मेडिकल की पढ़ाई के लिए छात्रों के यूक्रेन जाने पर बिहार सीएम नीतीश ने कहा, राष्ट्रीय स्तर पर सोचने की जरूरत

बजट सत्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए छात्रों के यूक्रेन जाने पर बिहार सीएम नीतीश ने कहा, राष्ट्रीय स्तर पर सोचने की जरूरत

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-03 09:31 GMT
मेडिकल की पढ़ाई के लिए छात्रों के यूक्रेन जाने पर बिहार सीएम नीतीश ने कहा, राष्ट्रीय स्तर पर सोचने की जरूरत
हाईलाइट
  • मेडिकल की पढ़ाई का मामला उठा

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान गुरुवार को मेडिकल की पढ़ाई के लिए बिहार के छात्रों के यूक्रेन जाने का मामला उठा। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि बिहार में मेडिकल की पढ़ाई महंगी है, जिस कारण यहां के छात्रों को पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन जाना पड़ रहा है। इसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह केवल बिहार जैसे गरीब राज्य का मामला नहीं है, इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर सोचने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि यूक्रेन में फंसे छात्रों को वापस देश में लाने के लिए केंद्र सरकार लगी हुई है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह बात पहली बार सामने आई है कि भारत के सभी जगहों से छात्र केवल मेडिकल कॉलेज में पढ़ने के लिए यूक्रेन जा रहे हैं। इससे पहले ये किसी को मालूम नहीं था। हम लोगों को मालूम नहीं था कि मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए छात्र अपने राज्य और देश को छोड़कर यूक्रेन जा रहे हैं। उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि यह सब जानकारी शायद सोशल मीडिया से हो जा रही है। हमलोग तो सोशल मीडिया के पहले वाले हैं।

उन्होंने बात को आगे जारी रखते हुए कहा कि यह भी बात सामने आई कि वहां खर्च कम हो रहा है। अगर ऐसी बात है तो यह तो नेशनल लेवल पर सोचने की जरूरत है। नीतीश कुमार ने कहा कि यहां मेडिकल में एडमिशन के लिए जो परीक्षा होती है, वह पूरे देशभर में होता है। बिहार के चाहे सरकारी मेडिकल कॉलेज हो या प्राइवेट सभी में एडमिशन के लिए नेशनल लेवल के कॉम्पिटिशन को ही पास करना होता है।

अब जो बाहर जा रहा है उसको कोई परीक्षा तो देनी नहीं है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि साधारण परिवार के लोग भी बच्चों को पढने के लिए विदेश भेज रहे हैं। उन्होनें कहा कि बिहार तो गरीब राज्य है, फिर भी केवल यहीं के लोग यूक्रेन मेडिकल करने नहीं गए हैं, अमीर राज्य के लोग भी वहां पढ़ने जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस पर अब सोचने की जरूरत है कि क्या सुविधायें दी जाए, जिससे बच्चों को बाहर पढ़ने के लिए नहीं जाना पडे।

 

(आईएएनएस)

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