पहले गठबंधन से इनकार फिर विचार की बात, जानिए बीएसपी चीफ मायावती के बदले रुख के क्या हैं मायने ?

  • ना एनडीए ना इंडिया
  • 4 राज्यों के चुनाव बाद होगा तय
  • कल्याणकारी हो सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-27 04:23 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी चीफ मायावती ने गठबंधन को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। हफ्तेभर पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने किसी भी गठबंधन में शामिल होने से साफ इनकार दिया था। तब बीएसपी चीफ ने कहा था कि उनकी पार्टी ना तो बीजेपी के एनडीए में शामिल होगी ना ही विपक्षी दलों वाले इंडिया में, लेकिन अब उनका मन बदल गया है। और उन्होंने गठबंधन में शामिल होने को लेकर बयान दिया है। पूर्व यूपी सीएम मायावती ने सरकार को लेकर कहा है कि सरकार को मजबूत और अहंकारी होने की बजाय कल्याणकारी होना चाहिए। सरकार ऐसी हो जो लोगों के कल्याण के लिए काम करने को बाध्य हो।

आपको बता दें बीएसपी ने कई राज्यों में सत्ता संतुलन स्थापित कर दलित समुदाय का राजनीतिक सम्मान बढ़ाने का काम किया है। बीएसपी ने स्पष्ट संकेत देते हुए कहा है कि चार राज्यों के चुनाव के बाद बसपा जरूरत पड़ने पर गठबंधन पर विचार करेगी। देश से सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश की चार बार सीएम रही मायावती बखूबी जानती है कि सियासी समीकरण कैसे सेट और फिट किए जाते है। वैसे अभी तक के इतिहास में बीएसपी का एक ही मकसद होता है समझौते से सत्ता भागीदारी।

बीएसपी प्रमुख मायावती का चार राज्यों के चुनाव के बाद गठबंधन के कयासों पर विचार की बात करना आखिरकार किस बात का संकेत है? पहले गठबंधन से इनकार फिर विचार की बात, बीएसपी के बदले रुख के क्या मायने हैं? आपको बता दें बीएसपी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में हवा का रुख भांप लेना चाहती है।

चुनाव बाद के गठबंधन के कई मायने निकाले जा रहे है, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहता है। यहां बीएसपी कुछ विधानसभा सीट जीतकर किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है। ऐसे में बीएसपी या तो एनडीए के साथ गठबंधन करेगी या इंडिया के साथ। बसपा जब किसी एक गठबंधन के साथ खड़ी हो जाएगी तब उसके लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में न्यूट्रल स्टैंड रखना मुश्किल होगा। ऐसे में जिस पार्टी के साथ बसपा का गठबंधन होगा। उस राज्य और अन्य राज्यों में बीएसपी की ओर से उस पार्टी पर हमला करना कठिन होगा। जिस राज्य में वह सरकार चला रही होगी।

 बीएसपी ने यूपी निकाय चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर अपनी नई रणनीति को बताया। आपको बता दें 2007 में अपनी सोशल इंजीनियरिंग के बलबूते पर अकेले के दम  पर यूपी में सरकार बनाकर मायावती ने सबके चौंका दिया था। अब बीएसपी का दलित-अल्पसंख्यक नीति पर फोकस  है। जिसे आप बीएसपी के इस बयान से समझ सकते है जिसमें कहा गया है कि सरकार ऐसी हो जिसमें दलित-अल्पसंख्यक का उत्थान हो। 

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