लोकसभा चुनाव 2024: मुजफ्फरपुर में बीजेपी की हैट्रिक या कांग्रेस की वापसी! जानिए इस सीट का इतिहास जहां से जॉर्ज फर्नांडिस रहे 5 बार के सांसद
- मुजफ्फरपुर में भाजपा और कांग्रेस में से जीत किसकी जीत?
- यहां से 5 बार के सासंद रह चुके जॉर्ज फर्नांडिस
- जानिए इस हाईप्रोफाइल सीट का इतिहास
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के चार चरण संपन्न हो चुके हैं। पांचवे चरण के चुनाव में बिहार की जिन पांच सीटों में चुनाव होना है, उनमें मुजफ्फरपुर सीट भी शामिल है। मजफ्फरपुर ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के महत्वपूर्ण शहरों में से एक माना जाता है। राजनीतिक परिददृश्य की बात करें तो यहां साल 1957 में पहले आम चुनाव हुए थे। तब कांग्रेस प्रत्याशी श्याम नंदन सहाय ने जीत हासिल की थी। करीब दो दशकों तक यह सीट कांग्रेस का गढ़ बनी रही। इमरजेंसी के बाद जॉर्ज फर्नांडिस ने कांग्रेस के किले में सेंधमारी की और पहली बार यहां लोकदल का भी खाता खुला। वक्त के साथ मुजफ्फरपुर के मतदाता जातीय कुनबों में बंट गए। मुद्दों से ज्यादा जातीय समीकरणों को तरजीह दी जाने लगी। यहां पिछले दो चुनावों से बीजेपी नेता अजय निषाद जीतते आ रहे हैं। आज हम आपको मुजफ्फरपुर के सियासी इतिहास के बारे में बताएंगे।
मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
आजादी के बाद साल 1957 में मुजफ्फरपुर में पहले आम चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी श्याम नंदन सहाय सांसद निर्वाचित हुए। 1962 में दिग्विजय नारायण सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की। 1967 में कांग्रेस ने डीएन सिंह को टिकट दिया, उन्हें भी जीत मिली। 1971 में नवल किशोर शर्मा कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए।
जॉर्ज फर्नांडिस ने फतह किया कांग्रेस का किला
इमरजेंसी हटने के बाद साल 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस पार्टी ने अपना कैंडीडेट बदल दिया और नीतीश्वर प्रसाद सिंह को मुजफ्फरपुर से चुनावी मैदान में उतार दिया है। लेकिन इस बार लोकदल के टिकट पर उतरे जॉर्ज फर्नांडिस को जीत मिली और पहली बार मुजफ्फरपुर सीट कांग्रेस के हाथों से फिसल गई। तीन साल बाद 1980 में दोबारा चुनाव हुए और इस बार भी जॉर्ज फर्नांडिस को जीत मिली। तब उन्होंने जनता दल (सेक्युलर) के टिकट से चुनाव लड़ा था। हांलाकि, 1984 में कांग्रेस ने वापसी कर ली और ललितेश्वर प्रसाद शाही सांसद बने। 1989 में जॉर्ज फर्नांडिस की वापसी हुई और वे तीसरी बार मुजफ्फरपुर सीट से सांसद निर्वाचित हुए। इसके बाद उन्होंने 1991 के चुनाव में भी जनता दल को जीत दिलाई।
जॉर्ज के राज में मुजफ्फरपुर का विकास
जॉर्ज ने इमरजेंसी के खिलाफ आवाज उठाई थी। बड़ौदा डायनामाइट कांड में जॉर्ज फर्नांडिस को जेल में डाल दिया गया। लेकिन जब मुजफ्फरपुर की जनता ने उन्हें इमरजेंसी के बाद हए चुनावों में जिता कर संसद भेजा तो उन्होंने भी जनता की भरोसे को कायम रखा। उन्होंने कांटी थर्मल पावर की स्थापना कराई। छतौनी में रेल पुल की शुरुआत कर मुजफ्फरपुर को दिल्ली से बड़ी लाइन से जोड़ने में उनकी अहम भूमिका रही। बेला में दवा कंपनी आईडीपीएल, समॉल स्केल इंडस्ट्री कार्यालय व दूरदर्शन केंद्र भी जॉर्ज की ही देन है।
