राजनीति: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने नहीं लिया हिस्सा

हिमाचल प्रदेश विधानसभा का दस दिन का मानसून सत्र मंगलवार से शुरू होने जा रहा है। सत्र शुरू होने से पहले सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, जिसमें विपक्ष ने भाग नहीं लिया। सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के शामिल न होने से यह साफ हो गया है कि सत्र हंगामेदार रहने वाला है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-26 16:11 GMT

शिमला, 26 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का दस दिन का मानसून सत्र मंगलवार से शुरू होने जा रहा है। सत्र शुरू होने से पहले सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, जिसमें विपक्ष ने भाग नहीं लिया। सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के शामिल न होने से यह साफ हो गया है कि सत्र हंगामेदार रहने वाला है।

सदन में कुल 936 सवाल आ चुके हैं, जिसमें 640 तारांकित और 296 अतारांकित हैं। इसके अलावा नियम 101 के तहत 10, नियम 62 के तहत 7, नियम 63 के तहत 1, नियम 130 के तहत 20 और नियम 324 के तहत 4 चर्चाएं आई हैं। इससे पहले सदन का बजट सत्र भी काफी हंगामेदार रहा था।

सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के न पहुंचने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने बताया कि विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि स्वास्थ्य कारणों के चलते वह बैठक में उपस्थित नहीं हो पाए। पठानिया ने बताया कि सत्र 27 अगस्त से 9 सितंबर तक चलेगा।

पूर्वाह्न 11 बजे से आरंभ हो रहे सेशन में सबसे पहले दिवंगत सदस्यों के प्रति शोक उद्गार रखे जाएंगे। उसके बाद प्रश्नकाल में सहारा योजना, मंडी हवाई अड्डा, आपदा से नुकसान, स्वास्थ्य जैसे विषयों पर सवाल आएंगे। इसके अलावा कुछ विधेयक भी सदन के पटल पर रखे जाएंगे। सत्र के दौरान बरसात में हुए नुकसान को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच तकरार की संभावना है।

संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के नेता के न आने पर खेद व्यक्त करते हुए कहा, "यह संसदीय परम्पराओं के लिए उचित नहीं है। ऐसा पहली बार हुआ कि बैठक में विपक्ष शामिल नहीं हुआ, अगर जयराम ठाकुर को नहीं आना था तो, वह अपनी जगह किसी और को भेज सकते थे। भाजपा ने 'ऑपरेशन लोटस' का जो प्रयास किया वह असफल रहा है। अब भाजपा चुपचाप 2027 तक विपक्ष की भूमिका अदा करते हुए जनता के मसलों को सदन में उठाए।"

उन्होंने कहा कि स्पीकर का कार्यालय निर्दलीय और दलगत राजनीति से ऊपर है। सदन में सदस्यों के मुद्दों पर चर्चा होती है। आमतौर पर मानसून सत्र पांच से छह दिन का होता है, लेकिन इस बार यह दस दिन तक रखा गया है, ताकि हर सदस्य अपना पक्ष रख सके और सरकार सकारात्मक सुझावों पर अमल करे।

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