शिंदे सरकार में बढ़ा अजित पवार का 'पावर', जिन विभागों की, की थी डिमांड वो सभी सौंपे गए, महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल

महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार में अजित पवार को मिले कई अहम विभाग

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-14 11:02 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीति में कई दिनों से विभागों के बटवारे को लेकर सियासत तेज थी। कुछ दिन पहले एनसीपी का एक धड़ा अजित पवार के साथ मिलकर शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गया था। तब से ही विभागों के बटवारें को लेकर मामला अटका हुआ था। लेकिन आज डिप्टी सीएम अजित पवार को वित्त मंत्रालय जैसी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। इसके अलावा शरद पवार के बेहद करीबी नेता छगन भुजबल, धनंजय मुंडे और हसन मुशरीफ भी अहम विभाग मिले हैं। 

बीजेपी ने कैबिनेट विस्तार में एनसीपी को खुश करने के लिए अपने भी अधिकांश विभाग छोड़ने का फैसला किया और पार्टी ने अजित पवार के साथ आए वरिष्ठ नेताओं के हाथों में बड़े मंत्रालयों को सौंप दिया है। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी अपना कृषि मंत्रालय गंवाना पड़ा है। एनसीपी की ओर से हुए इस कड़ी सौदेबाजी में सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा है। इस सौदेबाजी में शिंदे गुट भी बीजेपी पर भारी पड़ी है। 

एनसीपी नेता को मिले बड़े विभाग

राज्य हुए कैबिनेट विस्तार में एनसपी नेता अजित पवार वित्त मंत्रालय मिला है, वहीं उनके साथी धनंजय मुंडे को कृषि विभाग मिला है। इसके अलावा एनसीपी के नेता दिलीप वलासे पाटिल को सहकारिता विभाग, पवार के करीबी नेता हसन मुश्रीफ को चिकित्सा एंव शिक्षा विभाग मिला है। वहीं एनसीपी की ओर से एक और दमदार नेता छगन भुजबल को खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति मंत्रालय सौंपा गया है। एनसीपी नेता धर्मराव अत्राम को खाद्य एंव औषधि प्रशासन विभाग मिला है। वहीं पार्टी की ओर से अदिति तटकरे को महिला एवं बाल कल्याण और अनिल भाई दास पाटिल को खेल मंत्रालय मिला है।

महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार को लेकर केंद्र से राज्य तक की सियासत में बीते कई दिनों से माथापच्ची चल रही थी। इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एनसीपी के नवनियुक्त मंत्रियों के विभागों के बंटवारे पर अपनी अंतिम मुहर लगाई हैं। बता दें कि एनसीपी को बड़े मंत्रालय हाथ लगे हैं, जिसमें वित्त, कृषि और सहकारिता जैसे मंत्रालय शामिल हैं। इन्हीं सभी विभागों को लेकर बीते कुछ दिनों से महाराष्ट्र सरकार में शामिल पार्टियों के बीच जद्दोजेहद चल रही थीं। बता दें कि, इन सभी मंत्रालयों के अलावा एनसीपी के पाले में योजना, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, महिला और बाल विकास, राहत और पुनर्वास, चिकित्सा शिक्षा जैसे विभाग भी आए हैं।

वित्त और सहकारिता विभाग को लेकर चली थी खींचतान

गौरतलब है कि, वित्त और सहकारिता विभाग को लेकर शिंदे गुट और एनसीपी धड़ा के बीच खींचतान चल रही थी। जिसके चलते ही विभागों के बटवारें को लेकर इतनी देरी हुई। जानकारी के मुताबिक, एनसीपी वित्त और सहकारिता मंत्रालय को लेकर पीछे नहीं हटना चाह रही थी, क्योंकि पार्टी नेताओं के लिए यह काफी ज्यादा मायने रखती है।

महाराष्ट्र में एनसीपी के कई बड़े नेताओं का कॉर्पोरेट सेक्टर में दबदबा है। शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हुए कई नेताओं के पास निजी चीनी कारखाने भी हैं। इसके अलावा उनका सहकारी बैंकों पर भी नियंत्रण है। ऐसे में उनके लिए यह विभाग कई मायने में महत्वपूर्ण है। राज्य में एनसीपी की सरकार जाने के बाद पार्टी नेताओं को इन्हीं दोनो सेक्टर में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए एनसीपी नेता वित्त और सहकारिता विभाग के साथ समझौता करने को तैयार नहीं हो रहे थे। लेकिन इस दौरान एनसीपी कृषि विभाग पर भी अपना कब्जा जमाने में कामयाब रही है। महाराष्ट्र में चीनी का उत्पाद भी जोरों-शोरों से होता है। इसका मतलब है कि अब इस सेक्टर के सारे चेन सप्लाई उनके हाथों में आ गया है। 

बता दें कि, 2 जुलाई को एनसीपी का एक धड़ा अजित पवार के साथ मिलकर शिंदे-फडणवीस गुट को अपना समर्थन दे दिया। इसके बाद अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया गया। इसके अलावा उनके साथ आए छगन भुजबल, दिलीप वलासे पाटिल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, संजय बनसोडे, अदिति तटकरे और धर्मराव अत्राम को एनडीए की सरकार ने मंत्री पद की शपथ दिलाई। जिसके बाद आज जाकर मंत्रालय का विस्तार हुआ है। 

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