कानून: दिल्ली हाईकोर्ट ने ब्लूमबर्ग को 'जी' के खिलाफ अपमानजनक लेख हटाने के निर्देश वाला आदेश बरकरार रखा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें ब्लूमबर्ग टेलीविजन प्रोडक्शन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (ब्लूमबर्ग) को जी (ZEE) एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के खिलाफ 21 फरवरी को लिखे गए मानहानिकारक लेख को हटाने का निर्देश दिया गया था।
नई दिल्ली, 14 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें ब्लूमबर्ग टेलीविजन प्रोडक्शन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (ब्लूमबर्ग) को जी (ZEE) एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के खिलाफ 21 फरवरी को लिखे गए मानहानिकारक लेख को हटाने का निर्देश दिया गया था।
इससे पहले जी को राहत देते हुए अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) हरज्योत सिंह भल्ला ने ब्लूमबर्ग को आदेश प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर अपने मंच से मानहानिकारक लेख को हटाने का निर्देश दिया था।
पिछले हफ्ते, ब्लूमबर्ग ने एडीजे के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था।
मामले की अध्यक्षता करने वाली न्यायमूर्ति शालिंदर कौर ने ब्लूमबर्ग की अपील को खारिज कर दिया और एडीजे के निर्देशों का पालन करने के लिए तीन दिन का समय दिया।
ट्रायल कोर्ट ने ब्लूमबर्ग को सुनवाई की अगली तारीख तक किसी भी ऑनलाइन या ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर लेख पोस्ट करने, प्रसारित करने या प्रकाशित करने से रोक दिया था।
जी ने अपने मुकदमे में तर्क दिया कि ब्लूमबर्ग लेख, जिसमें जी के कॉर्पोरेट प्रशासन और व्यावसायिक संचालन से संबंधित विवरणों का उल्लेख किया गया था, गलत था और इससे कंपनी के शेयर मूल्य में 15 फीसदी की गिरावट आई, जिससे निवेशकों की संपत्ति कम हो गई।
इसमें कहा गया है कि "झूठा और तथ्यात्मक रूप से गलत" लेख कंपनी को बदनाम करने के पूर्व-निर्धारित और दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रकाशित किया गया था।
लेख में दावा किया गया है कि गलत तरीके से प्रकाशित किया गया है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को कंपनी में 241 मिलियन डॉलर का काउंटिंग इश्यू मुद्दा मिला है, जबकि उल्लिखित नियामक की ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं है।
जी ने कहा, कंपनी द्वारा दृढ़ता से इसका खंडन किए जाने के बावजूद नियामक के किसी भी आदेश के आधार के बिना लेख ने जी में 'वित्तीय अनियमितताओं' को गलत तरीके से प्रकाशित किया।
जी के वकील ने तर्क दिया कि यदि अनुराध के अनुसार हिदायत नहीं दी गई तो कंपनी को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|