दिल्ली पर होगा चुनी हुई सरकार का नियंत्रण, सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के पक्ष में सुनाया फैसला

उपराज्यपाल बनाम दिल्ली सरकार विवाद

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-11 07:07 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में केंद्रीय कर्मचारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने प्रशासनिक सेवाओं पर कंट्रोल को लेकर दिल्ली सरकार की याचिका पर सर्वसम्मति से फैसला दिया है। फैसले में कहा गया कि उपराज्यपाल अब दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करेंगे। कोर्ट ने 2019 के जस्टिस भूषण के फैसले पर असहमति जताई। जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार के पास ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर से ऊपर के अधिकारियों पर कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट के मुताबिक भले ही दिल्ली के पास पू्र्ण राज्य का दर्जा नहीं है लेकिन उसके पास भी ऐसे अधिकार हैं जिससे वह कानून बना सकता है।

लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार को मिले शक्ति

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा, दिल्ली विधानसभा के सदस्य, दूसरे राज्यों की विधानसभाओं की तरह ही सीधे लोगों की तरफ से चुने जाते हैं। लोकतंत्र और संघीय ढांचे के सम्मान होना जरूरी है। केंद्र के साथ राज्य को भी कानून बनाने का अधिकार है लेकिन यह बात भी ध्यान देना जरूरी है कि केंद्र राज्यों के मामले में इतना दखल भी न दे कि वह राज्यों के अधिकारों को भी अपने हाथों में ले ले।

कोर्ट के फैसले के अनुसार अब पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और जमीन के अधिकार केंद्र और अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के अधिकार दिल्ली सरकार के पास होंगे। कोर्ट ने कहा कि चुनी हुई सरकार को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वो अफसरों पर अपना कंट्रोल कर सके। यदि सरकार को यह अधिकार नहीं मिला तो उनकी सेवा में तैनात अधिकारी उनकी बात नहीं सुनेंगे। कोर्ट के मुताबिक, उपराज्यपाल की कार्यकारी शक्ति सिर्फ उन मामलों पर है जो विधानसभा के दायरे में नहीं आते। उनके पास दिल्ली से जुड़े सभी मामलों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते। लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार के पास शक्ति होनी चाहिए। उपराज्यपाल को सरकार की सलाह पर काम करना चाहिए।



Tags:    

Similar News