MP का MLA : हरसूद विधानसभा सीट से बीजेपी ओर से सात बार विधायक विजय शाह की अजेयता बरकरार, जानें क्षेत्र में क्या है विकास की सच्चाई? समझें जातिगत समीकरण
बीजेपी नेता विजय शाह की हरसूद विस सीट से सात बार जीत बरकरार
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की हरसूद विधानसभा सीट देश की आजादी के बाद 1957 में वजूद में आई। जो एमपी के खंडवा जिले में आती है। यहां पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पिछले 33 सालों से जीतती आ रही है। अगर इस सीट पर जीत के फॉर्मूले की तलाश की जाए तो आप पाएंगे कि आदिवासी गोंड और कोरकू समाज के वोटर्स यहां पर जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 1990 से लगातार यहां से भाजपा जीतती आ रही है। भाजपा के कुंवर विजय शाह यहां के विधायक हैं। शाह भाजपा के लिए एक ऐसा चेहरा बनकर उभरे हैं, जिनकों हराने का फॉर्मूला अभी तक कांग्रेस ढूंढ नहीं पाई है।
साल 1977 में हरसूद विस क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए रिजर्व घोषित हुई। तब से कांग्रेस इस सीट पर अंतिम बार 1985 में जीत हासिल कर पाई थी । उसके बाद से ही कांग्रेस इस सीट पर जीत के लिए तरस रही है। हरसूद विस सीट से विजय शाह 7वीं बार विधायक हैं। इस सीट पर कांग्रेस की हार का अगर विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि इस सीट पर हार के लिए पार्टी का कमजोर संगठन सबसे बड़ा कारण है। यहां पर भाजपा के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर काम करते हुए मिल जाएंगे,लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ता यहां पर आपको कम ही देखने को मिलेगें। भाजपा के एकमात्र अजेय आदिवासी विधायक विजय शाह जब -जब राज्य में बीजेपी की सरकार बनी है, तब-तब वे मंत्री पद संभालते नजर आए हैं। भाजपा के बड़े आदिवासी चेहरे के रूप में विजय शाह जाने जाते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि इलाके की जिस सीट से वो चुनाव लड़ेंगे विजय ही होंगे। कांग्रेस के लिए पिछली बार सुखराम साल्वे इस सीट से चुनाव लड़े थे। जिन्हें विजय शाह के सामने मुंह की खानी पड़ी थी। पिछले 14 चुनावों में 8 बार भाजपा, 3-3 बार कांग्रेस व स्वतंत्र पार्टी हरसूद से विजयी रही। खंडवा जिले के हरसूद विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है।
विकास के दावों में कितनी सच्चाई
हरसूद में विकास को लेकर कांग्रेस और भाजपा के अपने-अपने दावे हैं । इस मामले पर बीजेपी विधायक और प्रदेश मंत्री विजय शाह का कहना है कि उन्होंने क्षेत्र में सडक़, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और स्कूल- कॉलेज की सुविधा के वादे पूरे किए हैं। किसानों के लिए खालवा उद्वहन सहित मोरंणा गंजाल सिंचाई परियोजना का काम जारी है। हरसूद माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना पूर्ण हो चुकी है। रोजगार के लिए युवाओं को ट्रेनिंग सहित अन्य -माध्यमों से रोजगार के मुद्दे पर काम जारी है।
तो वहीं विकास को लेकर कांग्रेस नेत्री नेहा टोनी ठाकुर का कहना है कि इंदिरा सागर बांध परियोजना से डूब प्रभावित पुनर्वास स्थल नया हरसूद के विस्थापितों को भूखंडों पर मालिकाना हक के अलावा रोजगार की उपलब्धता के लिए यहां औद्योगिक विकास नहीं हो सका। क्षेत्र के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन छनेरा के साथ नया हरसूद का नाम जोड़ने के लिए विस्थापित संघर्ष कर रहे हैं।
हरसूद क्षेत्र के लोगों का कहना है कि खालवा क्षेत्र में स्थायी रोजगार का कोई साधन नहीं है। स्थानीय लोगों ने सबसे बड़ा आरोप यहां के सरकारी कर्मचारियों पर लगाया है। उनका कहना है कि कई सालों से एक ही जगह पर जमें अधिकारी-कर्मचारी किसी की सुनते ही नहीं हैं। यहां लोकल स्तर पर आपको पैसे निकालने के लिए कहीं पर भी एटीएम मशीन नहीं मिलेगी। खालवा को तहसील का दर्जा मिलने के बाद भी क्षेत्र ग्राम पंचायत में ही सिमटा हुआ है। यहां नपं बनाने की घोषणा, घोषणा ही रह गई। पुनर्वास स्थल पर वर्षों से क्षतिग्रस्त ड्रेनेज की समस्या वर्षों से बनी है।
विधानसभा क्षेत्र के मुद्दें
इस विधानसभा के लोग विस्थापन से लगातार जूझ रहे हैं। साल 2011 में नर्मदा विकास प्राधिकरण ने इस इलाके को न्यू चंडीगढ़ की तरह बसाने का सपना दिखाया था, लेकिन इस इलाके के लोगों को आज भी अपने डूबे घर का जिक्र रोने पर मजबूर कर देता है। अब जिस आदमी को रहने का ही ठिकाना नहीं है। उसके लिए अन्य बातें कितनी महत्वपूर्ण होंगी, इसका अंदाजा आप भली-भांति लगा सकते हैं। शिक्षा और रोजगार में यह क्षेत्र बहुत पिछड़ा हुआ है। पिछले कई सालों से यहां पर बीजेपी जीतती आ रही है, लेकिन विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर अगर उनसे बात करेंगे तो वे पिछली दल पर आरोप मढ़ने लगते हैं।
जातिगत समीकरण
चुनाव से पहले यहां पर विकास के मुद्दो पर खूब बहस होती है। लेकिन चुनाव के नजदीक आते ही इस सीट पर जातिगत मुद्दे हावी हो जाते हैं। हरसूद विधानसभा सीट एक आरक्षित विधानसभा सीट है। यहां आदिवासी गोंड और कोरकू समाज सबसे ज्यादा मतदाता है। यहां कुछ संख्या में सामान्य वर्ग के भी वोट हैं। क्षेत्र में लगभग 2 लाख 17 हजार 9 सौ मतदाता है। इसमें 1 लाख 5 सौ पुरुष एवं 1 लाख 5 हजार 1100 महिला मतदाता हैं। यहां सर्वाधिक 90 हजार कोरकू वर्ग के मतदाता हैं। इसके अलावा क्षेत्र में ब्राह्मण, राजपूत और यादव, बंजारा, मुस्लिम वर्ग सहित अन्य मतदाता हैं, जो भाजपा-कांग्रेस के लिए इस साल के विस चुनाव में भी निर्णायक भूमिका में रहेंगे।