Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट ने कहा- अल्पमत में है राजस्थान सरकार, मेरे साथ कांग्रेस के 30 विधायक
Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट ने कहा- अल्पमत में है राजस्थान सरकार, मेरे साथ कांग्रेस के 30 विधायक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विधायकों की खरीद-फरोख्त की जांच कर रही स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के डिप्टी सीएम सचिन पायलट को दिए नोटिस के बाद राजस्थान की सियासत में हलचल मच गई है। राजस्थान में जारी इस सियासी उठा-पटक के बीच सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि कांग्रेस के 30 विधायक और कुछ निर्दलीय विधायक सचिन पायलट के साथ हैं। वहीं न्यूज चैनल आज तक मुताबिक सचिन पायलट ने उन्हें बताया है कि राजस्थान सरकार अब अल्पमत में है। उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी शामिल नहीं होंगे। सोमवार सुबह 10.30 बजे विधायक दल की बैठक होनी है। सचिन पायलट के भारतीय जनता के साथ संपर्क में होने की भी बात सामने आ रही है।
30 Congress MLAs and some independent MLAs in touch with Sachin Pilot and have pledged their support to him with whatever decision he takes: Sources pic.twitter.com/fh71kVslPx
— ANI (@ANI) July 12, 2020
विधायकों ने कहा- निजी काम से गए थे दिल्ली
वहीं दिल्ली पहुंचे दो विधायकों दानिश अबरार और रोहित बोहरा ने वापस जयपुर लौटकर कहा कि वे निजी कारणों से दिल्ली गए थे।
-हम कांग्रेस पार्टी के साथ हैं।हम कांग्रेस पार्टी के सिपाही हैं और जिंदगी भर रहेंगे। मेरा इतिहास है कि 90 साल से चौथी पीढ़ी में हम कांग्रेस के साथ हैं, हम किसी के साथ नहीं हैं हम कांग्रेस के साथ हैं: राजस्थान कांग्रेस के विधायक रोहित बोहरा
-सचिन पायलट जी राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और मैं राज्य पार्टी का सचिव हूं, इसलिए सचिन जी से मिलना जुलना ये तो एक रूटीन की बात है।हम तीनों का (चेतन डूडी, रोहित बेहरा और मैं) भाजपा से कोई संपर्क नहीं हुआ है: राजस्थान कांग्रेस के विधायक दानिश अबरार
सीएम गेहलोत ने बुलाई बैठक
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज रात पार्टी के विधायकों और मंत्रियों की बैठक बुलाई है। इसके साथ ही पार्टी ने राज्य में विधायक दल की बैठक भी बुलाई है। यह बैठक सोमवार सुबह 10.30 बजे मुख्यमंत्री गहलोत के आवास पर होगी। वहीं मुख्यमंत्री गहलोत ने खुद को, सचिन पायलट और अन्य लोगों को SOG की ओर से आए नोटिस पर स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने ट्वीट किया, "कांग्रेस विधायक दल ने SOG से भाजपा नेताओं द्वारा खरीद-फरोख्त की जो शिकायत की थी उस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप और अन्य कुछ मंत्रियों व विधायकों को सामान्य बयान देने के लिए नोटिस आए हैं। कुछ मीडिया संस्थानों का उसको अलग ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है।"
ये विधायक दिल्ली पहुंचे
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुरेश टांक, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, ओम प्रकाश हुडला, राजेंद्र बिधुड़ी, पीआर मीणा, रोहित बोहरा, चेतन डूडी और दानिश अबरार दिल्ली पहुंचे हैं। बाकी के विधायकों के नाम का पता नहीं चल पाया है।
तो क्या इसलिए नाराज हैं पायलट?
उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से रिश्ते अच्छे नहीं हैं। दोनों शीर्ष नेताओं के बीच तकरार की वजह राज्य की पुलिस द्वारा विधायकों की "खरीद-फरोख्त" मामले की जांच का आदेश देना और पायलट को नोटिस भेजना है, जिसे लेकर पायलट नाराज हैं।
राजस्थान विधानसभा की मौजूदा स्थिति: कुल सीटें: 200
पार्टी | विधायकों की संख्या |
कांग्रेस | 107 |
भाजपा | 72 |
निर्दलीय | 13 |
आरएलपी | 3 |
बीटीपी | 2 |
लेफ्ट | 2 |
आरएलडी | 1 |
राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायकों का समर्थन है। इसके अलावा, सरकार को 13 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। गहलोत सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन है। उधर, भाजपा के पास 72 विधायक हैं। बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।
विधायकों को 25 करोड़ का ऑफर दे रहे
शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम अशोक गहलोत ने कहा था, "बीजेपी के नेताओं ने मानवता की सारी हदें पार कर दी हैं। एक तरफ हम कोरोना से जिंदगी बचाने में लगे हैं। वहीं, ये लोग सरकार गिराने में लगे हैं।" गहलोत ने कहा था, "बीजेपी नेता सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड जिस तरह का खेल कर रहे हैं, वह राजस्थान की जनता समझ गई है। एडवांस में 10 करोड़ दे रहे हैं। फिर 15 करोड़ की बात कह रहे हैं। प्रदेश में आज तक ये परंपरा नहीं रही है। हमने हॉर्स ट्रेडिंग नहीं की। ये जो खेल कर रहे हैं, वो सबके सामने है। राजस्थान में भी माहौल बनाया जा रहा है। जिस प्रकार मध्यप्रदेश में घटना हुई है। वैसा ही राजस्थान में हो जाए।"
गहलोत ने कहा, "गोवा, मणिपुर में देखिए, वहां पर कांग्रेस की सरकारें बदली गईं। उत्तरखंड में 5 मंत्री वो हैं, जो कांग्रेस से गए। महाराष्ट्र में कमाल हो गया। बहुमत नहीं था, तब भी शपथ दिला दी गई। मध्यप्रदेश में सभी को मालूम है क्या हुआ। इनकी सोच ही यही है।"