राष्ट्रीय: भारत की आध्यात्मिक व धार्मिक धरोहर सहेजने, संवारने में पीएम मोदी का है अहम योगदान
2014 में प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद से ही नरेंद्र मोदी देश की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को सहेजने और संवारने की तमाम कोशिश कर रहे हैं। पीएम मोदी के प्रयासों की बदौलत ही भारत का आध्यात्मिक वैभव दिव्य और भव्य बन रहा है।
नई दिल्ली, 25 फरवरी (आईएएनएस)। 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद से ही नरेंद्र मोदी देश की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को सहेजने और संवारने की तमाम कोशिश कर रहे हैं। पीएम मोदी के प्रयासों की बदौलत ही भारत का आध्यात्मिक वैभव दिव्य और भव्य बन रहा है।
पीएम मोदी ने सनातन संस्कृति के वैभव को ही ही नहीं, बल्कि जैन, सिख, बौद्ध हर धर्म के ऐतिहासिक विरासत को सहेजने और संवारने का काम किया। चाहे सिखों के लिए पाकिस्तान में करतारपुर गुरुद्वारे को भारत के सिखों के दर्शन लिए खुलवाने का काम हो या प्रकाश पर्व पर हर साल सिखों के साथ गुरुद्वारे में जाना और मत्था टेकना हो। इसके जरिए भी वह अपनी विरासत को संवारने और सहेजने का संदेश देते रहे।
पीएम मोदी के प्रयासों का ही नतीजा रहा है कि भारत में पर्यटन क्षेत्र के विकास को पंख लग गया। 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जिस तरह से दर्शन के लिए यहां जनसैलाब उमड़ा है, उससे पता चल जाता है कि मंदिरों का विकास देश की अर्थव्यवस्था को कैसे आगे ले जाता है।
एक रिपोर्ट की मानें तो देशभर में मंदिरों से जीडीपी का 2.32 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा आता है। इसके साथ ही बता दें कि ऐसे में मंदिरों के सहेजने और संवारने के सतत प्रयास की बदौलत 2028 तक देश में एक करोड़ से ज्यादा रोजगार के नए अवसर पैदा होने की भी संभावना है।
आंकड़ों की मानें तो मंदिर की अर्थव्यवस्था देश में 3.02 लाख करोड़ रुपये या लगभग 40 अरब डॉलर से ज्यादा की हो गई है। पीएम मोदी का विजन ही है कि जिस रफ्तार से देश में धार्मिक पर्यटन बढ़ा है, उसके साथ ही होटल, यातायात उद्योग के साथ ही छोटे व्यवसायियों को जमकर फायदा हो रहा है। भारत में 5 लाख से ज्यादा मंदिर और तीर्थ स्थल के साथ बड़ी संख्या में गुरुद्वारे और 35 हजार के आसपास गिरजाघर(चर्च) हैं। ऐसे में तीर्थ स्थलों को विकास भारत में आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बेहद जरूरी था।
पीएम मोदी के धार्मिक विकास विजन का ही नतीजा है कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए इतने करोड़ रुपये का दान मिले, जो रक्षा बजट से कहीं ज्यादा है। इसके साथ ही तिरुमाला तिरुपति, वैष्णो देवी, अंबाजी, द्वारकाधीश, सोमनाथ, स्वर्ण मंदिर, गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि, वृंदावन में बांके बिहार मंदिर, पद्मनाभ मंदिर, सिद्धिविनायक मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर जैसे कई मंदिरों में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ा है और यहां की कमाई में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। तीर्थ स्थलों का विकास उस शहर और उसके आसपास के संपूर्ण क्षेत्र के विकास से जुड़ा होता है। ऐसे में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के द्वारा पर्यटन योजना में बड़ी संख्या में ऐसे स्थलों को शामिल किया गया है, जहां तेजी से बुनियादी सेवाओं के साथ जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जा रहा है।
इसके साथ ही, केंद्र सरकार की एक और योजना 'प्रसाद' के तहत अलग से बजट का प्रावधान किया गया। इसके जरिए ऐसे स्थलों के लिए सड़क, रेल और जल परिवहन की कनेक्टिविटी के साथ सूचना केंद्र, एटीएम, मनी एक्सचेंज, परिवहन के साधन, प्रकाश की सुविधा और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की व्यवस्था, पार्किंग, पीने का शुद्ध पानी, शौचालय, अमानती सामान घर, प्रतीक्षालय, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, दुकानें, कैफेटेरिया, दूरसंचार सुविधाएं, इंटरनेट कनेक्टिविटी सहित बहुत कुछ अन्य जरूरी चीजों का विकास किया जा सके। इसी तीर्थ योजना में बौद्ध तीर्थ यात्रा के लिए कुशीनगर को भी जोड़ा गया है।
