सीएम एकनाथ शिंदे के लिए बुरी खबर! उद्धव ठाकरे से अलग होकर वोटर्स शिंदे वाली शिवसेना पर विश्वास नहीं जता रहे

  • एकनाथ शिंदे को झटका
  • महाविकास अघाड़ी ने मारी बाजी
  • कांग्रेस की बल्ले-बल्ले

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-30 06:02 GMT

डिजिटल डेसक्, मुबंई। महाराष्ट्र की राजनीति पर देश की निगाह टिकी हुई है। यहां की सियासत पलक छपकते ही नई करवट ले रही है। अब एक ऐसा सर्वे सामने आया है जिसको देख प्रदेश के मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे को जोरदार झटका लग सकता है। जी हां आपने सही सुना। दरअसल, महाराष्ट्र के सकाल मीडिया ग्रुप ने प्रदेश की सियासत का मिजाज जानने के लिए एक ताजा तरीन सर्वे किया है। जिसमें पाया है कि शिंदे गुट की शिवसेना को काफी कम लोगों ने सपोर्ट किया है। वहीं एनडीए के प्रति आम वोटर्स में उतना विश्वास नहीं दिख पा रहा है जितना कि महाविकास अघाड़ी के गठबंध में दिखाई दे रहा है।

हालांकि, इस सर्वे में बीजेपी को शानदार वोट शेयर मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। लेकिन वो अपने दम पर सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पा रही है। जबकि कहा जा रहा है कि अगर इस समय महाराष्ट्र में चुनाव हुए तो एनडीए से सत्ता की चाबी महाविकास अघाड़ी सरकार आसानी से छीन सकती है। वहीं इस सर्वें में बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा वोट शेयर कांग्रेस को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। जो कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं है।

कांग्रेस को जबरदस्त मिले वोट शेयर

सकाल मीडिया ग्रुप के ताजा सर्वे के मुताबिक, अगर इस समय चुनाव हुए तो बीजेपी को 33.8 फीसदी वोट शेयर मिल सकते हैं। जो तमाम पार्टियों से सबसे ज्यादा हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी को 19.9 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान है। इसके अलावा एनसीपी को 15.3 और शिवसेना (यूबीटी) को 12.5 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान है। वहीं शिवसेना से अलग हुए एकनाथ शिंदे की पार्टी को महज 5.5 फीसदी ही वोट मिलने का अनुमान जताया गया है। अब इस बात से सवाल उठने लगा है कि क्या शिंदे को उद्धव ठाकरे से अलग होना महंगा पड़ सकता है। अगर ऐसा ही हाल आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में रहा तो एकनाथ शिंदे को जोरदार झटका लग सकता है।

सरकार बनाएगी महाविकास अघाड़ी

बता दें कि, अगर एनडीए का वोट शेयर मिला दे तो 39.3 फीसदी होता हुआ दिखाई दे रहा है। जबकि कांग्रेस, एनसीपी, शिवेसना (यूबीटी) के वोट शेयर 47.7 फीसदी मिलता हुई नजर आ रहा है। जिसके हिसाब से सत्ता में उनके आने की पूरी संभावना हो जाती है। हालांकि, यह सर्वे कितना सच होता है इसका पता तो आगामी लोकसभा और विधानसभा के चुनावी नतीजों के आने के बाद ही पता चल पाएगा।

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