियासी जमीन मजबूत करने लिए आम आदमी पार्टी पैनी नजर बनाए हुए है। गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पांच सीटें पाकर खाता खोल लिया है साथ ही 13 फीसदी वोट भी मिले थे। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के वोट बैंक में आप ने सेंधमारी कर उसे काफी नुकसान पहुंचाया है। केजरीवाल राजस्थान कांग्रेस में आपसी फूट का फायदा उठाने के लिए यहां सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकते हैं।

आप संयोजक अरविंद केजरीवाल गुजरात चुनाव रिजल्ट से काफी गदगद है और अब अगले साल राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव पर नजर है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि आम आदमी पार्टी गहलोत व पायलट के आपसी मनमुटाव का फायदा उठाने की फिराक में है। आम आदमी पार्टी अगर गुजरात फॉर्मूले के साथ राजस्थान में उतरती है तो कांग्रेस को नुकसान पहुंचना मुमकिन भी है।

क्यों है राजस्थान पर केजरीवाल की नजर?

राजस्थान में शीर्ष नेतृत्व भले ही हर बार बताने का यह प्रयास कर रहा है कि सब कुछ ठीक चल रहा है लेकिन ऐसा नहीं है। गहलोत व पायलट खेमे के बीच सब कुछ ठीक आज भी नहीं चल रहा है। हाल ही में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से गुजर रही थी, तब दोनों नेता साथ-साथ यात्रा में राहुल के साथ चल रहे थे। ये बताने का प्रयास था कि दोनों नेताओं के बीच आपसी सहमति बन चुकी है। लेकिन यात्रा के दौरान कई मौके पर पायलट समर्थक नारेबाजी करते हैं और उन्हें राजस्थान का सीएम बनाने की मांग करते हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि राज्य में कांग्रेस दो धड़ों में बंट चुकी हैं। गहलोत व पायलट के बीच सामंजस्य कैसे बैठाया जाए ये हाईकमान के लिए भी चुनौती बनी हुई है। अब आम आदमी पार्टी इसी का फायदा उठाने के लिए राजस्थान पर कड़ी नजर बनाए हुई है।

अगले साल नवंबर में यहां विधानसभा चुनाव होना है। आप चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुटने वाली है। गुजरात चुनाव में बीजेपी के गढ़ में सेंधमारी कर पांच सीटें झटकने वाली आप का मनोबल काफी ऊंचा है। गुजरात में कांग्रेस का सबसे ज्यादा खेल आप ने ही बिगाड़ा और उसके वोटबैंक में अपनी हिस्सेदारी दर्ज कराकर वोट प्रतिशत बढ़ाया। साथ ही राष्ट्रीय पार्टी का भी दर्जा प्राप्त करने वाली है। केजरीवाल राजस्थान चुनाव को मद्देनजर रखते हुए गहलोत व पायलट के बीच सियासी जंग का माइलेज उठा सकते हैं। माना जा रहा है कि समय रहते अगर हाईकमान राजस्थान मसले को हल नहीं कर लेता है तो कांग्रेस को काफी नुकसान हो सकता है।

आप इन राज्यों के लिए भी तैयार

अगले साल देश के कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान व हरियाणा राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। आप इनमें से राजस्थान पर सबसे ज्यादा फोकस कर सकती है क्योंकि यहां कांग्रेस पूरी तरह से दो खेमों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। गुजरात में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाली आप यहां पर भी पार्टी का विस्तार करने के मूड में है। वैसे सियासी फायदे की बात करें तो आप राजस्थान में शून्य से शुरू करेगी तो उसके नुकसान कम फायदे ज्यादा होने के आसार होंगे। गुजरात जैसा ही चुनावी अभियान चलाकर केजरीवाल बीजेपी व कांग्रेस को फिर से चुनौती दे सकते हैं। अगर केजरीवाल को यहां कुछ सीट हासिल कर लेते हैं तो यह उनके लिए बड़ी कामयाबी होगी और आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक मजबूत आधार मिल सकता है। 


 

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