चंद्रयान-3 मिशन: विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान से संपर्क करने की कोशिश जारी, ISRO चीफ ने दी बड़ी जानकारी

  • विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान से संपर्क करने की कोशिश जारी
  • चंद्रयान-3 मिशन को लेकर ISRO चीफ ने दी बड़ी जानकारी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-23 18:01 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्योदय हुए करीब तीन दिन बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से सिग्नल प्राप्त नहीं हुआ है। हालांकि, इसरो द्वारा संपर्क के प्रयास किए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि, करीब 20 दिन पहले विक्रम और रोवर प्रज्ञान को 'स्लीप मोड' में डाला गया था। जिसके बाद सूर्योदय का इंताजार किया जाने लगा। इस बीच चंद्रयान-3 को लेकर इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वे अभी तक के डेटा से संतुष्ट है। सोमनाथ ने एनडीटीवी से कहा, ''चंद्रयान-3 में लगाए गए सभी उपकरण से मिले डेटा से टीम संतुष्ट हैं। डेटा का परिक्षण जारी है। इसमें कई साल लग सकते हैं।'' इसरो चीफ ने आगे कहा कि चंद्रयान-2 से हमे बहुत कुछ सीखने को मिला है। साथ ही, हमे यह भी सीखने को मिला कि आखिर हमने चंद्रयान-2 क्या-क्या गलती की थी। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 से पहले हम ग्राउंड पर पूरी तरह से परिक्षण नहीं कर सकते थे।

कभी भी सिस्टम हो सकता है एक्टिव - सोमनाथ

साथ ही, इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने एक अन्य मीडिया संस्थान टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि अभी तक कोई भी सिग्नल नहीं मिला है, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि सिग्नल नहीं आएंगे। इसरो की टीम पूरे लूनर डे (पृथ्वी के 14 दिन) तक इंतजार करेंगे। क्योंकि इस दौरान इन पर सूर्य की रोशनी पड़ती रहेगी। इसका मतलब यह है कि चांद का तापमान बढ़ता रहेगा। ज्यो-ज्यो चांद पर तापमान बढ़ेगा, अंदर में सिस्टम के गर्म होने की संभावनाएं बढ़ती जाएगी। इसलिए यह 14 दिनों के भीतर कभी भी सिस्टम एक्टिव हो सकता है। हालांकि, यह कब होगा इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। 

इसरो ने किया ट्वीट

इसरो ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, "विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ संचार स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं ताकि उनकी जागने की स्थिति का पता लगाया जा सके। फिलहाल उनकी ओर से कोई संकेत नहीं मिले हैं। संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी रहेंगे।"

'दोनों को एक्टिव करने की कोशिश करेंगे'

इससे पहले इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा, ‘‘हमने लैंडर और रोवर दोनों को स्लीप मोड पर डाल दिया था, क्योंकि तापमान शून्य से 120-200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। 20 सितंबर से चंद्रमा पर सूर्योदय होगा और हमें उम्मीद है कि 22 सितंबर तक सौर पैनल और अन्य उपकरण पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगे, इसलिए हम लैंडर और रोवर दोनों को एक्टिव करने की कोशिश करेंगे।’’

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद इसरो ने रोवर प्रज्ञान और विक्रम लैंडर को 14 दिनों का काम सौंपा था, जिसे इन दोनों ने बखूबी निभाया। इसके बाद इसरो ने उम्मीद जताई है कि चांद पर रात खत्म होने के बाद ये दोनों फिर से काम करना शुरू कर देंगे। ऐसे में अगर इसरो लैंडर और रोवर को जगाने में कामयाब होता है तो फिर यह भारत के लिए दोहरी कामयाबी होगी। इसरो ने पहले ही 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग करके इतिहास रच चुका है। इसके बाद रोवर प्रज्ञान ने चांद की सतह से करीब 12 दिनों तक जानकारी इक्कठा करके इसरो तक पहुंचाता रहा।

फिर काम करेगा लैंडर और रोवर!

बता दें कि, लैंडर और रोवर चांद की सतह पर रात होने से एक दिन पहले से ही आराम करने लगा था। रात के वक्त चांद के दक्षिणी ध्रुव का तापमान माइनस 240 चला जाता है। ऐसे में चांद की सतह पर सर्वाइव करना इन दोनों के लिए आसान काम नहीं है। इसके अलावा चांद की सतह पर भूकंप भी आते रहते हैं। चंद्रयान-3 में लिथियम आयन बैटरी इस्तेमाल की गई है जो कम तापमान होने पर भी खराब नहीं होती है। साथ ही, यह ऊर्जा को भी बचाने में सझम रहती है। अब लैंडर और रोवर में सारा खेल इसी बैटरी पर भी टिका है। अगर बैट्री इतने कम तापमान में भी ऊर्जा को बचाने में कामयाब रहती है तो रोवर और लैंडर एक बार फिर चांद की सतह पर काम करना शुरू कर देगा। ऐसे में अगले 48 घंटे रोवर और लैंडर के लिए काफी अहम होने वाले हैं। सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान-3 अपने मिशन 2.0 में लग जाएगा। चांद की सतह पर चंद्रयान पहले ही ऑक्सीजन और सल्फर से जैसे अनेक तत्वों का पता लगा चुका है। हालांकि, अपने मिशन 2.0 में रोवर चांद की सतह पर हाइड्रोजन की तलाश करेगा। 

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