वहीं दूसरी तरफ, रामायण सर्किट और बुद्ध सर्किट को भी जोड़ने का तेजी से हो रहा है। सोमनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ, महाकाल मंदिर कॉरिडोर तो देश को समर्पित भी किया जा चुका है। अयोध्या में राम मंदिर भी देश के आम लोगों के लिए खुल गया है। यूपी में मथुरा-वृंदावन, असम के गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर, महाराष्ट्र के कोल्हापुर में महालक्ष्मी, नासिक से त्र्यंबकेश्वर तक कॉरिडोर, चित्रकूट में वनवासी राम पथ, ओरछा में रामराजा लोक, दतिया में पीतांबरा पीठ कॉरिडोर जैसे कई अन्य धार्मिक विकास परियोजनाओं का काम लगभग पूरा होने के कगार पर है। पीएम मोदी ने काशी और अयोध्या के बाद अब कृष्ण की नगरी मथुरा और वृंदावन के विकास पर जोर दिया है।
250 करोड़ रुपये की लागत से करीब 1000 हेक्टेयर के मथुरा-वृंदावन कॉरिडोर को बनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत ही यमुना रिवर फ्रंट और बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को भी रखा गया है। पीएम मोदी ने आज ही भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका और बेट द्वारका के बीच बने 'सुदर्शन सेतु' को देश को समर्पित किया है। पीएम मोदी के इस विजन का सबसे ज्यादा फायदा मध्य प्रदेश को मिल रहा है क्योंकि सबसे ज्यादा धार्मिक कॉरिडोर यहां बनाए जा रहे हैं। उज्जैन के महाकाल मंदिर के बाद, चित्रकूट, ओरछा, दतिया, इंदौर, महू के कॉरिडोर का काम तेजी से चल रहा है। इसके अलावा छिंदवाड़ा में हनुमान मंदिर लोक, ग्वालियर में शनि लोक, बड़वानी में नाग लोक, सलकनपुर का श्रीदेवी महालोक, ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर लोक का काम चल रहा है। गुजरात के पावागढ़ 18 जून, 2022 को 500 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने महाकाली मंदिर शिखर पर पताका फहराया। इस मंदिर का पूनर्विकास किया गया।
इसके साथ ही, मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर घाटी में फैले कई पुराने मंदिरों के पुनरुद्धार का काम शुरू किया। सबसे पहले इसके अंतर्गत गुलमर्ग के शिव मंदिर को पुनर्विकास किया गया। पीएम मोदी ने वहां की 740 जीर्ण-शीर्ण पड़े मंदिरों के पुनर्विकास के काम में तेजी लाई। वहीं पीएम मोदी के प्रयासों का ही नतीजा रहा कि उत्तराखंड मे चार धाम विकास परियोजना पर काम शुरू हुआ। इसके तहत गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को हर मौसम के लिहाज से बेहतर सड़क से जोड़ने का काम चल रहा है। इसके साथ ही कर्णप्रयाग और ऋषिकेश को रेल मार्ग से जोड़ने का भी काम किया जा रहा है। केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के लिए 3400 करोड़ से ज्यादा की योजनाओं का शिलान्यास भी पीएम मोदी ने किया है।
हिंदू संत रामानुजाचार्य के सम्मान में स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का भी पीएम मोदी ने उद्घाटन किया था। इसके साथ ही संत तुकाराम शिला मंदिर का उद्घाटन भी किया था। संत रविदास की मूर्ति का अभी पीएम ने वाराणसी में उद्घाटन किया है। इसके साथ ही पीएम मोदी देश ही नहीं दुनिया के कई देशों में भव्य मंदिरों के निर्माण पर जोर दे रहे हैं। मनामा और अबू धाबी में मंदिरों के निर्माण की घोषणा और अबू धाबी में बाप्स मंदिर के उद्घाटन में पीएम मोदी का जाना इसका उदाहरण है। वह नेपाल में भी अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र का शिलान्यास कर चुके हैं। उन्होंने विदेशों में पड़ी भारत की बहुमूल्य विरासत प्राचीन मूर्तियों और वस्तुओं को भी वहां से लाने में सफलता हासिल की है।
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