राजनीति: सत्ता परिवर्तन पर अपने नैरेटिव से यू-टर्न लेने के बाद निशाने पर आए इमरान खान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने जनरल कमर जावेद बाजवा पर भरोसा कर लिया था। उन्हें अपनी इस टिप्पणी के कारण अपने राजनीतिक विरोधियों की कड़ी आलोचना का सामना पड़ रहा है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-31 12:39 GMT

इस्लामाबाद, 31 मई (आईएएनएस)। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने जनरल कमर जावेद बाजवा पर भरोसा कर लिया था। उन्हें अपनी इस टिप्पणी के कारण अपने राजनीतिक विरोधियों की कड़ी आलोचना का सामना पड़ रहा है।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पत्रकार मेंहदी हसन को इंटरव्यू दिया। इस दौरान वह अपने पहले के रुख से पीछे हट गए हैं। पहले के स्टैंड में इमरान खान ने उनकी सरकार के सत्ता परिवर्तन के लिए अमेरिका पर साजिश रचने का आरोप लगाया था।

विपक्ष ने 9 अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इमरान खान ने इसके लिए कथित तौर पर अब दोस्त से दुश्मन बने कमर जावेद बाजवा को जिम्मेदार ठहराया।

इमरान खान का मानना ​​है कि इस पूरे प्रकरण के लिए पूरी तरह से जनरल बाजवा ही जिम्मेदार हैं।

पत्रकार मेंहदी हसन ने जेल में इमरान खान को पत्र के जरिए सवाल भेजे थे। जिसके जवाब में उन्होंने कहा, "जेल में 11 महीने बिताने के बाद मुझे यकीन हो गया है कि पूरा खेल जनरल बाजवा ने ही रचा था। उस धोखेबाज शख्स ने बड़ी होशियारी से सारी प्लानिंग की थी और उन्हें लागू किया।"

इमरान ने आरोप लगाया कि तत्कालीन सेना प्रमुख ने देश और दुनिया में अराजकता पैदा करने के लिए झूठी कहानियां गढ़ीं। यह सब उसने दूसरा कार्यकाल हासिल करने के लिए किया।

इमरान खान ने कहा, "मैं इसके लिए किसी और को जिम्मेदार नहीं मानता। हालांकि, इमरान खान की ये टिप्पणी देश के कई विश्लेषकों और राजनीतिक नेताओं को पसंद नहीं आई।"

सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के वरिष्ठ नेता तलाल चौधरी ने कहा, "इमरान खान झूठे हैं। उन्होंने अमेरिका के खिलाफ एक बड़ा पब्लिक कैंपेन चलाया, अपनी सरकार को हटाने के लिए वाशिंगटन को दोषी ठहराया और कई कारण बताए कि वे उन्हें क्यों हटाना चाहते थे?"

उन्होंने आगे कहा कि इमरान ने दावा किया था कि उन्हें अमेरिकी सेना को बेस (अड्डे) न देने और रूस जाने के कारण पद से हटाया गया। यह भी दावा किया कि तत्कालीन अमेरिकी सहायक सचिव डोनाल्ड लू ने यूएस में पाकिस्तानी राजदूत से मुलाकात की थी और उन्हें खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव असफल होने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। आज, 'आइंस्टीन' खान कहते हैं कि अमेरिका का उनके निष्कासन से कोई लेना-देना नहीं था। इसका मतलब है कि निष्कासन के बाद उनका पूरा अभियान एक फर्जी कहानी और झूठ पर आधारित था।

विशेषज्ञों का यह भी मानना ​​है कि इमरान खान का लेटेस्ट बयान उनकी राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) द्वारा पश्चिम के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों का हिस्सा है।

राजनीतिक विश्लेषक रिजवान रज़ी ने कहा, "यह सभी जानते हैं कि पीटीआई ने अमेरिकी सरकार के साथ अपने संपर्कों को सक्रिय करने के लिए यूएस में लॉबिंग कंपनियों को काम पर लगा रखा है। यही कारण है कि इमरान खान अमेरिका के नेतृत्व वाले शासन परिवर्तन के अपने पिछले दावे से पीछे हट रहे हैं। लेकिन तथ्य यह है कि 2022 में इमरान खान ने इसी कहानी पर 80 से अधिक पब्लिक सभाओं को संबोधित किया। यह उस समय का सबसे लोकप्रिय सत्ता-विरोधी, सरकार-विरोधी और अमेरिका-विरोधी नैरेटिव था।"

इमरान खान ने 'बिल्कुल नहीं' और 'क्या हम गुलाम हैं' जैसे नारे लगाए। उन्होंने अमेरिका और पश्चिम पर उनकी सरकार के खिलाफ साजिश रचने, सरकार को गिराने के लिए सैन्य प्रतिष्ठान और विपक्षी दलों के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया था।

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