मध्य प्रदेश की सियासत में आप की एंट्री से डेढ़ दर्जन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस को खतरा, यहां वोटों का अंतर 1000 से कम

आप की एंट्री से खलबली मध्य प्रदेश की सियासत में आप की एंट्री से डेढ़ दर्जन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस को खतरा, यहां वोटों का अंतर 1000 से कम

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-08 10:07 GMT
मध्य प्रदेश की सियासत में आप की एंट्री से डेढ़ दर्जन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस को खतरा, यहां वोटों का अंतर 1000 से कम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक कुछ माह पहले आम आदमी पार्टी की एंट्री से बीजेपी और कांग्रेस में खलबली मच गई है। दिल्ली और पंजाब में पार्टी का परचम लहराने के बाद अरविंद केजरीवाल की नजर मध्य प्रदेश पर है। पार्टी ने राज्य के सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इसके लिए आप ने इस दिशा में एक मिसकॉल नंबर जारी किया है, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक पार्टी की आवाज पहुंच जाए। 

पंजाब, हिमाचल, गुजरात की तरह मध्य प्रदेश में आप दिल्ली का फार्मूला लागू कर सकती है। इसके अलावा संविदा पर बहाल कर्मियों को स्थाई करने का मुद्दा पार्टी विधानसभा चुनाव में उछाल सकती है। आप की अचानक एंट्री से राज्य में डेढ़ दर्जन सीटों पर खतरा मंडरा रहा है। क्योंकि इन सीटों पर सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच हार-जीत का अंतर बहुत कम है। 

इनमें वे सीटें भी है जहां 2018 में हार-जीत का अंतर 1000 वोटों के करीब रहा है। बता दें कि राज्य में कई सीटें ऐसे भी है जहां हार-जीत के अंतर से ज्यादा नोटा को वोट मिले थे। ऐसे में चुनाव में आप के उतरने से इन सीटों पर जीत का समीकरण बिगड़ सकता है। आइए समझते हैं राज्य में ऐसी कौन से सीट हैं जहां हार-जीत का फासला बहुत कम है।

बीना

इस सीट पर बीजेपी की ओर से महेश राय मैदान में थे। उन्होंने कांग्रेस के शशि कठोरिया को 632 मतों से हराया था। बीजेपी को इस सीट को बचाने में काफी ज्यादा मशक्कत करनी पड़ी। 

कोलारस 

2018 के विधानसभा चुनाव में यहां पर बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। लेकिन अंत में जीत बीजेपी की हुई। बीजेपी के बीरेंद्र रघुवंशी ने 720 वोटों से कांग्रेस के महेंद्र रामसिंह यादव को हराया दिया था। 

जावरा

इस सीट पर बीजेपी के राजेंद्र पांडेय उर्फ राजू भैया ने कांग्रेस केके सिंह कालूखेड़ा को 511 मतों से हराकर सीट बचाने में कामयाब रहे। 

ग्वालियर दक्षिण

ग्वालियर दक्षिण की सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में मुकाबला काफी ज्यादा कड़ा था। यहां पर कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने 121 मतों से बीजेपी उम्मीदवार विधायक नारायण सिंह कुशवाह को हरा दिया था।

सुवासरा

सुवासरा में कांग्रेस के हरदीप सिंह डांग ने बीजेपी के राधेश्याम पाटीदार को 350 वोटों से हराया था। लेकिन बाद वे दल बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। 

जबलपुर उत्तर 

यहां पर कांग्रेस की ओर से विनय सक्सेना ने भाजपा नेता शरद जैन को 578 वोटों से हरा दिया था। 

राजनगर

कांग्रेस के विक्रम सिंह उर्फ नातीराजा ने बीजेपी के अरविंद पटेरिया को 732 वोटों से हराया था। इस सीट को कांग्रेस ने बचाए रखने में कामयाबी हासिल की। 

दमोह

दमोह सीट पर राहुल सिंह लोधी ने बीजेपी के मौजूदा विधायक जयंत मलैया को 798 वोटों से हराया था। 

ब्यावरा

इस सीट पर कांग्रेस के गोवर्धन दांगी ने भाजपा नेता नारायण सिंह पवार को 826 वोटों से हरा दिया था। लेकिन बाद में उन्होंने पाला बदल लिया। 

राजपुर(एसटी)

यहां पर कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने बीजेपी के अंतर सिंह पटेल को 932 वोटों से हरा दिया था। 

देवतालाब

बीजेपी विधायक गिरीश गौतम ने बसपा के सीमा जयवीर सिंह सेंगर को 1,080 मतों से हरा दिया था। यहां पर बीजेपी अपनी सीट को बचाने में कामयाब रही। 

इंदौर-5

बीजेपी विधायक महेंद्र हार्डिया ने कांग्रेस के सत्यानारायण पटेल को 1,133  वोटों से हराया था। 

नेपानगर

नेपानगर सीट पर कांग्रेस की ओर से सुमित्रा देवी ने कासडेकर ने भाजपा विधायक मंजू राजेंद्र दादू को 1,236 वोटों से हराया था और फिर कासडेकर ने भी पाला बदल लिया। फिर उन्होंने उपचुनाव भी जीता था। 

जोबट 

बता दें कि, इस सीट पर हार-जीत के अंतर से ज्यादा वोट नोटा को मिले थे। यहां नोटा को 5,139 वोट मिले थे। कांग्रेस को यहां पर 2,057 मतों से जीत मिली थी। 

गुन्नौर 

भाजपा को इस सीट से 1,982 वोटों से हार सामना करना पड़ा था। यहां पर नोटा को 3,784 वोट मिले थे। 

पेटलावद 

इस सीट पर भाजपा को 5,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं यहां से नोटा को 148 वोट मिल थे।  

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