लोकसभा चुनाव 2024: 'भाजपा पर्दे के पीछे लड़ती है चुनाव, 400 सीट लाना कोई जुमला नहीं', चुनावी रणनीतिकार PK का बड़ा दावा

  • बीजेपी चुनाव से पहले विपक्ष के साथ दिमाग से खेलती है- पीके
  • बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 400 सीट लाने का रखा है लक्ष्य
  • चुनाव रणनीतिकार ने बताया बीजेपी चुनाव से पहले कैसे करती है तैयारी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-27 16:00 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में दो-तीन महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। निर्वाचन आयोग आने वाले दिनों में चुनाव की घोषणा कर सकता है। भाजपा के बड़े नेता आने वाले चुनावों में 400 सीट जीतने का दावा कर रहें हैं। विपक्ष भी जीत के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी को क्या सच में इनती बड़ी जीत मिलेंगी? अगर हां तो कैसे? इस मुद्दे पर चुनावी रणनीतिकार और सुराज पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर ने बयान दिया है। उन्होंने बताया कि भाजपा मैदान से पहले पर्दे के पीछे लड़ती है। आईए जानते हैं आगे उन्होंने क्या कहा?

दिमाग में भी लड़ा जाता चुनाव

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को पता नहीं होता कि उसे कितनी सीटें आने वाली हैं। भाजपा का यह दावा न तो कोई जुमला है और न ही जीत की गारंटी है। लेकिन यह चुनाव में जीत की एक रणनीति है। चुनाव सिर्फ जमीन पर नहीं लड़ा जाता है। उसे पहले दुश्मन के दिमाग से लड़ना होता है। दावा तो बीजेपी ने बंगाल चुनाव में 280 सीटें लाने का भी किया था। मगर हुआ क्या यह सब जानते हैं। दिल्ली जैसे बड़े राज्य तो उनके नाक के नीचे है। फिर वहां आज आम आदमी पार्टी की सरकार कैसे है? भाजपा विपक्ष को पहले मानसिक रूप से हराना चाहती है।

साइकलॉजिकल एडवांटेज चाहती है बीजेपी

बिहार में नीतीश को साथ लाना से भले ही भाजपा को कोई बड़ा फायदा न हो। लेकिन इससे इंडिया गठबंधन को इससे बड़ा झटका लगा है। प्रशांत किशोर ने कहा कि इससे बीजेपी साइकलॉजिकल एडवांटेज चाहती है। हालांकि, विधानसभा के नजरिए से देखे तो भाजपा का यह फैसला उनको नुकसान ही देगा।

पर्दे के पीछे की जंग

इस मामले में प्रशांत आगे कहते हैं कि भाजपा चुनाव को हल्के में नहीं लेती है। जीत के बाद भी अपने प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ती है। उनको पता भी हो कि वो जीत रहे हैं फिर भी उस जीत को बड़ा बनाने का प्रयास करती है। भाजपा को हराने के लिए हमें उनको सिर्फ विरोधी मानकर नहीं छोड़ देना चाहिए। क्योंकि भाजपा लास्ट तक जीत का प्रयास करती है। समय अब बदल चुका है। आज की राजनीति में पहले के मुकाबले बहुत फर्क आ चुका है।

Tags:    

Similar News