झारखंड के खजाने पर भारी ओपीएस, एनपीएस फंड को वापस चाहती है राज्य सरकार
सरकारी कर्मचारी संघ के सदस्यों ने मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों द्वारा लिए गए इस फैसले की सराहना की।
सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने 2018 के राज्य विधानसभा चुनाव से पहले अपने चुनावी घोषणा पत्र में ओपीएस को बहाल करने का वादा किया था और ट्वीट किया था, एक और चुनावी वादा पूरा हो गया है।झारखंड चौथा राज्य है, जिसने ओपीएस को बहाल करने का फैसला किया है। भारतीय रिजर्व बैंक, नीति आयोग और आर्थिक विशेषज्ञों द्वारा ओपीएस को लागू करने के खतरों के बारे में बार-बार चेतावनी देने के बावजूद झारखंड सरकार ने यह निर्णय लिया। जानकारों का कहना है कि इस योजना को लागू करने में राज्य सरकार को हर साल काफी अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा।
राज्य के वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता रामेश्वर उरांव ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि ओपीएस को लागू करने के लिए झारखंड सरकार को हर साल अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा। उरांव कहते हैं, राज्य सरकार को अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा लेकिन हमें राज्य सरकार के कर्मचारियों के हित में यह निर्णय लेना होगा। झारखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में ओपीएस के लिए 700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
राज्य सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत आने वाले अपने सभी कर्मचारियों को विकल्प दिया था कि वे 31 दिसंबर 2022 तक ओपीएस का चुनाव कर सकते हैं। झारखंड भविष्य निधि निदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक, ओपीएस के लिए 1,16,303 सरकारी कर्मचारियों ने सहमति दी है, जो राज्य सरकार के कुल कर्मचारियों का लगभग 98 प्रतिशत है।झारखंड सरकार ने ओपीएस लागू कर दिया है, लेकिन उसकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि राज्य सरकार के पूर्व कर्मचारियों के नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के पेंशन फंड का क्या होगा जो ओपीएस लागू होने से पहले करीब 17,000 करोड़ रुपये है? राज्य के वित्त मंत्री ने एनएसडीएल पेंशन फंड की वापसी के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था, जिस पर अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
लोकसभा के पिछले बजट सत्र के दौरान इस संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा था कि झारखंड सहित जिन राज्यों ने ओपीएस लागू किया है, उन्हें एनपीएस के तहत जमा राशि वापस नहीं की जाएगी।कराड ने कहा था कि पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत एनपीएस में सब्सक्राइबर्स यानी सरकार और कर्मचारियों के अंशदान की जमा राशि राज्य सरकार को वापस की जा सके। अगर यह राशि नहीं मिली तो झारखंड सरकार को बड़ा आर्थिक झटका लगेगा। यह अलग बात है कि सरकारी खजाने पर बोझ के बावजूद ओपीएस के लागू होने से हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल अन्य राजनीतिक सहयोगियों को चुनावी लाभ मिलने की संभावना है। झारखंड सरकार द्वारा लागू ओपीएस योजना से करीब सवा लाख परिवार लाभान्वित होंगे। झामुमो 2024 के विधानसभा चुनाव में ओपीएस की घोषणा का फायदा उठाएगा।
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