सिवनी जिले में गोंगपा और बसपा बिगाड़ते है बीजेपी -कांग्रेस का चुनावी खेल

  • बीजेपी -कांग्रेस में मुख्य मुकाबला
  • गोंगपा और बसपा की बढ़ती सक्रियता
  • चार विधानसभा सीट

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-04 14:07 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिवनी जिले में चार विधानसभा सीट बरघाट,केवलारी,लखनादौन,सिवनी है। लखनादौन और बरघाट दो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, वहीं केवलारी और सिवनी सामान्य सीट है। 2018 के विधानसभा चुनाव में 4 में से 2 सीटों पर बीजेपी और 2 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। सिवनी जिले में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बीएसपी के बढ़ती सक्रियता से चुनावी मुकाबला बहुकोणीय हो जाता है। जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ता है। अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्ग चुनाव में अहम भूमिका में होते है।

बरघाट विधानसभा सीट

द जंगल बुक के मोगली का घर और पेंच टाइगर रिजर्व बरघाट विधानसभा सीट से आता है। बरघाट सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। आदिवासी बाहुल्य होने के कारण ये वर्ग ही चुनाव में हार जीत का फैसला करता है। 2008 और 2013 में यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2018 में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। बरघाट विधानसभा सीट महाराष्ट्र सीमा से सटा हुआ है। यहां धान की फसल काफी अच्छी होती है।

यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच होता आया है। बरघाट में एक लाख के करीब आदिवासी वोटर्स, वहीं 50 हजार से अधिक पवार और 20 हजार से अधिक अनुसूचित जाति वोटर्स है। जो चुनाव में निर्णायक होते है।

2018 में कांग्रेस से अर्जुन सिंह काकोडिया

2013 में बीजेपी से कमल मर्स्कोले

2008 में बीजेपी से कमल मर्स्कोले

केवलारी विधानसभा सीट

केवलारी विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। 1990 के बाद 2018 के विधानलभा चुनाव में बीजेपी ने यहां जीत दर्ज की थी। इसके अलावा कांग्रेस ने यहां से चुनाव जीता । केवलारी में जीजीपी के चुनावी मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो जाता है।

केवलारी में मक्का, गेहूं, धान और चना की खेती मुख्य रूप से होती है। किसान नई नई तकनीकों का इस्तेमाल खेती में अपना रहे है। खेती के अलावा यहां की अर्थव्यवस्था मछली पालन पर भी टिकी हुई है। यहां आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता चुनावी में निर्णायक भूमिका में होते है।

2018 में बीजेपी से राकेश पाल सिंह

2013 में कांग्रेस से रजनीश सिंह

2008 में कांग्रेस से हरवंश सिंह

2003 में कांग्रेस से हरवंश सिंह

1998 में कांग्रेस से हरवंश सिंह

1993 में कांग्रेस से हरवंश सिंह

1990 में बीजेपी से नेहा सिंह

1985 में कांग्रेस से विमला वर्मा

1980 में कांग्रेस से विमला वर्मा

1977 में कांग्रेस से विमला वर्मा

1972 में कांग्रेस से विमला वर्मा

1967 में कांग्रेस से विमला वर्मा

लखनादौन विधानसभा सीट

लखनादौन विधानसभा सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां जीजीपी पार्टी चुनाव में दमखम तो दिखाई देती है, लेकिन नतीजों में तब्दील नहीं हो पाती। 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच होता है, लेकिन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी यहां त्रिकोणीय मुकाबला पैदा कर देती है। जीजीपी की सक्रियता से 2008 में बीजेपी ने यहां जीत हासिल की थी। सीट पर 1 लाख गौंड समाज के मतदाता है, उसके बाद तेली, लोधी , प्रधान,कलार, राजपूत और यादव मतदाता है। लखनादौन में सागौन और तंबाकू अधिक होती है।

जिले में आदिवासी समुदाय की समस्याएं बड़ी हैं, और उन्हें उनके अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ना पड़ता है। घंसौर के झाबुआ पावर प्लांट से निकल रही राख से उनकी सैकड़ों एकड़ जमीन बंजर हो रही है, और इसे विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

2018 में कांग्रेस से योगेंद्र सिंह

2013 में कांग्रेस से योगेंद्र सिंह

2008 में बीजेपी से शशि ठाकुर

सिवनी विधानसभा सीट

सिवनी विधानसभा को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है। बीजेपी के इस गढ़ में कुर्मी और बागरी समुदाय का दबदबा है। बीजेपी की जीत में इन दोनों ही समुदायों की भूमिका रही है। यही वजह है कि सिवनी विधानसभा सीट से कांग्रेस का वनवास खत्म नहीं हो रहा है। 1990 के बाद से कांग्रेस यहां चुनाव जीतने में असफल रही है। किसानों को कृषि की सिंचाई के लिए पानी और शिक्षित युवाओं को रोजगार की तलाश है।

2018 में बीजेपी से दिनेश राय

2013 में निर्दलीय दिनेश राय

2008 में बीजेपी से नीता पटेरिया

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