राष्ट्रीय: पूरे भारत से आए पत्थरों पर कला को उजागर करता है 'स्टोनमार्ट 2024'
एक तरफ जहां दुनिया भर के लेखक जयपुर में लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी विशिष्ट कहानियां सुना रहे हैं, वहीं गुलाबी शहर पत्थरों के कारीगरों की उत्कृष्ट कलात्मकता की कहानी भी बता रहा है। यहां देशभर से कारीगर एकत्र हुए हैं।
जयपुर, 4 फरवरी (आईएएनएस)। एक तरफ जहां दुनिया भर के लेखक जयपुर में लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी विशिष्ट कहानियां सुना रहे हैं, वहीं गुलाबी शहर पत्थरों के कारीगरों की उत्कृष्ट कलात्मकता की कहानी भी बता रहा है। यहां देशभर से कारीगर एकत्र हुए हैं।
इन पत्थर कारीगरों को अपने कारोबार में तेजी आने की पूरी उम्मीद है। शिल्पग्राम में कुछ स्टॉलों पर पत्थर कारीगर अपनी कला का जीवंत प्रदर्शन कर रहे हैं।
देहरादून के पत्थर कारीगर अजीत कुमार प्रसाद ने कहा कि वे अपनी कल्पना का उपयोग कर नदी के पत्थरों से शिल्प बनाते हैं। उन्होंने यहां अपनी कला का प्रदर्शन किया है और वहीं पर्यटक उनकी कला की जमकर तारीफ कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रतिक्रिया उत्साहजनक है और उन्हें अपने कारोबार में बढ़ोतरी की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि पत्थरों को नदी से चुना जाता है और उन पर किसी कृत्रिम रंग का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इन पत्थरों पर वार्निश लगाया जाता है जिससे इनकी चमक बढ़ जाती है।
वहीं, जयपुर के सुनील जांगिड़ ने कहा कि वे स्टोन विद नेचर कॉन्सेप्ट पर काम करते हैं। वह सिर्फ चट्टानों पर कलाकारी करते है। उन्होंने कहा कि नदी के पत्थर, समुद्री चट्टानें, कांगो चट्टानें, लावा चट्टानें मुख्य रूप से सजावटी प्लांटर्स बनाने के साथ-साथ पत्थर के टुकड़ों से मोजेक कला के माध्यम से विभिन्न कलाकृतियां बनाने के लिए उपयोग की जाती हैं।
उन्होंने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ स्टोन्स (सीडीओएस) का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें बहुत सहयोग मिला और शिल्पग्राम में उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया मिली। इस चार दिवसीय प्रदर्शनी में उन्हें पूरे साल के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।
मकराना के पत्थर कारीगर शब्बीर ने कहा कि लोग उनके काम की प्रशंसा कर रहे हैं, वहीं उन्हें बहुत सारे आर्डर भी मिले हैै।
सिकंदरा के पवन सैनी ने बताया कि उन्हें पत्थरों से नक्काशीदार लाइट लैंप और फव्वारे बनाने में महारत हासिल है। शिल्पग्राम में निःशुल्क स्टॉल लगाने के कारण देश के अन्य शहरों और विदेशों में भी उनके ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है।
शिवदासपुरा के पप्पूलाल शर्मा संगमरमर से विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाते हैं और पिछले 20 वर्षों से वह इस व्यवसाय में हैं। उन्होंने कहा कि कारोबार ठीक चल रहा है और अयोध्या में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद मूर्तियों के कारोबार में बढ़ोतरी हुुुई है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दिनों में उनके स्टॉल पर अच्छा रिस्पॉन्स मिला है।
अम्बेरी (उदयपुर) के सचिन दाधीच ने ललित कला में एमए किया है और शिल्पग्राम में अपनी कला का प्रदर्शन किया है। उन्हें कुछ बुकिंग के साथ-साथ लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
अपनी कृतियां दिखाते हुए इन शिल्पकारों को उम्मीद है कि बड़ी संख्या में खरीददार आएंगे और उनके उत्पादों में गहरी दिलचस्पी दिखाएंगे।
सैनी ने कहा, हमारे पत्थर हमारी कलात्मकता की कहानी बयां करते हैं और हमें विश्वास है कि ये कहानियां सीमाओं से परे गूंजेंगी, इसका श्रेय हमारे कौशल और कड़ी मेहनत को जाता है।
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