राजनीति: 'सरपंच' से लेकर 'सूबे की सूबेदारी' तक विलासराव देशमुख ने तय किया सफर, जानें सियासी फलक पर छा जाने की कहानी

गांव के 'सरपंच' से लेकर मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले विलासराव देशमुख चुनौतियों को अवसर में बदलने वाले राजनेता के तौर पर जाने जाते थे। 26 मई 1945 को लातूर जिले के बाभलगांव में जन्मे विलासराव देशमुख मराठा समुदाय से थे। पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान और कला में डिग्री लेने के बाद उन्होंने आईएलएस लॉ कॉलेज में कानून की पढ़ाई की।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-14 03:36 GMT

नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। गांव के 'सरपंच' से लेकर मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले विलासराव देशमुख चुनौतियों को अवसर में बदलने वाले राजनेता के तौर पर जाने जाते थे। 26 मई 1945 को लातूर जिले के बाभलगांव में जन्मे विलासराव देशमुख मराठा समुदाय से थे। पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान और कला में डिग्री लेने के बाद उन्होंने आईएलएस लॉ कॉलेज में कानून की पढ़ाई की।

विलासराव देशमुख 1974 से 1976 तक बाभलगांव के सरपंच, उस्मानाबाद जिला परिषद के सदस्य और लातूर तालुका पंचायत समिति के उपाध्यक्ष रहे। 1975 से 1978 तक उस्मानाबाद जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने संगठन के 5 सूत्री कार्यक्रम को जोरदार तरीके से लागू किया। देशमुख 1980 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए और इसके बाद 1985 और 1990 में भी जीत हासिल की। उन्होंने 1982 से 1995 के बीच राज्य में मंत्री के रूप में राजस्व, सहकारिता, कृषि, गृह, उद्योग और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला।

देशमुख को बड़ा झटका तब लगा जब 1995 में वह शिवाजीराव पाटिल कव्हेकर से चुनाव हार गए, लेकिन 1999 के चुनाव में वह 90,000 से अधिक मतों के अंतर से जीतकर शानदार जीत के साथ वापसी की। उनकी राजनीतिक सूझबूझ ने उन्हें अक्टूबर 1999 में पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलाई। वह 18 अक्टूबर 1999 से 17 जनवरी 2003 तक इस पद पर बने रहे।

उन्हें अपने अभिनेता बेटे रितेश देशमुख की पहली फिल्म तुझे मेरी कसम के प्रचार पर विवाद के मद्देनजर इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। देशमुख ने राज्य के प्रचार विभाग को रितेश देशमुख की फिल्म के लिए एक अभियान आयोजित करने के आदेश दिया था। जिस विपक्ष ने खूब उछाला और उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।

तमाम सियासी घटनाक्रम के बीच विलासराव देशमुख के राजयोग का भाग्योदय 2004 में एकबार फिर हुआ। विलासराव देशमुख 1 नवंबर 2004 को दूसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 2008 में 26/11 के मुंबई हमले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए विलासराव देशमुख इस्तीफा दे दिया और राज्यसभा का रास्ता अपनाते हुए दिल्ली की सियासत में सक्रिय हो गए। मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में विलासराव देशमुख को भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम, ग्रामीण विकास और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

दरअसल, दूसरी बार भी विलासराव देशमुख के सीएम पद से इस्तीफा देने की वजह उनके बेटे रितेश देशमुख ही बने। विलासराव देशमुख ने मुंबई हमले के बाद क्षतिग्रस्त होटल ताज महल का निरीक्षण करने गए तो बेटे रितेश देशमुख और फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा को अपने साथ लेकर गए। जिससे जनमानस में गलत संदेश गया और कांग्रेस पार्टी ने नैतिकता के आधार उन्हें सीएम के पद से हटा दिया।

जिस रितेश के कारण विलासराव देशमुख के राजनीतिक यात्रा में ग्रहण लगा, वहीं रितेश देशमुख आज फिल्म इंडस्ट्री में एक जाने-माने चेहरे है। हालांकि, यह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि विलासराव देशमुख राजनीति के अलावा फिल्मों के भी शौकीन थे।

मराठवाड़ा क्षेत्र में एकक्षत्र राज स्थापित करने वाले विलासराव देशमुख कांग्रेस के उन नेताओं में से एक थे जिनका राज्यव्यापी जनाधार था। वे जमीनी से उठकर राष्ट्रीय राजनीति फलक तक नए नए कीर्तिमान स्थापित किए। महाराष्ट्र में कांग्रेस के कद्दावर नेता विलासराव देशमुख का लिवर और किडनी की बीमारी के चलते 14 अगस्त, 2012 को चेन्नई के अस्पताल में निधन हो गया था।

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