नारी शक्ति वंदन बिल: क्या होता है परिसीमन? जिसमें अटका महिला आरक्षण विधेयक बिल, जानिए प्रक्रिया से जुड़ी एक-एक डिटेल
- बिल को सदन में 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के नाम से पेश किया गया
- संविधान में कहां किया गया परिसीमन का जिक्र?
- आगे जनगणना कब होगी इसकी भी स्पष्ठ जानकारी नहीं
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। देश के नए संसद भवन में विशेष सत्र के दौरान आज महिला आरक्षण बिल पेश किया गया। इस बिल को सदन में 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के नाम से पेश किया है। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि यह बिल आसानी से सदन में पास हो सकता है। लेकिन बिल के पास हो जाने के बाद भी इसके धरातल में लागू होने की राह कठिन दिखाई दे रही है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि चुनावों में महिलाओं को आरक्षण का फायदा जनगणना और परिसीमन के बाद ही मिलेगा।
27 साल पहले संसद में लाए गए इस बिल की यात्रा बहुत कठिन रही है। महिला आरक्षण विधेयक को सबसे पहले सितंबर 1996 में एचडी देवगौड़ा की सरकार ने संसद में पेश किया था। इसके बाद से कई बार सरकारों ने इस विधेयक को पारित करने की कोशिश की। यूपीए सरकार साल 2010 में राज्यसभा में इसे पारित कराने में सफल रही लेकिन लोकसभा में यह बिल लटका रहा। अब यह बिल लोकसभा में पेश किया गया है जिसके पास होने की उम्मीद तो दिखाई दे रही है लेकिन महिलाओं को आरक्षण मिलना अभी भी दूर का ढोल ही दिखाई दे रहा है जिसकी मुख्य वजह परिसीमन ही है।
वैसे तो साल 2021 में ही जनगणना होनी थी जो आज तक नहीं हो सकी है। आगे जनगणना कब होगी इसकी भी स्पष्ठ जानकारी नहीं है। हालांकि खबरों में कहीं-कहीं 2027-2028 में जनगणना होने की बात कही गई है। महिलाओं को आरक्षण तभी मिल सकेगा जब जनगणना के बाद निर्वाचन क्षैत्रों का पुनर्निधारण किया जाएगा।
क्या होता है परिसीमन?
विधायी निकाय वाले देश या राज्यों में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का निर्धारण करने की प्रकिया ही परिसीमन कहलाती है। साधारण भाषा में कहें तो इस प्रकिया के तहत बढ़ती जनसंख्या के आधार पर समय-समय पर निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को फिर से निर्धारित किया जाता है। ताकि हमारे लोकतंत्र में जनसंख्या के आधार पर उचित प्रतिनिधित्व हो और सभी को समान अवसर मिल सकें। परिसीमन की प्रकिया के मुख्य उद्देश्य हैं-
1. देश या राज्य में समय के साथ आबादी में बदलाव होता है। ऐसे में बढ़ती आबादी के साथ सभी का समान प्रतिनिधित्व हो सके साथ ही चुनावी प्रकिया को अधिक लोकतांत्रिक बनाने के लिए परिसीमन आवश्यक होता है।
2. बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन क्षेत्रों का उचित तरीके से विभाजन हो यानी निर्वाचन क्षेत्रों का पुर्ननिर्धारण परिसीमन प्रकिया का अहम हिस्सा होता है।
3. इस प्रकिया का उद्देश्य यह है कि हर वर्ग के नागरिक को प्रतिनिधित्व का समान अवसर मिले।
4. जब भी देश में चुनाव होते हैं तो 'आरक्षित सीटों' की बात कही जाती है। परिसीमन होता है तब अनुसूचित वर्ग के हितों का ध्यान रखते हुए आरक्षित सीटों का निर्धारण करना होता है।
संविधान में कहां किया गया परिसीमन का जिक्र?
परिसीमन को लेकर संविधान का अनुच्छेद 81 कहता है कि देश में लोकसभा में सांसदों की 550 से अधिक संख्या नहीं होगी। लेकिन संविधान यह भी कहता है कि हर 10 लाख आबादी पर एक सांसद होना चाहिए।
कौन करता है परिसीमन?
परिसीमन का काम परिसीमन आयोग करता है। इस आयोग का गठन 1952 में किया गया था। संविधान के अनुच्छेद 82 में आयोग का काम तय किया गया है। जो यह फैसला लेता है कि देश के किसी भी राज्य में लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या कितनी होगी?
कब हुआ परिसीमन?
देश में हुए पहले आम चुनाव के समय लोकसभा सीटों की संख्या 489 थी। लेकिन आखिरी बार 1971 में हुई जनगणना के आधार पर साल 1976 में परिसीमन किया गया था, जिसके बाद लोकसभा सीटों की संख्या बढ़कर 543 हो गई।
2026 में होगा परिसीमन?
साल 1976 में लोकसभा सीटों के लिए आखिरी बार परिसीमन हुआ था। अब 2026 में यही प्रक्रिया दोबारा शुरू होनी है। हालांकि अभी तक स्पष्ठ तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि 2026 में परिसीमन होगा ही। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि परिसीमन से पहले जनगणना जरूरी है। जो 2021 में होनी थी लेकिन अब तक नहीं हो सकी। जनगणना को लेकर हुई देरी की वजह से साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि 2026 में परिसीमन होगा या नहीं।