सौरभ गांगुली के ट्वीट के बाद फिर शुरू हुआ कयासों का दौर, जानिए गांगुली के बीजेपी में शामिल होने के बाद कैसे बदलेगी पश्चिम बंगाल की राजनीति?
गांगुली क्यों हैं जरूरी? सौरभ गांगुली के ट्वीट के बाद फिर शुरू हुआ कयासों का दौर, जानिए गांगुली के बीजेपी में शामिल होने के बाद कैसे बदलेगी पश्चिम बंगाल की राजनीति?
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर और बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने एक ट्वीट कर सबको चौंका दिया है। ट्वीट के बाद से ही उनके बीसीसीआई अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के कयास लगाए जाने लगे हैं।
दरअसल उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मैं कुछ नया करने की योजना तैयार कर रहा हूं। जो शायद मुझे लगता है बहुत लोगों की मदद करेगा। उन्होंने अपने ट्वीट पर आगे लिखा मुझे आशा है कि मेरे जीवन के इस नए अध्याय में भी आप समर्थन जारी रखेंगे।
हालांकि ऐसा नहीं है कि कयासों का दौर सौरभ गांगूली के इस ट्वीट के बाद से ही चालू हुआ है। हाल ही में पश्चिम बंगाल के दौरे पर गए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब सौरभ गांगुली के घर पर भोजन किया था तब से ही कयासों का दौर चालू हो गया था। उनकी अमित शाह के साथ हुई मुलाकात के बाद से ही कयास लगाए जा रहे कि वह राजनीति में कदम रख सकते है। कयास यह लगाए जा रहे थे कि वह बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो सकते है। हालांकि अभी तक किसी भी तरह का ऑफिसियल अनाउंसमेंट नहीं किया गया है।
— Sourav Ganguly (@SGanguly99) June 1, 2022
बीजेपी को मिल सकता है बंगाल में फायदा
जिस तरह से कयास लगाए जा रहे है कि सौरभ गांगुली बीजेपी में शामिल हो सकते है अगर ऐसा होता है तो बीजेपी को बंगाल में एक बड़ा चेहरा मिल सकता है जिसे पार्टी आने वाले लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश कर सकती है। राजनैतिक जानकारों का मानना है कि सौरभ गांगुली के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी को फायदा जरूर मिल सकता है। हालांकि इसमें भी जानकारों के अलग अलग मत हैं। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी को बंगाल में जिस बड़े चेहरे की दरकार है सौरभ गांगुली उसे पूरा कर सकते हैं। लेकिन कुछ राजनीति जानकार इस राय से इत्तेफाक नहीं रखते. उनके मुताबिक इसमें कोई दो राय नही है कि गांगुली एक बड़ा चेहरा हैं लेकिन लोग उनको केवल एक खिलाड़ी के तौर पर ही पंसद करते है और जरूरी नहीं कि उनको लोग राजनीति में भी पंसद करें। वो भीड़ जरूर जुटाने वाला चेहरा बन सकते हैं लेकिन उसे वोट में तब्दील कर सकेंगे ये मुश्किल नजर आता है।