लोकसभा चुनाव 2024: UP में बीजेपी के जबड़े में फंसी है कांग्रेस की जीत, 17 में से 14 सीटों पर भाजपा का सियासी गणित मजबूत
- बीजेपी से जीतना होगा कांग्रेस को यूपी का किला
- 14 सीटों पर बीजेपी करेगी परेशान
- 2 सीटों पर बसपा से होगा कांग्रेस का सीधा मुकाबला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडिया गठबंधन पूरी तैयारी के साथ उत्तर प्रदेश में एनडीए के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने में लगा है। यहां समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो चुका है। साथ ही, दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग का भी मसला हल हो चुका है। आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी की कुल 17 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। इन सभी सीटों पर कांग्रेस को सीधे तौर पर बीजेपी और बसपा से लड़ना होगा। ऐसे में आइए समझने की कोशिश करते हैं कि क्या यूपी में सपा और कांग्रेस का गठबंधन सफल रहेगा? सपा ने जिन सीटों पर कांग्रेस को चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है, क्या उन सीटों पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में आसानी से जीत हासिल कर पाएगी? या फिर सपा ने कांग्रेस को 17 मुश्किल सीटें देकर फंसाने का काम किया है।
कांग्रेस की मुश्किलें
कांग्रेस को जो सीटें सपा से मिली है उनमें रायबरेली, अमेठी, कानपुर नगर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी, देवरिया सीट शामिल हैं।
इन सीटों पर कांग्रेस का पिछले दो लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यूपी में केवल एक रायबरेली लोकसभा सीट पर जीत हासिल की। वाराणसी और अमेठी में कांग्रेस को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि, वाराणसी सीट से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ने वाले हैं। वहीं, अमेठी से पिछली बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा था।
इन सीटों पर बनानी होगी रणनीति
बुलंदशहर सीट भी कांग्रेस के पाले में आई है। यह सीट बीजेपी का गढ़ रहा है। हालांकि, साल 2009 के चुनाव में सपा ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस एक चुनाव को छोड़ दे तो साल 1991 से बुलंदशहर सीट बीजेपी के पास रही है। बीजेपी के दिग्गज नेता कल्याण सिंह भी बुलंदशहर से सांसद रहे हैं। गाजियाबाद सीट भी लगातार तीन बार से बीजेपी के खाते में रही है। 2009 में राजनाथ सिंह और 2014 में जनरल वीके सिंह गाजियाबाद सीट से सांसद रहे हैं। वहीं, मथुरा सीट की बात करें तो पिछले दो लोकसभा चुनाव से बीजेपी नेता हेमा मालिनी यहां से सांसद रही हैं। इस सीट पर हेमा मालिनी को दोनों लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं।
बीजेपी के गढ़ में फंसी कांग्रेस
बांसगांव में तीन बार और सीतापुर, बाराबंकी, कानपुर नगर, फतेहपुर सीकरी, प्रयागराज, महाराजगंज, देविरया और झांसी सीट से बीजेपी बीते दो लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। वहीं, अमरोहा और सहारनपुर सीट से कांग्रेस का मुकबला बसपा से होगा। यहां इस वक्त बसपा का कब्जा है।
इन सभी सीटों पर कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी रही है। खास बात यह है कि कांग्रेस के पाले में आई ज्यादातर सीटों पर सपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे हैं। इसके अलावा इसमें से ज्यादातर वीआईपी सीट है। जिसके चलते कांग्रेस को अपने उम्मीदवार को उतारने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।