बीजेपी की समरसता यात्रा का मकसद, दलित वोट बैंक को साधना और सत्ता पाना
- बीजेपी की समरसता यात्रा
- दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश
- जब जब बीजेपी पाले में आया दलित वोट, सत्ता में खिला कमल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ओर से आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए संत शिरोमणि रविदास समरसता रथ यात्रा निकाली जा रही है। यात्रा का मकसद एससी वर्ग को साधना बताया जा रहा है। बीजेपी ने 25 जुलााई से यात्रा की शुरूआत पांच अलग अलग स्थानों से की, प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने समरसता यात्रा की शुरूआत नीमच, मांडव, सिंगरौली, बालाघाट और श्योपुर से की। यात्रा का समापन 12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में सागर में संत रविदास समरसता यात्रा के समापन कार्यक्रम के दौरान होगा। इसी दिन पीएम मोदी मध्यप्रदेश में महाकाल की तर्ज पर 100 करोड़ की लागत से संत गुरू रविदास का भव्य मंदिर की नींव रखेंगे।
आपको बता दें संत रविदास मंदिर बनवाने की घोषणा सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने फरवरी 2022 में सागर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान की थी। बीजेपी की ओर से दावा किया जा रहा है कि समरसता यात्रा प्रदेश के करीब 46 जिलों के 53 हजार गांवों से निकाली जाएगी। यात्रा में हर गांव से मिट्टी और 315 नदियों का जल संग्रहित किया जाएगा। यात्रा में बीच बीच में साधू,संतों और आम नागरिकों से जनसंवाद किया जा रहा है।
अब हम आपको बताएंगे कैसे संत शिरोमणि समरसता यात्रा के जरिए बीजेपी अनुसूचित जाति वोट को अपने पाले में करने के लिए तैयारी कर रही है, क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में एससी एसटी एट्रोसिटी एक्ट में छेड़छाड़ करने के बाद मचे बवाल के बाद दलित वोट बैंक बीजेपी से दूर होकर कांग्रेस की तरफ चला गया था, जिसके चलते 2018 में बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी थी। 15 महीने बाद में सिंधिया समर्थित विधायकों के बीजेपी में आ जाने से मार्च 2020 में फिर से सत्ता पर बीजेपी काबिज हो गई। अब कुछ महीनों बाद साल के अंतिम महीनों में राज्य में विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित है, इस लिहाज से बीजेपी हर हाल में दलित वर्ग को अपने पाले में करने में जुटी हुई है। इसके लिए बीजेपी सरकार ने सागर के बडतुमा गांव में संत रविदास का भव्य मंदिर बनाने का फैसला लिया।
एससी आरक्षित विधानसभा सीट और बीजेपी की नजर
अम्बाह,गोहद,डबरा,भाण्डेर,करेरा,गुना,अशोकनगर,बीना,नारियोली,जतारा,चंदला,हट्टा,गुन्नौर,रैगांव,मनगंवा,चितरंगी,देवसर,जबलपुरपूर्व,नरसिंहपुर,परासिया,अमला,पिपरिया,सांची,कुरवाई,बैरसिया,आस्टा,सांरगपुर,आगर,सोनकच्छ,खंडवा,महेश्वर,सांवेर,तराना,आलोट, मल्हारगढ़ है।
बीजेपी यात्रा को दलित वर्ग के साथ घुलने मिलने के अवसर के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। आपको बता दें 230 विधानसभा सीट वाले मध्यप्रदेश में 82 सीट आरक्षित है, जिनमें से 35 एससी और 45 एसटी वर्ग के लिए है। समरसता यात्रा के जरिए बीजेपी इन्हीं आरक्षित सीटों को अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव कोशिश में है। यात्रा का रोड़मैप भी लगभग एससी और एसटी बहुल क्षेत्रों से होकर जाता है।
शहड़ोल,डिंडोरी,मंडला, अलीराजपुर और झाबुआ आदिवासी बहुल इलाके है। वहीं मुरैना भिंड,टीकमगढ़,रीवा,रायसेन, सागर अनुसूचित जाति बाहुल क्षेत्र है। 2011 की जनगणना के मुताबिक मध्यप्रदेश में 15 परसेंट एससी और 21.1 परसेंट एसटी आबादी है। बीजेपी का ध्यान आरक्षित सीटों पर अधिक से अधिक चुनाव जीतने का है।
अरक्षित सीटों पर बीजेपी की रिकॉर्डतोड़ जीत और सत्ता
विधानसभा में एससी व एसटी सीटें और भाजपा
2003 विधानसभा चुनाव
एससी- 30
एसटी - 37
2008 विधानसभा चुनाव
एससी - 25
एसटी - 29
2013 विधानसभा चुनाव
एससी - 28
एसटी -31
2018 विधानसभा चुनाव
एससी -18
एसटी - 16
बीजेपी ने जब जब एससी सीटों पर बाजी मारी है,जब वह सत्ता पर काबिज हुई है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एससी की 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जो पहले के मुकाबला काफी कम थी। इस बार बीजेपी का फोकस एससी आरक्षित और एससी प्रभावित 80 से अधिक सीटों पर है।