राजनीति: नई दिल्ली सीट पर सोनिया, राहुल करेंगे मतदान पर कांग्रेस का नहीं होगा उम्मीदवार
देश की सबसे पुरानी लोकसभा सीटों में से एक नई दिल्ली लोकसभा सीट पर इस बार आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब कांग्रेस पार्टी का कोई उम्मीदवार यहां मैदान में नहीं है।
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। देश की सबसे पुरानी लोकसभा सीटों में से एक नई दिल्ली लोकसभा सीट पर इस बार आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब कांग्रेस पार्टी का कोई उम्मीदवार यहां मैदान में नहीं है।
दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच हुए सीट समझौते के कारण इस बार कांग्रेस यहां मुकाबले से बाहर है। यह वही सीट हैं जहां के मतदाताओं में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी व उनकी बहन प्रियंका वाड्रा समेत कांग्रेस के कई बड़े नेता हैं। ऐसे में यह पहली बार होगा जब सोनिया, राहुल, प्रियंका समेत यहां रहने वाले तमाम कांग्रेस नेता कांग्रेस की बजाए किसी और (आम आदमी पार्टी) पार्टी को वोट करेंगे।
कांग्रेस व 'आप' में हुए गठबंधन से पहले आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह व अन्य सदस्यों ने दिल्ली विधानसभा में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का प्रस्ताव किया था। इस प्रस्ताव का विधानसभा अध्यक्ष समेत पार्टी के सदस्यों ने समर्थन भी किया था। कांग्रेस व 'आप' अभी भी पंजाब में एक दूसरे के विरोधी हैं और अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।
इतना ही नहीं, आम आदमी पार्टी सोनिया गांधी की गिरफ्तारी की मांग भी करती रही है।
आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव से अब तक कांग्रेस 7 बार नई दिल्ली लोकसभा सीट पर चुनाव जीत चुकी है, वहीं भाजपा ने यहां से अब तक 11 बार जीत दर्ज की है। इस बार भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से सोमनाथ भारती मैदान में हैं।
सोमनाथ भारती आम आदमी पार्टी के विधायक हैं और दिल्ली सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इस लोकसभा सीट से पहला चुनाव साल 1952 में किसान मजदूर प्रजा पार्टी की नेता सुचेता कृपलानी ने जीता था। इसके बाद 1957 में हुआ दूसरा चुनाव भी उन्होंने ही जीता था, लेकिन 1957 में वह कांग्रेस की उम्मीदवार थीं। उनके बाद यहां से भारतीय जनसंघ के बलराज मधोक निर्वाचित हुए। छठी लोकसभा के लिए यहां से जनता पार्टी के टिकट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चुने गए।
1980 में अटल बिहारी वाजपेयी यहां से भाजपा के सांसद बने। भाजपा अध्यक्ष रहे लालकृष्ण आडवाणी भी यहां से सांसद चुने गए।
इसके अलावा सुपर स्टार राजेश खन्ना यहां से कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। भाजपा की ओर से 11वीं, 12वीं, व 13वीं, लोकसभा के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री जगमोहन यहां से चुनाव जीते। 2004 व 2009 में कांग्रेस के अजय माकन यहां से सांसद बने।
पिछले दो लोकसभा चुनावों से यहां भाजपा का कब्जा है और मीनाक्षी लेखी इस सीट से जीत कर लोकसभा पहुंची थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा प्रत्याशी मीनाक्षी लेखी को कुल 54.77 प्रतिशत वोट मिले थे। 2014 के मुकाबले यहां उनके पक्ष में 8 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ। उन्हें कुल 504,206 वोट मिले थे। कांग्रेस के अजय माकन यहां दूसरे नंबर पर रहे और उन्हें 2,47,702 वोट मिले थे। यहां कांग्रेस की हार हुई थी लेकिन 2014 के मुकाबले कांग्रेस के मत प्रतिशत में भी 8 फीसदी का इजाफा हुआ था। तीसरे नंबर पर रहीं आम आदमी पार्टी को यहां 13.64 प्रतिशत वोट का नुकसान हुआ था और उसके उम्मीदवार ब्रिजेश गोयल को 150,342 वोट मिले थे।
भाजपा उम्मीदवार बांसुरी स्वराज ने वारविक विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन की है। उन्होंने लंदन के बीपीपी लॉ स्कूल से कानून की पढ़ाई और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंट कैथरीन कॉलेज से मास्टर्स की है। वहीं 'आप' के सोमनाथ भारती की बात की जाए तो वह भी पेशे से वकील हैं। वह दिल्ली की केजरीवाल सरकार में कानून मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में वह दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं। सोमनाथ भारती ने 1997 में आईआईटी दिल्ली से एमएससी की थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ किया और दिल्ली हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस भी की है।
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