सनातन विवाद: कांग्रेस ने 'सनातन धर्म' पर टिप्पणी के विवाद में न पड़ने का फैसला लिया
- सनातन धर्म पर हो रही टिप्पणी
- विवाद में नहीं पड़ने जा रही कांग्रेस
- सीडब्ल्यूसी की बैठक में पार्टी का रुख स्पष्ट
- निजी टिप्पणी से कोई धर्म खतरे में नहीं
डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। कांग्रेस ने शनिवार को स्पष्ट कर दिया कि वह सनातन धर्म संबंधी टिप्पणियों पर किसी विवाद में नहीं पड़ने जा रही है। हैदराबाद में शनिवार को शुरू हुई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में पार्टी ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी की निजी टिप्पणी से कोई धर्म खतरेे में नहीं पड़ता। फिजूल के विवाद में उलझाने की कोशिश हो रही है, लेकिन पार्टी इससे परहेज करेगी।
सीडब्ल्यूसी सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने मीडियाकर्मियों को बताया कि बैठक में सनातन धर्म पर कोई चर्चा नहीं हुई और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी इस पर किसी भी विवाद में नहीं पड़ना चाहती।
पी. चिदंबरम ने कहा, ''हम सभी धर्मों के लिए समान सम्मान में विश्वास करते हैं और हम उस रुख पर कायम हैं। कई दशकों से कांग्रेस का यही रुख रहा है। हम उस पर किसी विवाद में नहीं पड़ रहे हैं, क्योंकि हमें उन मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देना है, जिनसे जनता बहुत परेेेशान है ।''
कांग्रेस नेता से द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी से पैदा हुए विवाद के बारे में पूछा गया। उन्होंने कहा, ''मैं द्रमुक के पक्ष में नहीं बोल रहा हूं, लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि द्रमुक ने क्या कहा है। द्रमुक ने कहा है कि वे किसी भी धर्म के विरोधी नहीं हैं। वे जाति उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और जाति पदानुक्रम से जुड़ी हर चीज, महिला उत्पीड़न, दलित उत्पीड़न और तथाकथित निचली जातियों पर अत्याचार के विरोधी हैं।''
चिदंबरम ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को संविधान पर हमला बताया और कहा कि कांग्रेस इस विचार को खारिज करती है। यह संघवाद पर हमला है। इसके लिए कम से कम 5 संवैधानिक संशोधनों की जरूरत होगी। कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा जानती है कि उसके पास इन संवैधानिक संशोधनों को पारित करने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है। फिर भी, यह एक राष्ट्र एक चुनाव की मृगतृष्णा को सामने रख रहे हैं। यह सब केवल ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने और झूठी कहानी गढ़ने के लिए किया जा रहा है।
संसद के विशेष सत्र के बारेे में उन्होंने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर नौ ज्वलंत मुद्दों की सूची पेश की है, जिन पर विशेष सत्र में चर्चा होनी चाहिए। अभी तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है। यदि उनमें से कोई भी मुद्दा शामिल किया जाता है, तो हमें खुशी होगी और हम निश्चित रूप से बहस में हिस्सा लेंगे। कांग्रेस नेता ने कहा, ''एकमात्र एजेंडा, जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया है, वह है मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अधिनियम में संशोधन करने वाला विधेयक, जो वास्तव में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को नष्ट करता है।''
यह विधेयक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का दर्जा कम कर देगा और चुनाव आयोग को कमजोर कर देगा। कांग्रेस पार्टी इसका विरोध करेगी। एक और सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी के सदस्यों का अनुरोध है कि भारत के पूर्व से पश्चिम तक भारत जोड़ो यात्रा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मामला विचाराधीन है। यह भी कहा कि सीडब्ल्यूसी में बोलने वाले प्रत्येक सदस्य ने इंडिया गठबंधन का समर्थन किया और सुझाव दिया कि 'हमें इसे आगे बढ़ाना चाहिए और गठबंधन को मजबूत करना चाहिए।'
एक या दो सदस्यों ने कहा कि सीटों की व्यवस्था जल्द से जल्द पूरी की जानी चाहिए... सीटों की व्यवस्था को अंतिम रूप देना सीडब्ल्यूसी का मामला नहीं है। यह इंडिया गठबंधन की 14 सदस्यीय कार्यकारी समिति का मामला है। मुझे यकीन है कि वे जिम्मेदारी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। कांग्रेस नेता ने इंडिया शब्द को हटाने और भारत रखने के प्रस्ताव को 'फर्जी विवाद' करार दिया। उन्होंने कहा, ये फर्जी विवाद है। संविधान निर्माता आज हममें से किसी भी व्यक्ति की तुलना में कहीं अधिक बुद्धिमान थे। अंबेडकर और उनके साथियों ने संविधान में लिखा है - इंडिया दैट इज भारत, इसलिए हमारा मानना है कि इंडिया ही भारत है, दोनों एक ही है।''
आईएएनएस
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