राजनीति: विकसित भारत का निर्माण किसानों की भूमि से ही संभव उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार, 1 दिसंबर को नई दिल्ली के भारत मंडपम में राजा महेंद्र प्रताप की 138वीं जयंती समारोह को संबोधित किया। राजा महेंद्र प्रताप फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर उन्होंने राजा महेंद्र प्रताप को याद करते हुए देश में किसानों की स्थिति पर प्रकाश डाला।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार, 1 दिसंबर को नई दिल्ली के भारत मंडपम में राजा महेंद्र प्रताप की 138वीं जयंती समारोह को संबोधित किया। राजा महेंद्र प्रताप फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर उन्होंने राजा महेंद्र प्रताप को याद करते हुए देश में किसानों की स्थिति पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, "हमें आत्ममंथन करना चाहिए। जो हो चुका, वह हो चुका, पर आगे का मार्ग सही होना चाहिए। विकसित भारत का निर्माण किसान की भूमि से ही संभव है। भारत के विकास की राह किसान की जमीन से होकर जाती है। किसानों की समस्याओं का समाधान तेज़ी से किया जाना चाहिए। यदि किसान परेशान हैं, तो देश की गरिमा को गहरा आघात पहुंचता है। यह और अधिक गंभीर हो जाता है, क्योंकि हम अपनी बातों को अंदर ही अंदर दबा लेते हैं। आज इस पवित्र अवसर पर, मैं अपना संकल्प व्यक्त करता हूं कि किसान की समस्याओं के समाधान के लिए मेरे दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे। इस प्रयास से मैं स्वतंत्रता की एक नई दिशा में योगदान देने का मार्ग प्रशस्त करूंगा। राजा महेंद्र प्रताप जी की आत्मा को शांति मिले, यही मेरी कामना है।"
उन्होंने आगे कहा, "एक विचार मन में आता है कि हमारे स्वतंत्र भारत में हमें क्या करना होगा, ताकि हमारे लोगों द्वारा जो महारत हासिल की गई है, उसका सही सम्मान और आदर मिले? वर्तमान व्यवस्था ठीक है, आर्थिक प्रगति अभूतपूर्व है। हमारे पास असाधारण आर्थिक अवसर है, अद्भुत बुनियादी ढांचे की वृद्धि हो रही है। हमारी वैश्विक छवि बहुत ऊंची है। लेकिन जैसा मैंने कहा, 2047 तक एक विकसित राष्ट्र की स्थिति हासिल करने के लिए, एक शर्त यह है कि हमारे किसान संतुष्ट हों।"
उन्होंने कहा, "हमें यह याद रखना होगा कि अपनों से नहीं लड़ा जाता, और न ही उन्हें सिखाया जाता है। अपनों को गले लगाया जाता है, जबकि दुश्मन को सिखाया जाता है। कैसे नींद आ सकती है, जब किसान की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है? मैं अपने किसान बंधुओं से अपील करता हूं कि उनकी समस्याओं का समाधान बातचीत और समझाइश से होना चाहिए। राजा महेंद्र प्रताप जी का एक सिद्धांत था, "क्रोध और टकराव से कभी कोई समाधान नहीं निकलता।" हमें समाधान के लिए खुले मन से चर्चा करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह देश हमारा है।"
उन्होंने कहा, "यह देश ग्रामीण पृष्ठभूमि का है और मैं विश्वास करता हूं कि मेरे किसान बंधु, चाहे वे कहीं भी हों और किसी भी आंदोलन में सक्रिय हों, मेरी बात उनके कानों तक पहुंचेगी और वे इसे गंभीरता से सुनेंगे। आप सभी मुझसे ज्यादा जानकार और अनुभवी हैं। मुझे पूरा यकीन है कि हम सभी मिलकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेंगे और किसानों की समस्याओं का समाधान तेजी से करेंगे।"
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