लोकसभा चुनाव 2024: सनातन संस्कृति जागृत करने के पीएम मोदी के हर अनुष्ठान का विरोध करता है विपक्ष भाजपा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के सबसे दक्षिणी छोर कन्याकुमारी में स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में ध्यान मुद्रा में बैठे हुए हैं। लेकिन, पीएम मोदी के इस ध्यान को लेकर भी देश में राजनीति जारी है।
नई दिल्ली, 31 मई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के सबसे दक्षिणी छोर कन्याकुमारी में स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में ध्यान मुद्रा में बैठे हुए हैं। लेकिन, पीएम मोदी के इस ध्यान को लेकर भी देश में राजनीति जारी है।
विपक्षी दल जहां पीएम मोदी के ध्यान पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। वहीं, पलटवार करते हुए भाजपा यह आरोप लगा रही है कि सनातन संस्कृति को जागृत करने के पीएम मोदी के हर अनुष्ठान का विरोध करना विपक्षी दलों की आदत बन गई है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल ने विपक्षी नेताओं द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जब भी सनातन संस्कृति को जागृत करने का कोई भी अनुष्ठान करते हैं तो विपक्ष उसका विरोध करता है। विपक्षी दलों ने काशी कॉरिडोर का विरोध किया, गंगा जी की आरती में पीएम गए तो उसका भी विरोध किया, महाकालेश्वर पुनर्निर्माण का विरोध किया, अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए जब प्रधानमंत्री ने 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान किया तो उसका विरोध किया।
उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी के हर काम का विरोध करना ही सनातन द्रोहियों और विरोधियों का एकमात्र एजेंडा रहता है। लेकिन, वे विरोध करते रहें। जिस तरह से स्वामी विवेकानंद ने कन्याकुमारी में तप करके हिंदुत्व के दर्शन को विश्वव्यापी किया था, उसी तरह से प्रधानमंत्री मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में भारत को विश्व गुरु के तौर पर स्थापित करने में सफल होंगे, यह निश्चित है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के लिए गुरुवार को चुनाव प्रचार अभियान समाप्त हो जाने के बाद पीएम मोदी अपनी तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा पर ध्यान लगाने के लिए गुरुवार शाम को ही कन्याकुमारी पहुंच गए थे। जहां वह कन्याकुमारी के उसी प्रसिद्ध विवेकानंद रॉक मेमोरियल स्थित ध्यान मंडपम में एक जून तक ध्यान लगा रहे हैं, जहां पर स्वामी विवेकानंद ने तीन दिनों तक तपस्या करते हुए विकसित भारत का सपना देखा था।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह वही स्थान है, जहां देवी पार्वती ने एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव के लिए तपस्या की थी। यह भारत का सबसे दक्षिणी छोर है, जहां पर पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट आपस में मिलते हैं। यह क्षेत्र हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का मिलन स्थल भी है।
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