अंतरराष्ट्रीय: कनाडा सरकार के मुआवज़े से इस व्यक्ति के जासूस होने की पुष्टि हुई

कनाडाई मीडिया ने हाल ही में यह खबर दी कि कनाडा सरकार ने एक कनाडाई व्यापारी माइकल स्पावर के साथ एक सुलह की है, जिससे चीन में जासूसी के संदेह में लगभग तीन साल तक जेल में रहने के लिए उन्हें "मुआवजा" मिला।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-09 13:04 GMT

बीजिंग, 9 मार्च (आईएएनएस)। कनाडाई मीडिया ने हाल ही में यह खबर दी कि कनाडा सरकार ने एक कनाडाई व्यापारी माइकल स्पावर के साथ एक सुलह की है, जिससे चीन में जासूसी के संदेह में लगभग तीन साल तक जेल में रहने के लिए उन्हें "मुआवजा" मिला।

इस खबर के अनुसार दोनों पक्षों के बीच अंतिम समझौता राशि 70 लाख कनाडाई डॉलर है। वर्ष 2018 में माइकल की गिरफ्तारी के बाद से, कनाडाई सरकार चीन की "मनमाने ढंग से हिरासत" को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है। इस बार इसे चेहरे पर तमाचा कहा जा सकता है।

विश्लेषकों ने बताया कि तथाकथित "सुलह" और "मुआवजा" केवल यह दर्शाता है कि कनाडाई सरकार कुछ छिपा रही है, और यह भी पुष्टि करता है कि माइकल एक जासूस है जो कनाडाई सरकार की सेवा कर रहा है।

कनाडाई नागरिक ने बताया: "इस मामले में सरकार द्वारा किया गया कोई भी मुआवजा दिखाता है कि वह कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है।" वास्तव में, एक जासूस के रूप में माइकल की पहचान लंबे समय से निर्धारित की गई है, और उसने स्वयं अपराध के तथ्यों को कबूल किया है। लेकिन, कनाडा सरकार ने इसे मानने से इनकार किया है। इस बार उसका झूठ उजागर हो गया। देखिए माइकल ने चीन में क्या किया।

चीनी सुरक्षा एजेंसी द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, माइकल लंबे समय से चीन और डीपीआरके के बीच सीमा क्षेत्र में सक्रिय थे और पूर्व कनाडाई राजनयिक माइकल कोवरिग की सहायता करके प्रासंगिक खुफिया जानकारी इकट्ठा करते थे। उसने अवैध रूप से चीन में चीनी सैन्य उपकरणों की तस्वीरें और वीडियो लिए और उन्हें चीन में स्थित कनाडाई दूतावास को दिया।

पुष्टि के बाद, विदेश में उक्त दो व्यक्तियों द्वारा प्रदान की गई खुफिया जानकारी में कई गोपनीय राज्य रहस्य शामिल हैं और उन पर विदेश में जासूसी करने और अवैध रूप से राज्य रहस्य प्रदान करने का अपराध करने का संदेह है। वर्ष 2018 में दोनों को चीन में गिरफ्तार किया गया था। सितंबर 2021 में, दोनों ने बीमारी के कारण से सुनवाई लंबित रहने तक जमानत के लिए आवेदन किया और संबंधित चीनी अदालतों ने कानून के अनुसार इसे मंजूरी दे दी। इसके बाद, उन्हें चीन से निर्वासित कर दिया गया।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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