आरजेडी और जेडीयू का खाता खुला
साल 1996 में जनता दल से पहली बार कैप्टन जय प्रताप नारायण निषाद को मुजफ्फरपुर सीट से उतारा गया और उन्हें जीत हासिल हुई। साल 1998 में कैप्टन निषाद ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और दूसरी बार सांसद निर्वाचित हुए। इस जीत के साथ मुजफ्फरपुर में आरजेडी का भी खाता खुला। एक साल बाद 1999 में कैप्टन निषाद ने जेडीयू के टिकट पर चुनवा लड़ा और जीत हासिल की। इसी के साथ जेडीयू को भी यहां से पहली बार जीत मिली। 2004 में जेडीयू ने मुजफ्फरपुर से 4 बार के सासंद रह चुके जॉर्ज फर्नांडिस को मैदान में उतारा और जीत हासिल की। 2009 में जेडीयू ने फिर से कैप्टन निषाद को मौका दिया और वे चुनाव जीतने में सफल रहे।
मोदी लहर में जीती बीजेपी
सल 2014 में देशभर में मोदी लहर चल रही थी। मुजफ्फरपुर में बीजेपी को इसका सीधा फायदा हुआ। इस चुनाव में बीजेपी से कैप्टन निषाद के बेटे अजय निषाद मैदान में थे। उनका सामना कांग्रेस नेता अखिलेश पीडी सिंह से था। चुनावी नतीजों में अजय निषाद को भारी बहुमत से जीत हासिल हुई।
क्या रहा पिछले चुनाव का रिजल्ट?
पिछले चुनाव में बीजेपी से अजय निषाद चुनावी मैदान में थे। वहीं, उनके सामने विकासशील इंसान पार्टी के प्रत्याशी राज भूषण चौधरी की प्रमुख प्रतिद्वंदी के रूप में थे। चुनावी नतीजों में अजय निषाद ने राज भूषण चौधरी को 4 लाख 9 हजार 988 वोट से हरा दिया। इस दौरान बीजेपी को कुल 6 लाख 66 हजार 878 वोट मिले। जबकि, विकासशील इंसान पार्टी को मात्र 2 लाख 56 हजार 890 वोट ही मिले।
मुजफ्फरपुर की अधूरी विकास परियोजनाएं
मुजफ्फरपुर में सबसे बड़ा मुद्दा स्मार्ट सिटी को लेकर है। 966 करोड़ रुपए के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अभी सिर्फ 564 करोड़ रुपए का खर्चा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक अभी शेष बची 8 योजनाओं पर 402 करोड़ रुपए खर्च होना बाकी है। हाजीपुर-मुजफ्फरपुर बाईपास का काम भी अधूरा है। वहीं, समस्तीपुर से मुजफ्फरपुर के बीच पैसेंजर ट्रेन की मांग भी कई वर्षों हो रही है। इसके अलावा जलजमाव के कारण मुजफ्फरपुर हर साल बारिश में डूबता है।
इन विकास कार्यों के होने से जगी उम्मीद
मुजफ्फरपुर को सुपर स्पेशलिटी हॉसपिटल की सौगात मिली है। वहीं उत्तर बिहार को पहला कैंसर अस्पताल और रिसर्च संस्थान मिला है। एनएच मुजफ्फरपुर-बरौनी को फोरलेन में तब्दील करने की योजना पर भी हरी झंडी मिल गई है। इसके अलावा मुजफ्फरपुर जंक्शन 2026 तक विश्वस्तरीय होगा।
इस बार ये नेता चुनावी मैदान में
मुजफ्फरपुर सीट का चुनाव पांचवे चरण (20 मई) में है। इस बार बीजेपी ने राज भूषण निषाद को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं, बीजेपी से मुजफ्फरपुर सीट पर पिछले दो चुनावों में जीतते आ रहे अजय निषाद इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बता दें कि, अजय निषाद बीजेपी से नाराज चल रहे थे इसलिए वे बीजपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए।