मप्र चुनाव के लिए हुंकार भरने से पहले अखिलेश यादव और जयंत चौधरी को लगा ऐतिहासिक झटका, जरूरी मापदंड पूरे न करने पर चुनाव आयोग ने छीन ली रालोद की पहचान
रालोद को झटका मप्र चुनाव के लिए हुंकार भरने से पहले अखिलेश यादव और जयंत चौधरी को लगा ऐतिहासिक झटका, जरूरी मापदंड पूरे न करने पर चुनाव आयोग ने छीन ली रालोद की पहचान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव से पहले एक और बड़ा झटका लगा है। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से जनता में लगातार पकड़ खो रहे जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) से केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा छीन लिया है।
ऐसे में अब पार्टी को अपना रिजर्व सिंबल नल चुनाव चिह्न को खोना पड़ेगा। इससे पहले रालोद की पहचान नल चुनाव चिह्न से ही होती थी, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा छिने जाने के बाद उसकी यह पहचान भी खत्म हो गई। किसान आंदोलन का असर और मुस्लिम जाट एकता से उम्मीद लगाए बैठे जयंत चौधरी को 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में कुछ खास सफलता हासिल नहीं हुई थी। पार्टी यूपी में 33 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी। लेकिन केवल 9 सीटों पर सिमट कर रह गई।
जयंत चौधरी के सामने मुश्किलों का पहाड़
फिलहाल जयंत चौधरी दोहरी चुनौती की मार झेल रहे हैं। एक तरह जयंत चौधरी पार्टी जनाधार जुटाने में असफल हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर उन्हें अब दशकों पुराने सिंबल को गंवाना पड़ा है। जयंत चौधरी पर लगे इस झटके का असर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के ऊपर भी पड़ा है। क्योंकि वे राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन में हैं। दोनों दलों ने 2022 के विधानसभा चुनाव में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। गौरतलब है कि, किसी भी पार्टी को राज्य स्तरीय दल के साथ गठबंधन करने के लिए उसे विधानसभा चुनाव में 3 फीसदी सीटें हासिल करने की जरूरत होती है या फिर उसे विधानसभा में तीन सीटें होनी चाहिए।
राजनीतिक विरासत को बचाने की चुनौती
रालोद पार्टी को ऐतिहासिक झटका तब लगा जब सालभर से ज्यादा चले किसान आंदोलन का केंद्र पश्चिम यूपी था, जिसे पार्टी का गढ़ माना जाता है। इसके अलावा जाट बिरादरी का भी इस आंदोलन से जुड़ाव देखने को मिला था। इसके बावजूद भी इस क्षेत्र में भाजपा को बड़ी बढ़त मिली थी। ऐसे में कभी किसान राजनीति से देश के प्रधानमंत्री का सफर तय करने वाले चौधरी चरण सिंह की राजनीतिक विरासत अब कमजोर पड़ती हुई दिखाई दे रही है। आपकों बता दें कि, पार्टी की नींव पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह ने रखी थीं।
एमपी सियासी समीकरण की शुरूआत पहले झटका
14 अप्रैल को डॉक्टर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर उनके जन्म स्थान महू (इंदौर) में अखिलेश यादव और जंयत मध्य प्रदेश में चुनावी हुंकार भरने वाले थे। लेकिन उससे पहले जयंत चौधरी को लगे इस झटके ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है। बता दें कि, एमपी के महू में अंबेडकर जंयती के दिन आजाद समाज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और समाजवादी पार्टी एक बड़ा आयोजन करने वाली हैं। इस कार्यक्रम के दौरान मंच पर समाजवादी पार्टी नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर रावण एक मंच पर दिखाई देंगे।