सभी देशों को शमन और अनुकूलन के लिए समान अवसर मिलना चाहिए : भूपेंद्र यादव

नई दिल्ली सभी देशों को शमन और अनुकूलन के लिए समान अवसर मिलना चाहिए : भूपेंद्र यादव

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-02 19:00 GMT
सभी देशों को शमन और अनुकूलन के लिए समान अवसर मिलना चाहिए : भूपेंद्र यादव
हाईलाइट
  • जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई सामूहिक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत बड़े पैमाने पर लू की स्थिति का सामना कर रहा है, जबकि अन्य समय में, विभिन्न चरम जलवायु परिस्थितियों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। साथ ही, वायु प्रदूषण अब दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इन मुद्दों के समाधान के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन साथ ही पर्यावरणविदों का आरोप है कि पर्यावरण मानदंडों को कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ऐसे तमाम मुद्दों से जुड़े सवालों के जवाब दिए।

पेश हैं साक्षात्कार के अंश :

सवाल : इंटर-गवर्नमेंट पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की हालिया रिपोर्ट ने चरम जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए दुनिया के लिए विशेष रूप से दक्षिण एशिया के लिए गंभीर परिणामों की चेतावनी दी है। हमारी जलवायु कार्य योजनाएं 2010 के दशक की हैं। इन्हें अपडेट करने के लिए सरकार क्या कर रही है?

जवाब : आईपीसीसी रिपोर्ट ने भारत की स्थिति को सही ठहराया है, इसने उन सभी बातों की पुष्टि की है जो भारत हमेशा से कहता रहा है। भारत में प्रति व्यक्ति खपत विश्व में सबसे कम है। प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदीजी ने पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली वाले लोगों पर जोर दिया है। एआर6 रिपोर्ट ठीक इसी जरूरत को रेखांकित करती है।

हमें लगता है कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई सामूहिक है और सभी देशों को इसमें योगदान देने की जरूरत है। विकसित देशों को जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अपने वादों पर खरा उतरना चाहिए। सभी देशों को शमन और अनुकूलन के लिए समान अवसर मिलना चाहिए। इसे देखते हुए, पेरिस समझौते, 2015 के हिस्से के रूप में हमारे एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) का दोहन किया गया है (राष्ट्रीय कार्य योजना के हिस्से के रूप में)। नए एनडीसी पर चर्चा हो रही है और एक केंद्रीय समिति और एक टास्क फोर्स इस पर काम कर रही है। हम अपग्रेडेशन पर भी काम कर रहे हैं।

सवाल : आपने 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) पर पूर्ण प्रतिबंध की घोषणा की है। प्रतिबंध से निपटने के लिए आपकी क्या योजना है? किस तरह की तैयारी की जा रही है और उत्पादकों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए क्या रणनीति है?

जवाब : हमने इसके बारे में अधिक से अधिक स्पष्टता लाने के लिए अधिसूचना (एसयूपी पर प्रतिबंध लगाने के लिए) के बारे में विभिन्न संघों के साथ बैठकें की हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इसे लेकर एक एप निकाला है। दिन के समय निगरानी का भी प्रावधान है।

सबसे पहले अधिसूचना, इसके बारे में जानकारी और दूसरा, उन्हें प्रतिबंध के लिए तैयार करने के लिए हितधारक परामर्श, और तीसरा, 30 जून के बाद भविष्य की निगरानी प्रणाली। निगरानी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा, इसलिए एप/एस पर बहुत ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, पर्यावरण मंत्रालय ने विशेष रूप से युवाओं के बीच जागरूकता अभियान चलाना शुरू कर दिया है।

सवाल : न केवल सर्दियों में, बल्कि दिल्ली-एनसीआर के बाहर भी वायु प्रदूषण अधिक से अधिक शहरों और लंबी अवधि तक प्रभावित करता रहा है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) या दिल्ली एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) जैसे सरकारी कार्यक्रमों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। ऐसा क्यों?

जवाब : हमने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के लिए पूरी योजना पर लगभग काम कर लिया है। हमने मुंबई में चार राज्यों के लिए एक क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया। दिल्ली-एनसीआर में हमने कई हितधारकों के साथ सीएक्यूएम के हिस्से के रूप में दो दिवसीय बैठक की और एक कार्य योजना तैयार की। अभी पिछले हफ्ते, मैंने कार्य योजना की समीक्षा की। जल्द ही हम इसे अमल में लाने की योजना बना रहे हैं।

इस साल के केंद्रीय बजट में वाहनों और उद्योगों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण का उल्लेख किया गया है। पर्यावरण मंत्रालय इस पर अन्य मंत्रालयों के साथ समन्वय कर रहा है। हम जल्द ही राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत अन्य क्षेत्रीय कार्यक्रम आयोजित करने जा रहे हैं।

सवाल : पर्यावरण मंत्रालय ने हाल ही में 13 नदियों के लिए नदी कायाकल्प डीपीआर जारी किया है। क्या आप हमें इसके बारे में और बता सकते हैं? शुरू की जाने वाली पहली परियोजना कौन सी है?

जवाब : इसे मंत्रालय ने नहीं, बल्कि भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई), देहरादून ने तैयार किया था। यह गैर-ग्लेशियर से पोषित 13 नदियों को फिर से जीवंत करने के बारे में है - गंगा नदी से परे - वानिकी हस्तक्षेप के साथ। इसमें कुछ अन्य मंत्रालय भी शामिल होंगे।

 

(आईएएनएस)

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