बाजार: भारत में नीतिगत सुधारों से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर नए दौर की तेजी के लिए तैयार नुवामा

भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरिंग अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है और सरकार द्वारा लिए गए 'मेक-इन-इंडिया' जैसी पहल और सुधारों के कारण तेजी के एक नए दौर की शुरुआत होगी। वेल्थ मैनेजमेंट फर्म नुवामा की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-22 09:37 GMT

मुंबई, 22 अगस्त (आईएएनएस)। भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरिंग अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है और सरकार द्वारा लिए गए 'मेक-इन-इंडिया' जैसी पहल और सुधारों के कारण तेजी के एक नए दौर की शुरुआत होगी। वेल्थ मैनेजमेंट फर्म नुवामा की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले एक दशक में मेक-इन-इंडिया, यूपीआई, रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) और इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड (आईबीसी), गुड्स और सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम और चीन+1 रणनीति के कारण भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए एक मजबूत नींव तैयार हुई है।

इन सुधारों के कारण कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत हुई है। पूंजी की उपलब्धता बढ़ी है और साथ ही प्राप्तियों के दिनों में कमी आई है, जिससे निवेश के लिए एक अच्छा माहौल तैयार हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत का तेजी से बढ़ता हुआ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर निवेश के कई मौके दे रहा है, जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, सड़क, एयरपोर्ट, रेलवे और पोर्ट आदि प्रमुख हैं।

इसके अलावा डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिक वाहन इकोसिस्टम, डेटा सेंटर जैसे क्षेत्रों में निवेशकों के लिए मौके हैं।

मौजूदा पूंजीगत निवेश चक्र का नेतृत्व 35 इंडस्ट्री की 400 कॉरपोरेट्स और 600 अनलिस्टेड इकाइयों कर रही हैं। वहीं, पिछले पूंजीगत निवेश चक्र में यह आंकड़ा पांच से छह इंडस्ट्री और 80 से अधिक कॉरपोरेट्स तक सीमित था।

नुवामा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सरकार का 'मेक-इन-इंडिया' इनिशिएटिव डिफेंस सेक्टर के लिए गेम-चेंजर रहा है। भारत का डिफेंस इकोसिस्टम में बड़ा बदलाव आया है। सरकार का फोकस घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ निर्यात को बढ़ाने पर है। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो डिफेंस कॉरिडोर स्थापित किए गए हैं। इनका उद्देश्य आयात को कम करना और निर्यात को बढ़ाना है।

सरकार की ओर से इस सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत और सरकारी रूट से एफडीआई की सीमा को बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया है।

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